Friday 16 June 2017

अल सल्वाडोर : धातु खनन को प्रतिबंधित करने वाला पहला देश


अल सल्वाडोर मध्य अमेरिका में स्थित सबसे छोटा और सबसे सघन आबादी वाला देश है। यहां पर्याप्त मात्रा में वर्षा होने के बावजूद वर्षा-जल संचयन एक बड़ी समस्या है। अकुशल कृषि प्रक्रियाओं तथा अपर्याप्त औद्योगिक नियंत्रण के कारण यहां व्यापक रूप से भू-क्षरण (Soil Erosion) हुआ है तथा वनों का लगभग पूरी तरह विनाश हो चुका है और इसी के चलते यह समस्या उत्पन्न हुई है। अल सल्वाडोर में वर्ष 1989 से 2009 तक लगातार सत्तारूढ़ रही एरेना पार्टी (Arena Party) द्वारा अपने शासनकाल के दौरान कई खनिज अन्वेषण परियोजनाओं को मंजूरी प्रदान किए जाने के बाद से यहां जल समस्या (Water Crisis) में तीव्र वृद्धि हुई है। उल्लेखनीय है कि खनन गतिविधियों में प्रयुक्त होने वाले जहरीले रसायनों (मुख्यतः सायनाइड), भारी धातुओं तथा अपशिष्ट पदार्थों आदि के कारण यहां का 90 प्रतिशत से अधिक सतही जल संदूषित हो चुका है। इसी परिप्रेक्ष्य में संयुक्त राष्ट्र ने अल सल्वाडोर को लैटिन अमेरिका के ‘पर्यावरणीय रूप से सर्वाधिक विकृत देशों में से एक’ (One of the most Environmentally Degraded Countries) के रूप में सूचीबद्ध किया है।
  • देश के जल संसाधनों को प्रदूषित होने से बचाने की पहल के रूप में अल सल्वाडोर की संसद ने 29 मार्च, 2017 को सभी प्रकार के धातु खनन (Metal Mining) को प्रतिबंधित करने वाले एक ऐतिहासिक विधेयक को पारित कर दिया।
  • इस विधेयक में धात्विक खनिजों के अन्वेषण, निष्कर्षण, प्रसंस्करण तथा दोहन जैसी सभी प्रकार की खनन गतिविधियों के निषेध का प्रावधान किया गया है।
  • अल सल्वाडोर की 84 सदस्यीय संसद में उपस्थित सभी 69 सदस्यों ने सर्वसम्मति से इस विधेयक के पक्ष में मतदान किया।
    27 अप्रैल, 2017 को राष्ट्रपति सल्वाडोर सांचेज सेरेन द्वारा इस विधेयक पर हस्ताक्षर कर दिए जाने के बाद यह अधिनियम प्रभावी हो गया।
  • इस प्रकार धातु खनन पर पूर्णतः प्रतिबंध लगाने वाला अल सल्वाडोर विश्व का पहला देश बन गया है।
  • हालांकि विश्व के कई देशों में सायनाइड के प्रयोग या खुली खान में खनन (Open-Pit Mining) का निषेध जैसे आंशिक प्रतिबंध अस्तित्व में हैं।
  • जहां कोस्टा रिका में खुली खान में खनन प्रतिबंधित है, वहीं अर्जेंटीना में संवेदनशील हिमानी क्षेत्रों में खनन पर रोक है।
  • उल्लेखनीय है कि अल सल्वाडोर ने ‘मध्य अमेरिकी मुक्त व्यापार समझौते’ (CAFTA : Central American Free Trade Agreement) पर वर्ष 2004 में हस्ताक्षर किए थे।
  • कई मध्य अमेरिकी देशों एवं संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच हुए इस समझौते ने अल सल्वाडोर में बहुराष्ट्रीय कंपनियों जैसे होल्सिम (Holcim), मोंसैंटो (Monsanto) तथा पैसिफिक रिम (Pacific Rim) के खनन कार्य आरंभ करने का मार्ग प्रशस्त कर दिया था।
  • अल सल्वाडोर में खनन को प्रतिबंधित करने की दिशा में गंभीर प्रयास वर्ष 2008 में तब प्रारंभ हुए जब तत्कालीन राष्ट्रपति एंटोनिया साका ने खनन परमिट पर रोक लगा दी तथा देश के उत्तरी प्रांत कबानस में स्थित ‘अल डोराडो खनन परियोजना’ (El Dorado Mining Project) को निरस्त कर दिया।
  • मूल रूप से वैंकूवर स्थित पैसिफिक रिम माइनिंग कॉर्पोरेशन के वामित्व वाली इस परियोजना को वर्ष 2013 में ऑस्ट्रेलियन-कनाडियन कंपनी ओशेनागोल्ड (Oceana Gold) ने खरीद लिया था।
  • इस परियोजना में प्रयुक्त होने वाले विषैले रसायनों से देश की राजधानी सहित आस-पास के 65 किमी. क्षेत्र के प्रभावित होने की आशंका थी।
  • इस परियोजना को निरस्त करने के निर्णय के चलते ओशेनागोल्ड ने अल सल्वाडोर की सरकार पर निवेशकों के अधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए 250 मिलियन डॉलर के हर्जाने की मांग की थी।
  • मुक्त व्यापार समझौते के नियमों के तहत इस मामले की सुनवाई विश्व बैंक के एक न्यायाधिकरण आईसीएसआईडी (ICSID : International Centre for Settlement of Investment Disputes) द्वारा की गई।
  • न्यायालय ने ओशेनागोल्ड को खनन परमिट प्राप्त करने के लिए मूल आवश्यकताओं का अनुपालन न करने का दोषी ठहराते हुए निर्णय अल सल्वाडोर की सरकार के पक्ष में सुनाया।
  • साथ ही न्यायालय ने मुकदमे के दौरान हुए कानूनी खर्च के एवज में ओशेनागोल्ड द्वारा अल सल्वाडोर की सरकार को 8 मिलियन डॉलर के भुगतान का आदेश दिया।