- देश की विकासात्मक आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी तथा अनुप्रयोग कार्यक्रमों (Application Programmes) का विकास करना ही ‘भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम’ का प्राथमिक उद्देश्य है।
- इस उद्देश्य को पूरा करने की दिशा में ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन’ (ISRO) ने दो प्रमुख परिचालनात्मक प्रणालियों की स्थापना की है- (i) भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह प्रणाली (INSAT : Indian National Satellite System) तथा (ii) भारतीय सुदूर संवेदन उपग्रह प्रणाली (IRS : Indian Remote Sensing Satellite System)।
- वर्ष 1983 में स्थापित इन्सैट, एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सबसे बड़ी घरेलू संचार उपग्रह प्रणाली है।
- इन्सैट शृंखला के नई पीढ़ी के उपग्रहों का नामकरण जीसैट (GSAT : Geosynchronous Satellite) के रूप में किया गया है।
- इन्सैट/जीसैट प्रणाली का प्राथमिक उद्देश्य दूरसंचार, टेलिविजन प्रसारण तथा मौसम विज्ञान संबंधी सेवाएं उपलब्ध कराना है।
- इन्सैट/जीसैट प्रणाली के तहत वर्तमान में परिचालित 16 उपग्रह हैं-इन्सैट-3ए, 3सी, 4ए, 4बी, 4सीआर तथा जीसैट-6, 7, 8, 9, 10, 12, 14, 15, 16, 18 एवं 19 ।
- इन्सैट/जीसैट प्रणाली में शामिल होने वाला भारत का नवीनतम संचार उपग्रह जीसैट-17 है।
- इस उपग्रह को 29 जून, 2017 को कौरू, फ्रेंच गयाना से यूरोपीय एरियन-5 VA-238 प्रक्षेपण यान द्वारा प्रक्षेपित किया गया।
- लिफ्ट-ऑफ के लगभग 39 मिनट बाद एरियन-5 ने जीसैट-17 को भूमध्य रेखा से 3 डिग्री के कोण पर झुकी 249 किमी. × 35,920 किमी. वाली दीर्घवृत्ताकार भू-तुल्यकालिक अंतरण कक्षा (GTO) में स्थापित कर दिया।
- इसके बाद 30 जून-2 जुलाई, 2017 के मध्य उपग्रह के कक्षोन्नयन (Orbit Raising) की प्रक्रियाएं संपन्न हुईं।
- इसके तहत तीन चरणों में जीसैट-17 की प्रणोदन प्रणाली का प्रयोग कर उसे भूमध्य रेखा से 36,000 किमी. की ऊंचाई पर स्थित भूस्थिर कक्षा (Geostationary Orbit) में स्थापित कर दिया गया।
- देश में विभिन्न संचार सेवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से जीसैट-17 अपने साथ सामान्य C बैंड, विस्तारित C बैंड तथा S-बैंड वाले पेलोड ले गया है।
- साथ ही इसमें मौसम विज्ञान संबंधी डाटा रिले और उपग्रह आधारित खोज एवं बचाव सेवाओं हेतु उपकरण संलग्न हैं।
जीसैट-17 : प्रमुख विशेषताएं | ||
कक्षा | – | भू-स्थिर/93.50o पूर्व देशांतर |
भार | – | 1480 किग्रा. (शुष्क भार) 3477 किग्रा. (उत्थापन के समय भार) |
विद्युत उत्पादन | – | 6200 वॉट उत्पन्न करने वाले सौर ऐरे, 144Ah की दो लीथियम आयन बैटरियां। |
प्लेटफॉर्म | – | I-3K बस |
प्रणोदन प्रणाली | – | 16 प्रणोदक संरूपण (Thruster Configuration) सहित ‘एकीकृत द्विनोदक प्रणाली’ (Unified Bipropellant System) एवं एफ 440 न्यूटन का ‘द्रव अपभू मोटर’ (LAM) |
नियंत्रण प्रणाली | – | संवेदकों एवं प्रवर्तकों सहित 3 अक्षीय पिंड स्थिरीकृत नियंत्रण प्रणाली |
मिशन कालावधि | – | लगभग 15 वर्ष |
- इस मिशन में एरियन-5 VA-238 रॉकेट ने जीसैट-17 के अतिरिक्त एक अन्य उपग्रह ‘हेलास सैट 3-इनमारसैट एस ईएएन’ (Hellas Sat-3 Inmarsat S EAN) को भी अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया।
- यह एक बहु-मिशन रिले उपग्रह है।
- यह उपग्रह कांस (फ्रांस) स्थित कंपनी ‘थेल्स एलिनिया स्पेस’ (Thales Alenia Space) द्वारा निर्मित किया गया है।
- 5780 किग्रा. वजनी इस उपग्रह की मिशन कालावधि लगभग 15 वर्ष है।
- उल्लेखनीय है कि इस उपग्रह में दो पेलोड शामिल हैं-(i) हेलास सैट 3(ii) इनमारसैट एस ईएएन।
- हेलास सैट 3, अरबसैट समूह की सहायक कंपनी ‘हेलास सैट’ का पेलोड है।
- यह कंपनी यूरोप, मध्य पूर्व तथा दक्षिण अफ्रीका में संचार सेवाएं उपलब्ध कराती है।
- जबकि ‘इनमारसैट एस ईएन’ ब्रिटिश कंपनी इनमारसैट का पेलोड है।
- एरियनस्पेस एवं इसरो की साझेदारी
- जीसैट-17 एरियनस्पेस द्वारा ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन’ (ISRO) के लिए प्रक्षेपित किया गया 21वां उपग्रह है।
- उल्लेखनीय है कि विदेशी प्रक्षेपण प्रणालियों द्वारा अब तक प्रक्षेपित इसरो के भू-स्थिर उपग्रहों में से 87 प्रतिशत उपग्रह एरियनस्पेस ने ही प्रमोचित किए हैं।
- प्रायोगिक उपग्रह ‘एप्पल’ (APPLE) इसरो का ऐसा पहला उपग्रह था जिसके प्रक्षेपण के लिए एरियनस्पेस के एरियन-1 रॉकेट की मदद ली गई थी।
- एरियन-5 : लगातार 80वीं सफलता
- सद्यः मिशन पिछले 14 वर्षों की अवधि में एरियन-5 रॉकेट का लगातार 80वां सफल मिशन था।
- पिछले 14 वर्षों में एरियन-5 रॉकेट ने व्यावसायिक एवं सरकारी दोनों उपभोक्ताओं के लिए कुल 160 उपग्रह प्रमोचित किए हैं जिनका कुल वजन 677 मीट्रिक टन से भी अधिक है।