- भक्तिकाल का एक कवि अवतारवाद और मूर्तिपूजा के विरोधी हैं। इसके बावजूद वे हिन्दुओं के जन्म-मृत्यु सम्बन्धी सिद्धांत को मानते हैं, ऐसे रचनाकार हैं→कबीर
- प्रथम सूफी प्रेमाख्यानक काव्य के रचयिता हैं→मुल्ला दाऊद
- भक्तिकालीन कवियों में एक ऐसा ख्यातिलब्ध रचनाकार है जो अपने काव्य में लोकव्यापी प्रभाव वाले कर्म और लोकव्यापिनी दशाओं के वर्णन में माहिर है। ऐसे रचनाकार का नाम है→तुलसीदास
- 'जायसी -ग्रंथावली' के सम्पादक का नाम है→रामचन्द्र शुक्ल
- दोहा छन्द में श्रृंगारी रचना प्रस्तुत करने वालों में हिन्दी के सर्वाधिक ख्यातिलब्ध कवि हैं→बिहारी
- 'कंचन तन धन बरन बर रहयौ रंग मिलि रंग। जानी जाति सुबास ही केसरि लाई अंग॥' उपर्युक्त पंक्तियाँ किसकी हैं?→ बिहारी
- जलप्लावन भारतीय इतिहास की ऐसी प्राचीन घटना है जिसको आधार बनाकर छायावादी युग में एक महाकाव्य लिखा गया है। उसका नाम है→कामायनी
- शब्दार्थों सहित काव्यम् यहउक्ति किसकी है→भामह
- ढ़ाई आखर प्रेम के, पढ़ै सो पंडित होय॥ प्रस्तुत पंक्ति केरचयिता हैं→कबीर दास
- चौपाई के प्रत्येक चरण में मात्राएँ होती हैं→16
- 'संदेश रासक' के रचयिता हैं→अब्दुल रहमान
- 'साखी' के रचयिता हैं→कबीरदास
- लोगहिं लागि कवित्त बनावत, मोहिं तौ मेरे कवित्त बनावत॥ प्रस्तुत पंक्ति के रचयिता हैं→घनानन्द
- बैर क्रोध का अचार या मुरब्बा है, यह कथन किसका है→रामचन्द्र शुक्ल
- रामभक्त कवि नहीं हैं→नरोत्तमदास
- जीवन में हास्य का महत्त्व इसलिए है कि, वह जीवन को→सरस बनाता है
- श्रृंगार रस का स्थायी भाव है→रति
- रहीम द्वारा लिखित इन पंक्तियों में 'बड़े' शब्द का प्रयोग जिस रूप में हुआ है, वह है- बड़े बड़ाई ना करें, बड़े न बोलें बोल।
- रहिमन हीरा कब कहै, लाख टका मेरो मोल॥→ संज्ञा
- किस रस का संचारी भाव उग्रता, गर्व, हर्ष आदि है→वीर
- कबीरदास की भाषा थी→सधुक्कड़ी
- "रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून" में कौन-सा अलंकार है→श्लेष
- 'कितने पाकिस्तान' नामक उपन्यास के लेखक हैं→कमलेश्वर
- राजेन्द्र कुमार द्वारा सम्पादित पुस्तक 'आलोचना का विवेक' किस विधा से संबंधित है→आलोचना
- 'भ्रमरगीत' के रचयिता हैं→सूरदास
- 'ईदगाह' कहानी के रचनाकार हैं→प्रेमचंद
- कवि कालिदास की 'अभिज्ञान शाकुंतलम' का हिन्दी अनुवाद किसने किया→राजा लक्ष्मण सिंह
- 'यह काम मैं आप कर लूँगा', पंक्तियों में 'आप' है→निजवाचक सर्वनाम
- 'तरनि तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाए' में कौन-सा अलंकार है→अनुप्रास अलंकार
- मुगल काल में किस भाषा को रेख्यां कहा गया है→उर्दू
- मुगल काल की राजकीय भाषा थी→उर्दू
- हिन्दी भाषा बोलने वाले भारतीयों का प्रतिशत लगभग है→40 प्रतिशत
- दक्षिण भारत में हिन्दी भाषा के क्षेत्र में किसने प्रचार-प्रसार किया→सी. राजगोपालाचारी
- हिन्दी के पश्चात भारत की दूसरी सर्वाधिक बोली जाने वालीभाषा है→बांग्ला
- दक्षिण भारत की सर्वाधिक प्राचीन भाषा है→तमिल
- भारत की किस भाषा को 'इटालियन ऑफ द ईस्ट' कहा जाता है→तेलुगु
- गंगा छवि वर्णन' कविता के रचनाकार हैं→भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
- 'अनामदास का पौधा' उपन्यास के रचयिता हैं→हजारी प्रसाद द्विवेदी
- 'वही मनुष्य है जो मनुष्य के लिए मरे' के रचयिता हैं→मैथिलीशरण गुप्त
- कौन-सी भाषा देवभाषा है→संस्कृत
- चोल शासकों की भाषा क्या थी→तमिल
- भारत की तीसरी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है→तेलुगु
- आचार्य विश्वनाथ प्रसाद मिश्र ने रीतिकाल को 'श्रृंगारकाल' नाम दिया, लेकिन उन्होंने इस पर जो ग्रंथ लिखा, उसका नाम 'हिन्दी का श्रृंगारकाल' नहीं है, बल्कि उसका नाम है→हिन्दी साहित्य का अतीत, भाग -2
- 'भारत मित्र' पत्र (जो कलकत्ता से सन् 1934 में प्रकाशित हुआ था) के एक सम्पादकथे→रुद्रदत्त शर्मा
- 'मेवाड़ की पन्ना' नामक धाय के अलौकिक त्याग का ऐतिहासिक वृत्त लेकर 'राजमुकुट' नाटक की रचना की गई थी, इस नाटक के लेखक का नाम है→गोविंद बल्लभ पंत
- डॉ. कृष्ण शंकर शुक्ल ने आचार्य केशवदास पर एक समीक्षात्मक पुस्तक लिखी थी, उस पुस्तक का नाम है?→ केशव की काव्यकला
- 'आत्मनिर्भरता' निबंध के रचनाकार हैं→बालकृष्ण भट्ट
- 'समांतर कहानी' के प्रवर्तक कौन थे→कमलेश्वर
- 'श्रद्धा' किस कृति की नायिका हैं→कामायनी
- 'तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियहिं न पान'। इस पंक्ति के रचयिता हैं→रहीम
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