भारत दूध उत्पादन में पहले स्थान पर है। इसके बावजूद सरकार दुग्ध उत्पादन की मात्रा को बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है और इस बार सरकार ने कृत्रिम गर्भाधान के लक्ष्य को बढ़ाने के साथ-साथ दूध उत्पादन के लक्ष्य को भी बढा कर 2023-24 तक 300 मिलियन टन पहुँचाने का लक्ष्य लखा है।
➤सरकारी आंकड़ों के मुताबिक भारत में 2015-16 के दौरान 155.48 मिलियन टन वार्षिक दूध का उत्पदन हुआ, जो विश्व के उत्पादन का 19 प्रतिशत है।
➤पशुपालन, डेयरी और मत्स्यपालन विभाग, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने 2023-24 तक 300 मिलियन टन दूध उत्पादन का राष्ट्रीय लक्ष्य रखा है। गायों की दूध उत्पादकता को 2.15 किग्रा प्रतिदिन से बढ़ाकर 5.00 किग्रा प्रतिदिन करने का भी लक्ष्य रखा गया है।
19वीं पशुधन संगणना
➤2012 के अनुसार भारत में 300 मिलियन बोवाईन (गोजातीय) आबादी है। 190 मिलियन गोपशु आबादी में से 20 प्रतिशत विदेशी तथा वर्ण संकरित (39 मिलियन) हैं तथा लगभग 80 प्रतिशत देसी तथा नॉन-डिस्क्रिप्ट नस्लों के हैं।
➤हालांकि भारत में विश्व आबादी के 18 प्रतिशत से भी अधिक गाय हैं, लेकिन गरीब किसान की सामान्य भारतीय गाय प्रतिदिन मुश्किल से 1 से 2 लीटर दूध देती है। 80 प्रतिशत गाय के केवल 20 प्रतिशत दूध का योगदान देती हैं।
➤सरकार का मानना है कि भारत ने दूध उत्पादन में अपने उच्च स्तर को बनाए रखा है फिर भी दूसरी ओर देसी तथा नॉन-डिस्क्रिप्ट (जो किसी वर्ग मे न आए) नस्ल के लगभग 80 प्रतिशत गोपशु कम उत्पादकता वाले हैं, जिनकी उत्पादकता में उपयुक्त प्रजनन तकनीकों को अपनाकर सुधार किए जाने की आवश्यकता है।
➤उत्पादकता में वृद्धि करने की महत्वपूर्ण कार्यनीति कृत्रिम गर्भाधान (एआई) सुनिश्चित करना है। कृत्रिम गर्भाधान देश में बोवाईनों (गोजातीय) की आनुवंशिक क्षमता का बढ़ाते हुए उनके दूध उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाकर बोवाइन (गोजातीय) आबादी की उत्पादकता में सुधार करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।
➤इस मूल गतिविधि को राष्ट्रीय गौकुल मिशन की एकछत्र योजना के अंतर्गत चल रही अग्रणी योजनाओं, राष्ट्रीय बोवाईन प्रजनन (एनपीबीबी) तथा देसी नस्लों संबंधी कार्यक्रम (आईबी) के माध्यम से पोषित किया जाता है।
➤इन योजनाओं में दोहरे लाभ का विचार किया गया है, जैसे (i) उत्पादकता में सुधार करना और दूध उत्पादन को बढ़ाना तथा (ii) किसानों की आय को बढ़ाना जिससे 2020 तक उनकी आय को दोगुना करने के सरकार के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता मिलेगी।
➤हालांकि योजना के अंतर्गत किसानों के घर तक सीएमएन पहुचाने की व्यवस्था में काफी सुधार किया गया है उसके बावजूद कृत्रिम गर्भाधान कवरेज अभी तक प्रजनन योग्य आबादी का 26 प्रतिशत ही है।
➤2020 तक किसानों की आय को दोगुना करने के सरकार के लक्ष्य में सहायता करने के लिए 2017-18 के लिए 100 मिलियन कृत्रिम गर्भाधान के राज्य-वार लक्ष्य को साझा किया गया है। इस संबंध में पशुपालन, डेयरी और मत्स्यपालन विभाग द्वारा राज्यों को निर्देश दिए गए है।
➤उत्पादकता में वृद्धि करने की महत्वपूर्ण कार्यनीति कृत्रिम गर्भाधान (एआई) सुनिश्चित करना है। कृत्रिम गर्भाधान देश में बोवाईनों (गोजातीय) की आनुवंशिक क्षमता का बढ़ाते हुए उनके दूध उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाकर बोवाइन (गोजातीय) आबादी की उत्पादकता में सुधार करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।
➤इस मूल गतिविधि को राष्ट्रीय गौकुल मिशन की एकछत्र योजना के अंतर्गत चल रही अग्रणी योजनाओं, राष्ट्रीय बोवाईन प्रजनन (एनपीबीबी) तथा देसी नस्लों संबंधी कार्यक्रम (आईबी) के माध्यम से पोषित किया जाता है।
➤इन योजनाओं में दोहरे लाभ का विचार किया गया है, जैसे (i) उत्पादकता में सुधार करना और दूध उत्पादन को बढ़ाना तथा (ii) किसानों की आय को बढ़ाना जिससे 2020 तक उनकी आय को दोगुना करने के सरकार के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता मिलेगी।
➤हालांकि योजना के अंतर्गत किसानों के घर तक सीएमएन पहुचाने की व्यवस्था में काफी सुधार किया गया है उसके बावजूद कृत्रिम गर्भाधान कवरेज अभी तक प्रजनन योग्य आबादी का 26 प्रतिशत ही है।
➤2020 तक किसानों की आय को दोगुना करने के सरकार के लक्ष्य में सहायता करने के लिए 2017-18 के लिए 100 मिलियन कृत्रिम गर्भाधान के राज्य-वार लक्ष्य को साझा किया गया है। इस संबंध में पशुपालन, डेयरी और मत्स्यपालन विभाग द्वारा राज्यों को निर्देश दिए गए है।