China Pakistan Economic Corridor (Author: Rajeev Ranjan)
चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) पाकिस्तान के ग्वादर से लेकर चीन के शिनजियांग प्रांत के काशगर तक लगभग 2442 किलोमीटर लम्बी एक वाणिज्यिक परियोजना है। इस परियोजना की लागत 46 अरब डॉलर आंकी जा रही है।
चीन इस परियोजना के लिए पाकिस्तान में इतनी बड़ी मात्रा में पैसा निवेश कर रहा है कि वो साल 2008 से पाकिस्तान में होने वाले सभी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के दोगुने से भी ज्यादा है। चीन का यह निवेश साल 2002 से अब तक पाकिस्तान को अमरीका से मिली कुल आर्थिक सहायता से भी ज्यादा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इससे पाकिस्तान में रोज़गार के अवसरों में वृद्धि होगी और पिछले तीन दशकों से खराब हालत में चल रही पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को संजीवनी देने का काम करेगाl इस महत्वाकांक्षी परियोजना को चीन द्वारा "वन बेल्ट एंड वन रोड" या नई सिल्क रोड परियोजना भी कहा जाता है। नवम्बर 2016 में शुरू हुई इस परियोजना के तहत चार लेन के वाहन मार्ग की आधारशिला रखी गई है।
इस परियोजना के क्या उद्येश्य हैं?
इस परियोजना का प्रमुख उद्येश्य रेलवे और हाइवे के माध्यम से तेल और गैस का कम समय में वितरण करना है। इस परियोजना में - सड़कों, रेलवे, पाइपलाइनों, जल विद्युत संयंत्रों, ग्वादर बंदरगाह का विकास और अन्य विकास परियोजनाओं का विकास किया जायेगा। सूचनाओं के अनुसार ग्वादर बंदरगाह को इस तरह से विकसित किया जा रहा है, ताकि पाकिस्तान 19 मिलियन टन कच्चे तेल को चीन तक सीधे भेजने में सक्षम होगा।
भारत विरोध क्यों कर रहा है?
भारत द्वारा इसका विरोध इस कारण किया जा रहा है क्योंकि यह गलियारा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) के गिलगित-बाल्टिस्तान और पाकिस्तान के विवादित क्षेत्र बलूचिस्तान से होते हुए जायेगा। यातायात और ऊर्जा का मिला-जुला यह प्रोजेक्ट समंदर में बंदरगाह को विकसित करेगा जो भारतीय हिंद महासागर तक चीन की पहुँच का रास्ता खोल देगा।
ग्वादर, बलूचिस्तान के अरब सागर तट पर स्थित है। पाकिस्तान के दक्षिण-पश्चिम का यह हिस्सा दशकों से अलगाववादी विद्रोह का शिकार है, जबकि काशगर चीन के मुस्लिम बहुल इलाके शिनजियांग में स्थित है।आर्थिक गलियारा उन इलाक़ों से होकर गुज़रेगा जो पाकिस्तान तालिबान लड़ाकों के हमले की जद में आते हैं।इसी माहौल के कारण भारत को इस बात का डर भी है कि इस परियोजना के कारण भारत के आस पास के क्षेत्र में अशांति फैलने का डर बना रहेगा।
चीन को इस परियोजना से क्या फायदा होगा?
➤ चीनियों के लिए यह रिश्ता रणनीतिक महत्व का हैl यह गलियारा चीन को मध्यपूर्व और अफ्रीका तक पहुँचने का सबसे छोटा रास्ता मुहैया कराएगा, जहाँ हजारों चीनी कंपनियां कारोबार कर रही हैंl
➤ इस परियोजना से शिनजिंयाग को भी कनेक्टिविटी मिलेगी और सरकारी एवं निजी कंपनियों को रास्ते में आने वाले पिछड़े इलाकों में अपनी आर्थिक गतिविधियां चलाने का मौका मिलेगा, जिससे रोजगार के अवसर पैदा होंगेl
➤ अमेरिका द्वारा पाकिस्तान पर शिकंजा कसते हुए उसकी आर्थिक सहायता में कमी कर दी गयी है l दूसरी ओर भारत की अमेरिका से बढती नजदीकी के बीच चीन पाकिस्तान के साथ अपने रिश्ते और भी मीठे करने में लगा है l चीन, पाकिस्तान के विकास को बढ़ावा देकर भारत पर दबाव बढ़ाना चाहता है l
➤ वर्तमान में मध्यपूर्व, अफ़्रीका और यूरोप तक पहुंचने के लिए चीन के पास एकमात्र व्यावसायिक रास्ता मलक्का जलडमरू है; यह लंबा होने के आलावा युद्ध के समय बंद भी हो सकता हैl
➤ चीन एक पूर्वी गलियारे के बारे में भी कोशिश कर रहा है जो म्यांमार, बांग्लादेश और संभवतः भारत से होते हुए बंगाल की खाड़ी तक जाएगाl
पाकिस्तान को क्या फायदा होगा
➤ रोजगार के अवसर बढ़ेंगेl
➤ आधारभूत संरचना का विकास बढेगाl
➤ अमेरिका द्वारा दी जाने वाली आर्थिक सहायता पर निर्भरता कम होगीl
➤ पाकिस्तान के चीन के मधुर रिश्ते होने के कारण भारत पर दबाव बनाने का प्रयास किया जायेगा।
➤ अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा चीन और पाकिस्तान के बीच आर्थिक संबंधों की दिशा में एक नया अध्याय है और यह बढती प्रगाढ़ता भारत के लिए चिंता का विषय बन सकती है क्योंकि इस गलियारे के माध्यम से चीन की पहुँच हिन्द महासागर तक हो जायेगी जो कि भारत के लिए कभी भी शुभ खबर नहीं कही जा सकती है।