महिला और बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने #MeToo के तहत आए मामलों की जांच करने के लिए एक कमेटी गठित करने की घोषणा की है। वरिष्ठ न्यायविद् और कानून के पेशे से जुड़े लोग इसके मेंबर होंगे और सारे मामलों की जांच करेंगे।
देश भर में #MeToo कैंपेन के तहत आ रहीं यौन शोषण की शिकायतों के बीच मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है।
मुख्य तथ्य
➤ गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों में केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर और सिनेमा जगत की कई हस्तियों के खिलाफ #MeToo के तहत यौन उत्पीड़न की शिकायतें आई हैं। मेनका गांधी ने इन शिकायतों की जांच के लिए कमेटी की घोषणा की है।
➤ मंत्रालय के मुताबिक अगले एक या दो दिनों में कमेटी का गठन हो जाएगा, इसके बाद सभी संबंधित पक्ष आकर अपनी शिकायतें यहां रख सकते हैं।
➤ ये कमेटी कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की शिकायतों से निपटने के मौजूद कानूनी पहलुओं और फ्रेमवर्क का अध्ययन करेगी और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को सलाह देगी कि इन्हें और भी कैसे मजबूत किया जा सके।
➤ मेनका गांधी ने कहा कि कार्यस्थलों पर महिलाओं का उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि कमेटी के सामने आकर महिलाएं अपनी शिकायत दर्ज करा सकेंगी।
➤ केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने कहा है कि चार सेवानिवृत न्यायाधीशों की एक समिति #MeToo अभियान से जुड़े मामलों की जनसुनवाई करेगी। वरिष्ठ न्यायाधीशों और कानूनी विशेषज्ञों वाली यह प्रस्तावित समिति इस अभियान से जुड़े सभी पक्षों पर विचार करेगी।
विश्व में किस महिला ने शुरू किया था ‘#MeToo' मूवमेंट?
‘#MeToo’ मूवमेंट की शुरुआत अमेरिकी महिला तराना बर्क ने यौन शोषण पीड़िताओं की सहायता के लिए वर्ष 2006 में की थी। दरअसल, वर्ष 1997 में 13 वर्षीय पीड़िता से बातचीत में बर्क ने कहा था की "MeToo (मेरे साथ भी हुआ)"। इसकी चर्चा पिछले साल मिली जब ऐक्ट्रेस एलिसा मिलानो ने 'MeToo' ट्वीट कर यौन शोषण के खिलाफ आवाज उठाई।