हिमाचल प्रदेश में सुरंग के अंदर रेलवे स्टेशन बनाया जाएगा जो देश में इस तरह का पहला स्टेशन होगा।
➤ हिमाचल प्रदेश के केलांग में बनने वाला यह स्टेशन समुद्र तल से तीन हजार मीटर की ऊंचाई पर होगा।
➤ यह चीन और भारत सीमा के लिहाज से रणनीतिक महत्व के भानुपल्ली-बिलासपुर-मनाली-लेह रेलमार्ग का हिस्सा है।
➤ कोलकाता एवं दिल्ली में कई ऐसे मेट्रो स्टेशन हैं जो जमीन के अंदर बने हैं, लेकिन देश में जल्द ही अब एक रेलवे स्टेशन भी ऐसा होगा जो सुरंग के भीतर बनाया जाएगा।
➤ हिमाचल प्रदेश के केलांग में बनने वाला यह स्टेशन समुद्र तल से तीन हजार मीटर की ऊंचाई पर होगा।
➤ यह चीन और भारत सीमा के लिहाज से रणनीतिक महत्व के भानुपल्ली-बिलासपुर-मनाली-लेह रेलमार्ग का हिस्सा है।
➤ कोलकाता एवं दिल्ली में कई ऐसे मेट्रो स्टेशन हैं जो जमीन के अंदर बने हैं, लेकिन देश में जल्द ही अब एक रेलवे स्टेशन भी ऐसा होगा जो सुरंग के भीतर बनाया जाएगा।
परियोजना की लागत
रेलवे के अधिकारियों के अनुसार परियोजना की लागत 83,360 करोड़ रुपये आंकी गई है। इस रेलमार्ग के लिए अंतिम सर्वेक्षण 30 महीनों में पूरा होने की उम्मीद है।
केलांग के बारे में
केलांग, हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति जिले का प्रशासनिक केंद्र है। यह मनाली से 26 किलोमीटर और भारत-तिब्बत सीमा से 120 किलोमीटर दूर है।
27 किलोमीटर लंबी सुरंग
यह स्टेशन लगभग 3,000 मीटर की ऊंचाई पर होगा और अंदर 27 किलोमीटर लंबी सुरंग का हिस्सा होगा। इस मार्ग पर 74 सुरंग बननी हैं। साथ ही 124 बड़े पुल और 396 छोटे पुलों का भी निर्माण किया जाना है।
कार्य तीन चरणों में पूरा
यह कार्य तीन चरणों में पूरा किया जाएगा। पहले फेस में डिजिटल माध्यम से मॉडलों का मूल्यांकन होगा, दूसरे फेज में बेहतर अलाइनमेंट को लेकर काम होगा। तीसरे फेज में पुल और सुरंगों की एक परियोजना रिपोर्ट बनेगी। इसमें अधिकतर पुल और सुरंगे होंगी।
दिल्ली और लेह के बीच समय की बचत
इस रेलमार्ग के पूरा हो जाने पर दिल्ली एवं लेह के बीच की दूरी पूरा करने में लगने वाला समय लगभग आधा हो जाएगा। फिलहाल इस दूरी को पूरा करने में लगभग 40 घंटे लगते हैं, रेलमार्ग बनने के बाद यह समय लगभग 20 घंटे हो जाएगा।
इस मार्ग के पूरा होने पर बिलासपुर और लेह के बीच में सुंदरनगर, मंडी, मनाली, केलांग, कोकसार, दारचा, उप्शी और कारू रेलवे स्टेशन होंगे। यह रेलमार्ग भारत और चीन सीमा पर सामान तथा कर्मचारियों की आवाजाही के लिहाज से रणनीतिक तौर पर अहम है।
लेह-मनाली-हाईवे
लेह-मनाली हाईवे (500 किलोमीटर) बर्फबारी के वजह से सात महीने के लिए देश और दुनिया से कटा रहता है। यहाँ पर रोहतांग पास के अलावा, बारालाचा, तंगलंगला, दारचा, केलांग जैसे स्थानों पर भारी बर्फ गिरती है और हाईवे पूरी तरह से बंद हो जाता है. रोहतांग पास से आगे वाहनों की आवाजाही बंद हो जाती है।
पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण
यह परियोजना देश की सामरिक जरूरतों, सामाजिक-आर्थिक विकास और पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।इससे लेह-लद्दाख के विकास में तेजी आएगी और पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। अभी लेह से सबसे नजदीक रेलवे स्टेशन हिमाचल प्रदेश का भानुपल्ली है और वहाँ से लेह की दूरी 730 किलोमीटर है। रेल सेवा शुरू होने से पूरे वर्ष आवागमन संभव हो सकेगा। चीन की सीमा के नजदीक होने के कारण यह रेल परियोजना सामरिक रूप से भी बेहद महत्वपूर्ण है। इसलिए इसके निर्माण में भारतीय सेना की जरूरतों का भी पूरा ख्याल रखा जा रहा है।
ट्रेन में विशेष तरह के कोच
अधिक ऊंचाई की वजह से लेह-लद्दाख में ऑक्सीजन की कमी रहती है। इसे ध्यान में रखकर यहां चलने वाली ट्रेन में विशेष तरह के कोच लगाए जाएंगे। स्टेशन के बनावट में भी इसका ध्यान पूरा रखा जाएगा कि यात्रियों को किसी तरह की परेशानी नहीं हो।
केंद्रीय बजट में 422 करोड़ रुपये का प्रावधान
हिमाचल में रेलवे के विकास हेतु वर्ष 2018-19 के केंद्रीय बजट में 422 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया। जिसे प्रस्तावित चार रेल परियोजनाओं पर खर्च किया जाएगा। इस बजट में सबसे ज्यादा राशि 120 करोड़ रुपए चंडीगढ़-बद्दी रेल लाइन (33.23 किमी), 120 करोड़ ही भानुपल्ली-बिलासपुर-बेरी रेलवे लाइन (63.1 किमी) के लिए दी गई है।