The Nobel Prize in Peace 2018 (Author: Rajeev Ranjan)
नोबेल पुरस्कार चयन समिति ने 05 अक्टूबर 2018 को शांति क्षेत्र में कार्य करने के लिए डेनिस मुकवेगे तथा नादिया मुराद को पुरस्कृत किये जाने की घोषणा की।
बता दें कि इन दोनों ने यौन हिंसा को युद्ध के हथियार की तरह इस्तेमाल होने के खिलाफ प्रयास में अपना बड़ा योगदान दिया है।
दूसरी सबसे कम उम्र की नोबेल पुरस्कार विजेता
➤ गौरतलब है कि नादिया मुराद मलाला युसूफजई के बाद दूसरी सबसे कम उम्र की नोबेल पुरस्कार विजेता हैं।
➤ मलाला युसूफजई को वर्ष 2014 में 17 साल की उम्र में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
शांति पुरस्कार हेतु कुल 331 लोगों का नाम
ओस्लो में घोषित किए जाने वाले शांति पुरस्कार के लिए कुल 331 लोगों और संगठनों का नाम मुकाबले में थे।साल 2016 में 376 लोगों का नामांकन नोबेल शांति पुरस्कार के लिए किया गया था। नामांकित व्यक्तियों की दूसरी सबसे बड़ी संख्या थी। बता दें कि नोबेल समिति उम्मीदवारों की लिस्ट गुप्त रखती है, केवल विजेताओं के नाम की ही घोषणा की जाती है. अब तक 98 नोबेल शांति पुरस्कार दिए जा चुके हैं।
संयुक्त राष्ट्र में सुनाई आपबीती
नादिया मुराद ने अपने साथ हुए अत्याचार को लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ की सिक्योरिटी काउंसिल में बयान दिया था। उन्होंने बताया था कि आईएसआईएस के आतंकी उसके साथ शारीरिक और मानसिक अत्याचार करते थे।उसने बताया कि आतंकी उसे उठाकर इराक के मोसुल लेकर गए थे।
कौन हैं नादिया मुराद?
नादिया मुराद बसी ताहा का जन्म इराक के कोजो में 1993 में हुआ था। 25 साल की नादिया मुराद उन तीन हजार यजीदी लड़कियों में शामिल हैं, जिन्हें इस्लामिक स्टेट की कैद रहना पड़ा। आईएस के लोगों ने उन्हें हर तरह से प्रताड़ित किया। उन्होंने आईएस की कैद में तरह तरह के जुल्म झेले। जब वो किसी तरह वो वहाँ से बाहर आईं तो उन्होंने दुनिया को बताया कि इराक में यजीदी महिलाओं के साथ किस-किस तरह का जुल्म ढाया गया। साल 2016 में नादिया को यूरोपियन संघ का सखारोव मानवाधिकार सम्मान से भी नवाजा जा चुका है। इसी साल नादिया को यूरोप के वेकलेव हावेल मानवाधिकार सम्मान से भी नवाजा गया था।
नादिया मुराद इराक की यजीदी मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं। नादिया मुराद अभियान की संस्थापक हैं। यह संस्था उन महिलाओं और बच्चों की मदद करती है जो नरसंहार, सामूहिक अत्याचार और मानव तस्करी के पीड़ित होते हैं। संस्था उन्हें अपनी जिंदगी दोबारा जीने और उन बुरी यादों से उबरने में मदद करती है।
डेनिस मुकवेगे कौन हैं?
डेनिस मुकवेगे अफ्रीकी देश कांगो के गायनेकॉलॉजिस्ट हैं। उन्होंने सहयोगियों के साथ मिलकर कांगो में गैंगरेप की 30 हजार पीड़िताओं का इलाज किया है। इन महिलाओं के साथ वहाँ के बागियों ने सामूहिक दुष्कर्म किया था। डेनिस को 2014 में यूरोपीय संसद का सखारोव पुरस्कार भी मिल चुका है। डेनिस मुकवेगे ने अपना पूरा जीवन युद्ध के दौरान यौन हिंसा की शिकार हुई पीड़ितों की सेवा में लगा दिया। डॉ. मुकवेगे और उनकी टीम अब तक कांगो के बुकाबू स्थित अपने अस्पताल में हजारों पीड़ितों का इलाज कर चुकी है। डॉ. मुकवेगे ने वर्ष 2008 में इस अस्पताल की स्थापना की थी। कांगो में लंबे समय तक चले गृहयुदध के दौरान साठ लाख से ज्यादा नागरिक प्रभावित हुए थे। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुके डॉ. डेनिस मुकवेगे का कहना है कि न्याय पाना सभी का हक है।