Saturday 29 July 2017

सुन्दर वन का संरक्षण


सुंदरबन एक विशाल जंगल है जो बंगाल की खाड़ी के तटीय क्षेत्र में स्थित है तथा दुनिया के प्राकृतिक चमत्कारों में से एक माना जाता है। सुंदरबन डेल्टा का निर्माण इस क्षेत्र के प्रमुख तीन नदी-घाटियों द्वारा किया जाता है- पद्मा, मेघना और ब्रह्मपुत्र जो बांग्लादेश के खुलना, सातखरा, बजरहाट, पटुआखी और बरगुना जिलों में फैले हुए हैं। सुंदरबन दुनिया के सदाबहार वनों में और तटीय वातावरण में सबसे बड़ा सदाबहार वन है।
सुंदरबन के कुल क्षेत्रफल में से 10,000 वर्ग किलोमीटर जिसमें 6,017 वर्ग किमी की आबादी बांग्लादेश में है। सन् 1997 में यूनेस्को ने सुंदरबन को यूनेस्को की विश्व-विरासत स्थल के रूप में मान्यता दी थी। बांग्लादेश और भारतीय हिस्सा के बारे में वास्तव में निर्बाध सीमा चिन्ह का एक आसन्न हिस्सा है लेकिन यूनेस्को की ‘विश्व-विरासत सूची’ की सूची को अलग तरह से सूचीबद्ध किया गया है जो कि क्रमशः "सुंदरबन" और "सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान" जैसे नाम दिए गए हैं।
सुंदरबन समुद्री धाराओं से निर्मित दलदलीय क्षेत्र है जहाँ मैंग्रोव वनस्पति जो कि छोटे-छोटे द्वीपसमूहों में फैले हुए हैं। सुंदरबन कुल वन क्षेत्र का 31.1 प्रतिशत है जिसका क्षेत्रफल 1,874 वर्ग किमी है और अधिकतर नदी-तल, बिल, पानी ईत्यादि से भरा हुआ है। सुंदरबन अपने आत्मनिहित रॉयल बंगाल टाइगर के लिए जाना जाता है साथ ही पशुओं की कई और प्रजातियां भी पाई जाती है जिनमें चीतल हिरण, मगरमच्छ और सांप शामिल है। दिनांक 21 मई 1992 को सुंदरबन को रामसर साइट के रूप में मान्यता दी गई थी।

भारतीय सुंदरबन का संरक्षण क्यों महत्वपूर्ण है?
• दुनिया के तीसरे सबसे बड़े संस्पर्शी मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र, भारतीय सुंदरबन में वनों के नुकसान की ताजा साक्ष्य को ध्यान में रखते हुए संरक्षित करने के लिए तत्काल प्रयास की आवश्यकता है।
• भारतीय सुंदरबन के अत्यधिक उत्पादकीय वनों का नुकसान औपनिवेशिक युग से देखा जा सकता है जब खेती के उद्देश्य से जंगलों की कटाई को मंजूरी दे दी जाती थी।
• जादवपुर विश्वविद्यालय द्वारा किए गए अध्ययन से यह पता चला है कि 10,000 वर्ग किमी क्षेत्र के भीतर जलवायु परिवर्तन पूरी आबादी के लिए एक बड़ा खतरा बना हुआ है जिसके पूर्व में बांग्लादेश जहाँ लाखों लोगों का भोजन-यापन पानी तथा वन्य उत्पादों पर ही निर्भर करता है।
• इस क्षेत्र के बाघों की एक अनूठी आबादी को भूमि-समुद्र के इंटरफेस के अनुकूल होने और स्थानांतरित करने के लिए मजबूर बाध्य हो रहे हैं जो इस क्षेत्र की विविधता के लिए एक गहरी चिंता का विषय बन चुका है।
• बांध तथा अन्य बैरज के निरंतर निर्माण से द्वीपों के सिकुड़ने और तलछट जैसी समस्याओं के कारण क्षेत्र में पारिस्थितिकी का नुकसान देखा जा सकता है इन अल्पावधि लाभों से नुकसान की भरपाई नहीं की जा सकती है।
• सुंदरबन बड़ी हिमालयी नदियों और उच्च केंद्रित लवणता द्वारा लाए गए ताजे पानी के संगम क्षेत्र के रूप में जाना जाता है तथा इस क्षेत्र के द्वीपों में जैव विविधता का एक क्रूसिबल है जो भारतीय पक्ष में 4.5 मिलियन की आबादी के गुजर-बसर में मदद करता है।
• भीरतीय सरकार को नीदरलैण्ड के मेरिट साईंटिफिक इवैलुएशन के सुझावों पर विचार करना चाहिए तथा वैज्ञानिक योग्यता के आधार पर डाइक की तर्ज पर गड़बड़ी को रोकने के लिए कठोर कदम उठाने चाहिए और उन्हें स्थानिक पौधे और पेड़ों की प्रजातियों से मजबूत प्रदान करने की कोशिश करनी चाहिए जो कि लवणता की स्थिति को बदलने में उपयोगी साबित हो सकती हैं साथ ही साथ स्थानीय आबादी को भी लाभ मिल सकता है।

निषकर्ष
  • सरकार को सुंदरबन डेल्टा क्षेत्र का संरक्षण के लिए तत्काल प्रयास करने की आवश्यकता है क्योंकि इस क्षेत्र में समृद्ध प्राकृतिक संसाधन और विविधता प्रदान करने की क्षमता बहुत है। हालांकि, सुंदरबन के क्षेत्रों को कानूनी रूप से संरक्षित करने का प्रयास शुरुआत से हीं रहा है लेकिन इस क्षेत्र का भविष्य काफी हद तक स्थानीय कार्यों एंव प्रयासों पर निर्भर करेगा जो नदियों के तटीय कटाव को रोकने में मदद करेगा।
  • सरकार को उन नीतियों पर अधिक जोर देना चाहिए जो इस क्षेत्र में अपर्याप्त मानव विकास के कारण प्राकृतिक संसाधनों पर बनाए गए दबावों को दूर कर सकते हैं जो इस क्षेत्र में विविधता के लिए खतरा बना हुआ है। स्थानीय कार्रवाई एंव नीतियों के अलावा सरकार को इस क्षेत्र में इकोटूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए हर संभव कोशिश करना चाहिए जो कि जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ धनराशि बटोरने की क्षमता रखता है। इस क्षेत्र को भारत और बांग्लादेश की तरफ से सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है और दोनों देशों को सुंदरबन के संरक्षण और वैश्विक स्तर पर अनूठी पहचान के लिए अंतरराष्ट्रीय जलवायु वित्त सहायता की मांग करनी चाहिए।
  • सुंदरबन क्षेत्र में रहने वोले स्थानीय जनसंख्या जिनकी आर्थिक स्थिति दयनीय है एवज में अपनी जीविका के लिए प्राकृतिक संसाधनों पर हीं निरभर हैं इसलिए यह महत्वपूर्ण होगा कि स्थानीय समुदायों को प्राथमिक आधार पर गरीबी-उनमूलन के प्रयास किये जाने चाहिए। इस क्षेत्र पर जलवायु अनुसंधान वैज्ञानिकों एंव सामाजिक वैज्ञानिकों को भी विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है और वे सुंदरबन को सुरक्षित रखने तथा संरक्षण में एक सहकारी भूमिका निभा सकते हैं।