उपरोक्त घटना के आलोक में निम्नलिखित विकल्पों पर विचार किया जा सकता है:-
1. घटना के विश्लेषण से यह ज्ञात होता है कि यह दो व्यक्तियों के अधिकारों (मानवाधिकार) के उल्लंघन का मामला है, जो कि कानूनी रूप से भी स्वीकृत नहीं है। अतः बाल-विवाह के आयोजन को रोकना ही हमारा प्राथमिक उद्देश्य होगा। अतः इस परिस्थिति में ‘नैतिक अनुनयन’ (Ethical persuasion) का सहारा लेकर बाल-विवाह कराने वाले अभिभावक से संपर्क स्थापित कर बाल-विवाह के दुष्परिणाम को बताकर उन्हें इस आयोजन को रोक देने की अपील करूँगा।
2. चूँकि, इस आयोजन में समाज के प्रतिष्ठित व राजनीतिक पहुँच रखने वाले लोग भी शामिल हो रहे हैं। अतः उनसे भी संपर्क स्थापित कर यह बताने का प्रयास करूँगा कि आप जिस आयोजन में हिस्सा लेने जा रहे हैं, वह एक कानूनन अपराध है। उन्हें यह बताने का प्रयास करूँगा कि आप समाज के प्रतिष्ठावान चरित्र हैं, समाज के अन्य लोग आप ही के कदमों का अनुसरण करते हैं, अतः आप बाल-विवाह के दुष्परिणाम को बताकर अभिभावकों से इसे अविलंब रोकने की अपील करें। इससे समाज में आपकी गरिमा और भी बढ़ेगी।
3. चूँकि, उपर्युक्त दोनों विकल्प अनुनयन पर आधारित हैं। अतः यह संभावना है कि अभिभावक उसे मानने से इनकार कर दे। अतः तीसरे विकल्प के रूप में कानूनी कार्यवाही का सहारा लेना पड़ेगा। इस क्रम में आयोजन में शामिल व्यक्तियों को चिह्नित कर उपयुक्त कार्रवाई की जाएगी।
4. चूँकि गाँव की पृष्ठभूमि छोटी-छोटी बात पर उग्र व हिंसक प्रदर्शन करने की है, अतः सुरक्षा संबंधी सावधानी को भी ध्यान में रखना होगा। यदि कानूनी कार्यवाही के दौरान (गिरफ्तारी आदि के क्रम में) उग्र व हिंसक वारदातें होती हैं तो बल-प्रयोग के लिये भी तैयार रहूँगा।
5. इसके अतिरिक्त, बाल-विवाह में शामिल नाबालिगों को एकत्र कर उन्हें निश्चित आयु सीमा के उपरांत ही विवाह करने की सलाह दूँगा और संगोष्ठियों, शिविरों के आयोजन के माध्यम से बाल-विवाह के सामाजिक, आर्थिक व जौविक दुष्परिणाम को लोगों तक पहुँचाने का प्रयास करूँगा, जिससे समाज द्वारा बाल-विवाह को हतोत्साहित किया जाए। साथ ही प्रशासन के प्रति भी लोगों में विश्वास बहाल हो।