चीन द्वारा डोकलाम क्षेत्र में सड़क निर्माण करने से शुरु हुए विवाद की वजह से दोनों देशों के संबंधों में तनाव बढ़ गया है। यह स्थान चीन एवं भूटान दोनों देशों के मध्य एक विवादास्पद स्थल रहा है। दोनों ही देश इस स्थान पर अपना अधिकार जताते रहे हैं। चीन अपनी विस्तारवादी नीतियों के कारण भारतीय सीमा से जुड़े 4,000 किलोमीटर के क्षेत्र में सड़क और रेल मार्ग स्थापित करने में प्रयासरत है। इसके प्रत्युत्तर में कदम बढ़ाते हुए भारत ने भी हाल ही में सीमाओं पर सड़क बनाना आरंभ किया है।
क्या है डोकलाम विवाद?
चीन तिब्बत की चुंबी घाटी स्थित डोकलाम में सड़क बनाना चाहता है। वर्ष 1914 की मैकमोहन रेखा के अनुसार डोकलाम भूटान में है जबकि चीन इसे नहीं मानता। यह 269 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला है। यहां सड़क बनाने की चीन की कोशिशों का भूटान और भारत, दोनों ने ही विरोध किया। डोकलाम भारत, भूटान और चीन की सीमा के पास स्थित है और सामरिक रूप से बेहद संवेदनशील है। भारत की मुख्यभूमि को उत्तर-पूर्वी राज्यों के साथ जोड़ने वाला सिलिगुड़ी गलियारा इसी के ठीक नीचे, करीब 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
भारत की स्थिति:
भारत का कहना है कि यह हिस्सा भूटान की सीमा में आता है और इसके पास सड़क बनना उसकी आंतरिक सुरक्षा के लिहाज से बेहद घातक साबित हो सकता है। भारत चूंकि भूटान का रक्षा सहयोगी है, इसीलिए डोकलाम में भारत और चीन की सेनाएं एक-दूसरे के सामने हैं। भारत ने साफ कह दिया है कि जब तक चीन डोकलाम से बाहर नहीं निकलता, तबतक भारत अपने कदम पीछे नहीं हटाएगा। उधर चीन चाहता है कि भारतीय सेना डोकलाम से निकल जाए।
कुल मिलकर यह हालात दोनों देशों के लिए हितकर नहीं है, यह असामान्य हालात दोनों देशों की अर्थिक और कूटनीतिक प्रगति में बाधा बन सकते हैं। बेहतर होगा यदि दोनों देश बातचीत द्वारा कोई हल निकाल सकें।