India's first National Environment Survey is announced (Author: Rajeev Ranjan)
पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा हाल ही में घोषणा की गई कि जनवरी 2019 से देश के 24 राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों के 55 जिलों में भारत का पहला राष्ट्रीय पर्यावरण सर्वेक्षण (एनईएस) आयोजित किया जायेगा।
सर्वेक्षण के संपूर्ण ग्रीन डेटा का पहला सेट 2020 से उपलब्ध होगा जो कि जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तरों पर निर्णय लेने के लिये नीति निर्माताओं के हाथों में एक महत्त्वपूर्ण उपकरण प्रदान करेगा।
राष्ट्रीय पर्यावरण सर्वेक्षण
➤ सर्वेक्षण विभिन्न पर्यावरणीय मानकों जैसे- वायु, जल, मिट्टी की गुणवत्ता, उत्सर्जन सूची, ठोस, खतरनाक तथा ई-अपशिष्ट, वन तथा वन्यजीव, जीव तथा वनस्पति, आर्द्रभूमि, झीलों, नदियों और अन्य जल निकायों पर व्यापक डेटा एकत्र करने के लिये ग्रिड-आधारित दृष्टिकोण के माध्यम से किया जाएगा।
➤ यह देश भर के सभी जिलों की कार्बन आच्छादन क्षमता का भी आकलन करेगा।
➤ राष्ट्रीय पर्यावरण सर्वेक्षण सभी जिलों को उनके पर्यावरण प्रदर्शन पर रैंक प्रदान करेगा और वहां मौजूद सबसे हरित क्षेत्र आदि के बारे में बताएगा।
➤ सर्वेक्षण के बाद अगले वर्ष अर्थात 2020 से डेटा उपलब्ध होगा क्योंकि एकत्रित डेटा को संकलित करने में इतना समय लग जायेगा।
➤ देश के सभी 716 जिलों में तीन से चार साल की अवधि में सर्वेक्षण किये जाने की उम्मीद है। वर्तमान में, सभी 55 जिलों में आवश्यक प्रारंभिक कार्य और प्रशिक्षण किया जा रहा है जहाँ अगले वर्ष राष्ट्रीय पर्यावरण सर्वेक्षण आयोजित किया जाएगा।
➤ इन 55 जिलों में दक्षिण दिल्ली, महाराष्ट्र में पुणे और पालघर, हरियाणा में गुरुग्राम और मेवाट शामिल हैं।
➤ हिमाचल प्रदेश में कुल्लू, बिहार में नालंदा, झारखंड में धनबाद, गुजरात में जामनगर एवं मेहसाना, राजस्थान में अलवर एवं बाड़मेर, तमिलनाडु में कोयम्बटूर एवं मदुरै, कर्नाटक में शिमोगा तथा तेलंगाना में हैदराबाद शामिल हैं।
सर्वेक्षण के लाभ
यह सर्वेक्षण नीति निर्माताओं को सटीक डेटा प्रदान करेगा जिससे वे पर्यावरण संबंधित उचित निर्णय ले सकेंगे।अभी तक देश में इस प्रकार का कोई सर्वेक्षण नहीं हुआ था जिसके चलते किसी क्षेत्र विशेष के लिए योजनाएं लागू करने से पूर्व इसकी आवश्यकता महसूस होती थी।
वर्तमान में देश के अधिकांश मानकों पर द्वितीयक डेटा उपलब्ध है। हालाँकि, राष्ट्रीय पर्यावरण सर्वेक्षण पहली बार सभी हरित भागों पर प्राथमिक डेटा प्रदान करेगा। यह उसी प्रकार का होगा जैसे राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण समय-समय पर विभिन्न सामाजिक-आर्थिक डेटा एकत्र करता है।