Sunday 23 July 2017

भारत में आने वाले प्रमुख विदेशी यात्रीयों की सूची


मेगस्थनीज (Megasthenes)
सिकंदर (Alexander) के सेनापति सेल्‍यूकर ने 305 ई० पू में अपने राजदूत मैगस्‍थनीज को चन्‍द्रगुप्‍त मौर्य के दरवार में भेजा था। मैगस्‍थनीज ने कुछ साल चन्‍द्रगुप्‍त मौर्य (Chandragupta Maurya) के दरबार में बितायेउसने अपनी पुस्‍तक इंडिका में उस समय की शासन व्‍यवस्‍था तथा तत्‍कालीन भारतीय समाज की सामाजिक-आर्थिक सांस्‍कृतिक तथा धार्मिक बिशेषताओं का वर्णन किया था।

इाईनोसियोस (Iainosios)
मिस्‍त्र के शासक टॉल्‍मी फिल्‍डोलफस (Tolmie Fridolfs) ने डाईनोसियोस को बतौर राजदूत मौर्य दरबार में भेजा था मगर यह आज तक पता नहीं चला है कि यह विन्‍दुसार या अशोक (Ashok) में से किसके दरबार में आया था।

ह्वेनसांग (Xuanzang)
ह्वेन त्सांग एक प्रसिद्ध चीनी बौद्ध भिक्षु था यह सम्राट हर्षवर्धन के शासन काल मे भारत आया था उसे या‍त्रि‍यों का राजकुमार कानून का ज्ञाता तथा शाक्‍य मुनि के नाम से भी जाना जाता है।

ली-पियाओ तथा वान-ह्वेनसे (li-Pia and Wan-Hvense)
सम्राट हर्षवर्धन ने चीनी शासक के दरबार मे एक राजदूत भेजा था जिसके प्रत्‍युचर में चीनी शासक ने ली-पियाओ तथा वान-ह्वेनसे के नेतृत्‍व में एक प्रतिनिधिमण्‍डल को भारत में भेजा था उन्‍होंने सम्राट हर्षवर्धन को चीनी शासक द्वारा दिए गए उपहार तथा मित्रता के संदेश को सौंपा था।

अल्बेरूनी (Alberuni)
अल्‍वेरूनी का पूरा नाम अवूरिहान मोहम्‍मद इब्‍ज-अहमद था उसका जन्‍म 973 ई० में ईरान में हुआ था वर्ष 1017 में युद्ध वंदी के रूप में महमूद गजनवी (Mahmud Ghazni) के सम्‍पर्क में आया था वह महमूद गजनवी द्वारा भारत पर आक्रमण के समय भारत आया तथा लगभग 10 वर्षों तक भारत में रहा था।

सुलेमान (Suleiman)
इसका 952 ई० में फारस से भारत आगमन माना जाता है इसका सर्वाधिक महत्‍वपूर्ण ग्रन्‍थ अखवार उल सिन्‍ध बाल हिन्‍द था इसमें उसकी पूर्व तट की यात्रओं का वर्णन है।

अलमसूदी (Al Masudi)
यह एक अरब यात्री था यह 1915-17 ई० तक भारत रहा था उसने अपनी पश्चिम भारत की यात्राओं तथा भोगोलिक दशाओं का वर्णन महजुल जहाव में किया है।

मार्कोपोलो (Marcopolo)
सन 1254 में वेनिश में जन्‍मा मार्कोपोलो एक खोजी यात्री था लेखक था वह सन 1275-77 ई ० में भारत आया था वह पाण्‍डय शासकों के समय मदुरे भी आया था।

इब्नबतूता (Ibn Battuta)
इसका पूरा नाम अवू अब्‍दुला मुहम्‍मद बिन बतूता था यह भारत 12 सितम्‍बर 1333 में अाया और भारत में आठ वषों तक रहा दिल्‍ली के सुल्‍तान मुहम्‍मद विन तुगलक (Muhammad bin Tughlaq) ने इसे दिल्‍ली का काजी नियुक्‍त किया था। बाद में इसे राजदूत बनाकर चीन भेजा गया था।

वास्‍कोडिगामा (Vasco da Gama)
यह पूर्तगाली का एक नाविक था जिसने 10 माह की कठिन यात्रा के पश्‍चात 18 मई 1498 ई० को भारत के कालीकट बन्‍दरगाह पर पहुँचने में सफल रहा। इस प्रकार वास्‍कोडिगामा भारत के लिए हिन्‍दमहासागर के रास्‍ते सर्वाधिक सुविधा जनक समुंद्री मार्ग खोजने वाला प्रथम यूरोपिय बना था