1. 'विशिष्टाद्वैत' के प्रवर्तक कौन थे? -रामानुजाचार्य
- वैष्णव संत रामानुजाचार्य विशिष्टाद्वैत वेदान्त के प्रवर्तक थे। वैष्णव आचार्यों में प्रमुख रामानुजाचार्य की शिष्य परम्परा में ही रामानन्द हुए जिनके शिष्य कबीर और सूरदास थे।
- रामानुज का जन्म दक्षिण भारत के तमिलनाडु में हुआ था। इनकी माता का नाम कांतिमती और पिता श्री केशवाचार्य थे।
- रामानुजाचार्य आलवार सन्त यमुनाचार्य के मुख्य शिष्य थे। गुरु की इच्छानुसार रामानुज ने ब्रह्मसूत्र, विष्णु सहस्रनाम और दिव्य प्रबन्धम् की टीका लिखी
- गृहस्थ आश्रम त्याग कर श्रीरंगम् के यदिराज नामक सन्यासी से सन्यास की दीक्षा ली। मैसूर के श्रीरंगम् से चलकर रामानुज शालिग्राम नामक स्थान पर रहने लगे। रामानुज ने उस क्षेत्र में 12 वर्ष तक वैष्णव धर्म का प्रचार किया।
- इन्होंने कांची में यादव प्रकाश नामक गुरु से वेदाध्ययन किया।
- उन्होंने सात ग्रन्थों की रचना की। श्रीभाष्यम्, गीता भाष्यम्, वेदार्थ संग्रह, वेदान्त द्वीप, वेदान्तसार, गद्यत्रय,और आराधना ग्रन्थ |
2. मगध का प्रथम राजवंश कौन था? - हर्यक वंश
- बिम्बिसार को मगध साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक/राजा माना जाता है। बिम्बिसार ने गिरिव्रज (राजगीर) को अपनी राजधानी बनायी।
- बिम्बिसार (544 ई. पू. से 492 ई. पू.)- बिम्बिसार एक कूटनीतिज्ञ और दूरदर्शी शासक था। सबसे पहले उसने लिच्छवि गणराज्य के शासक चेतक की पुत्री चेल्लना के साथ विवाह किया। दूसरा प्रमुख वैवाहिक सम्बन्ध कौशल राजा प्रसेनजीत की बहन महाकौशला के साथ विवाह किया। इसके बाद भद्र देश की राजकुमारी क्षेमा के साथ विवाह किया।
- बिम्बिसार महात्मा बुद्ध का मित्र और संरक्षक था। बिम्बिसार की हत्या महात्मा बुद्ध के विरोधी देवव्रत के उकसाने पर अजातशत्रु ने की थी।
- आम्रपाली- यह वैशाली की नर्तकी एवं परम रूपवती काम कला प्रवीण वेश्या थी। आम्रपाली के सौन्दर्य पर मोहित होकर बिम्बिसार ने लिच्छवि से जीतकर राजगृह में ले आया। उसके संयोग से जीवक नामक पुत्र हुआ। बिम्बिसार ने जीवक को तक्षशिला में शिक्षा हेतु भेजा। यही जीवक एक प्रख्यात चिकित्सक एवं राजवैद्य बना।
3. व्यास नदी का प्राचीन नाम क्या था? -विपासा
- इसका उल्लेख ऋग्वेद में केवल एक बार है। बृहद्देवता में शतुद्री या सतलुज और विपाशा का एक साथ उल्लेख है।
- ब्यास नदी का पुराना नाम ‘अर्जिकिया’ या ‘विपाशा’ था।
4. 'उत्तररामचरित्रम' के लेखक कौन हैं? - भवभूति
- भवभूति, संस्कृत के महान कवि एवं सर्वश्रेष्ठ नाटककार थे। इनके पिता का नाम नीलकंठ और माता का नाम जतुकर्णी था। इनके गुरु का नाम 'ज्ञाननिधि' था।
5. 'नायब-ए-मामलिकात' नामक पद का सृजन सल्तनत काल में किसने किया था? - मुईज़ुद्दीन बहरामशाह ने
- मुईज़ुद्दीन बहरामशाह (1236) एक मुस्लिम तुर्की शासक था, जो दिल्ली का छठा सुल्तान बना। बहराम इल्तुतमिश का पुत्र एवं रजिया सुल्तान का भाई था।
- सुल्तान के अधिकार को कम करने के लिए तुर्क सरदारों ने एक नये पद ‘नाइब’ अर्थात 'नाइब-ए-मुमलिकात' का सृजन किया। इस पद पर नियुक्त व्यक्ति संपूर्ण अधिकारों का स्वामी होता था।
- मुइज़ुद्दीन बहरामशाह के समय में इस पद पर सर्वप्रथम मलिक इख्तियारुद्दीन एतगीन को नियुक्त किया गया। अपनी स्थिति सुदृढ़ करने के लिए एतगीन ने बहरामशाह की तलाक़शुदा बहन से विवाह कर लिया।
6. बंगाल के किस नवाब ने अपनी राजधानी मुर्शिदाबाद से परिवर्तित करके मुंगेर कर दी थी? - मीर कासिम ने
- बक्सर का युद्ध 23 अक्टूबर 1764 में बक्सर नगर के आसपास ईस्ट इंडिया कंपनी और मुगल नबाबों के बीच लड़ा गया था। बंगाल के नबाब मीर कासिम, अवध के नबाब शुजाउद्दौला, तथा मुगल बादशाह शाह आलम द्वितीय की संयुक्त सेना अंग्रेज कंपनी से लड़ रही थी।
- लड़ाई में अंग्रेजों की जीत हुई और इसके परिणामस्वरूप पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, उड़ीसा और बांग्लादेश का दीवानी और राजस्व अधिकार अंग्रेज कंपनी के हाथ चला गया।
7. किस राजवंश ने हत्याकर सत्ता हथियाई और उसका अंत भी हत्या के द्वारा ही हुआ? - शुंग वंश
- शुंग वंश प्राचीन भारत का एक शासकीय वंश था जिसने मौर्य राजवंश के बाद शासन किया। इसका शासन उत्तर भारत में 187 ई.पू. से 75 ई.पू. तक यानि 112 वर्षों तक रहा था। पुष्यमित्र शुंग उत्तर भारत के शुंग साम्राज्य के संस्थापक और प्रथम राजा थे।
8. पुष्यमित्र शुगं ने अश्वमेध यज्ञ किये थे, यह जानकारी किस ग्रन्थ से प्राप्त होती है? - महाभाष्य से
- पुष्यमित्र शुंग के शासनकाल में पतंजलि वर्तमान थे। महाभाष्य के निश्चित साक्ष्य के आधार पर विजयोपरांत पुष्यमित्र के श्रौत (अश्वमेध यज्ञ) में संभवत: पतंजलि पुरोहित थे।
9. किस अभिलेख से पुष्टि हुई कि पुष्यमित्र शुंग ने अश्वमेध यज्ञ किया था? - अयोध्या अभिलेख
- अश्वमेध यज्ञ, अयोध्या में पुष्यमित्र का एक शिलालेख प्राप्त हुआ है, जिसमें उसे 'द्विरश्वमेधयाजी' कहा गया है। इससे सूचित होता है, कि पुष्यमित्र ने दो बार अश्वमेध यज्ञ किए थे।
10. सिराजुद्दौला के साथ अंग्रेजो ने कौन सी संधि की थी? - अलीनगर की संधि
- अलीनगर की संधि, 9 फ़रवरी 1757 ई. को बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला और ईस्ट इंडिया कम्पनी के बीच हुई, जिसमें अंग्रेज़ों का प्रतिनिधित्व क्लाइव और वाटसन ने किया था। अंग्रेज़ों द्वारा कलकत्ता पर दुबारा अधिकार कर लेने के बाद यह संधि की गई।
- इस संधि पर हस्ताक्षर करने के एक महीने बाद अंग्रेज़ों ने इसका उल्लघंन कर, कलकत्ता से कुछ मील दूर गंगा नदी के किनारे की फ़्राँसीसी बस्ती चन्द्रनगर पर आक्रमण करके उस पर अपना अधिकार कर लिया।
- इस षड़यंत्र के परिणाम स्वरूप 23 जून, 1757 ई. को प्लासी की लड़ाई हुई, जिसमें सिराजुद्दौला हार गया तथा मारा गया।
11. 'नरेन्द्र मंडल की स्थापना' का सुझाव किस्मे था? - चेम्स फोर्ड सुधारों में
- नरेन्द्रमण्डल(अंग्रेज़ी: Chamber of Princes) भारतवर्ष का एक पूर्व विधान मंडल था। यह ब्रिटिशकालीन भारत के विधान मंडल का एक उच्च व शाही सदन था।
- इस्की बैठक "संसद भवन" के तीसरे कक्ष में होती थी जिसे अब "सांसदीय पुस्तकालय" में परिवर्तित कर दिया गया है।
- नरेंद्र मंडल की स्थापना सन 1920 में ब्रिटेन के राजा सम्राट जौर्ज (पंचम) के शाही फ़रमान द्वारा 23 दिसम्बर 1919 को हुई थी|
- नरेंद्र मंडल की पहली बैठक 8 फ़रवरी 1921 को हुई थी। शुरुआती दिनों में इस सदन में कुल 120 सदस्य थे। इनमें से 108 सदस्यों को स्थाई सदस्यता हासिल थी। अन्य बचे हुए 12 सीटें, आवर्ती आधार पर, आन्य 127 आस्थाई रियासतों का प्रतिनिधित्व करते थे। इस प्रतिनिधित्व प्रणाली में भारत की कुल 562 रियासतों में से 327 छोटी रियासतों का प्रतिनिधित्व के लिये कोई जगह नहीं थी।
12. "धन निकासी के सिद्धान्त" का प्रतिपादक कौन था? - दादा भाई नौरोजी
- दादा भाई नौरोजी को 'भारतीय राजनीति का पितामह' कहा जाता है। वह दिग्गज राजनेता, उद्योगपति, शिक्षाविद और विचारक भी थे।
- 1851 में गुजराती भाषा में 'रस्त गफ्तार' साप्ताहिक निकालना प्रारम्भ किया।
- दादाभाई नौरोजी ने 'ज्ञान प्रसारक मण्डली' नामक एक महिला हाई स्कूल एवं 1852 में 'बम्बई एसोसिएशन' की स्थापना की। लन्दन में रहते हुए दादाभाई ने 1866 ई. मे 'लन्दन इण्डियन एसोसिएशन' एवं 'ईस्ट इंडिया एसोसिएशन' की स्थापना की।
- उनकी महान कृति पॉवर्टी ऐंड अन-ब्रिटिश रूल इन इंडिया 'राष्ट्रीय आंदोलन की बाइबिल' कही जाती है। 1886 व 1906 ई. में वह 'इंडियन नेशनल कांग्रेस' के अध्यक्ष बनाए गए।
- दादाभाई नौरोजी 'धन के बहिर्गमन के सिद्धान्त' के सर्वप्रथम और सर्वाधिक प्रखर प्रतिपादक थे। 1905 ई. में उन्होंने कहा था कि "धन का बहिर्गमन समस्त बुराइयों की जड़ है और भारतीय निर्धनता का मुख्य कारण।"
- पहली बार स्वराज शब्द का प्रयोग किया। उन्होंने कहा, हम कोई कृपा की भीख नहीं माँग रहे हैं। हमें तो न्याय चाहिए।
13. सल्तनत कालीन में किले की सेना के खर्च के लिए निर्धारित भूमि को क्या कहा जाता था? - मफरूज
- सेना के लिए 'दीवान-ए-अर्ज' की स्थापना बलबन की थी।
- एक शहर या सौ गाँवों के शासन की देख-भाल ‘अमीर-ए-सदा’ नामक अधिकारी करता था।
14. सल्तनत कालीन प्रान्त की सेना क्या कहलाती थी? - हश्म-ए-अतरफ
- दिल्ली सल्तनत का प्रशासन अरबी-फारसी पद्धति पर आधारित थी। इस प्रशासन का केन्द्र बिन्दु राजा या सुल्तान था।
- चूँकि मुस्लिम शासन पद्धति धार्मिक पुस्तक कुरान पर आधारित थी और मुस्लिम जगत में पैगम्रुबर के बाद खलीफा ही सर्वोच्च धार्मिक व्यक्ति रह गया था।
- दिल्ली की केन्द्रीय सेना को हश्म-ए-वल्ब कहा जाता था जबकि प्रान्तीय सेना को हश्म-ए-अतरफ कहा जाता था। शाही घुड़सवार सेना को सवार-ए-कल्ब कहते थे। प्रान्तीय घुड़सवार सेना को सवार-ए-अतरफ कहते थे।
नोट:-सल्तनत कालीन सेना में तुर्क अमीर, ईरानी मंगोल, अफगानी एवं भारतीय मुसलमान सम्मिलित थे।
15. किस शासक के शासनकाल में वह्मानियों ने अपनी राजधानी गुलबर्गा से स्थानांतरित कार बीदर बनायी? - अहमद शाह वली
- गुलबर्ग किला, कर्नाटक के गुलबर्ग जिले में स्थित है।
- मूल रूप से इसका निर्माण वारंगल राजवंश के राज में राजा गुलचंद ने करवाया था।
- गुलबर्ग 1347 से 1424 तक बहमनी साम्राज्य की राजधानी था और गुलबर्ग किला राजधानी का मुख्यालय था। 1424 में राजधानी बीदर ले जायी गयी।
16. प्रसिद्ध पारसी त्यौहार 'नौरोज' किस शासक ने प्रारंभ किया था? - बलवन ने
- नौरोज़ या नवरोज़, ईरानी नववर्ष का नाम है, मुख्यतः ईरानियों द्वारा दुनिया भर में मनाया जाता है। इसके साथ ही कुछ अन्य नृजातीय-भाषाई समूह जैसे भारत में पारसी समुदाय भी इसे नए साल की शुरुआत के रूप में मनाते हैं।
- पारसी धर्म ईरान का प्राचीन काल से प्रचलित धर्म है। ये ज़न्दअवेस्ता नाम के धर्मग्रंथ पर आधारित है। इसके प्रस्थापक महात्मा ज़रथुष्ट्र हैं, इसलिये इस धर्म को ज़रथुष्ट्री धर्म (Zoroastrianism) भी कहते हैं।
- पारसी धर्म की शिक्षा है : हुमत, हुख्त, हुवर्श्त जो संस्कृत में सुमत, सूक्त, सुवर्तन अथवा सुबुद्धि, सुभाष, सुव्यवहार हुआ।
- यह ईरानी कैलेंडर के पहले महीने (फारवर्दिन) का पहला दिन भी है।
17. भुवनेश्वर तथा पुरी के मंदिर किस शैली में निर्मित हैं? - नागर शैली में
- नागर वास्तुकला में वर्गाकार योजना के आरंभ होते ही दोनों कोनों पर कुछ उभरा हुआ भाग प्रकट हो जाता है जिसे 'अस्त' कहते हैं।
- यह शिखा कला उत्तर भारत में सातवीं शताब्दी के पश्चात् विकसित हुई अर्थात परमार शासकों ने वास्तुकला के क्षेत्र में नागर शैली को प्रधानता देते हुए इस क्षेत्र में नागर शैली के मंदिर बनवाये।
- इस शैली के मंदिर मुख्यतः मध्य भारत में पाए जाते है| जैसे-कंदरिया महादेव मंदिर(खजुराहो), लिंगराज मंदिर-भुवनेश्वर(ओड़िसा ), जगन्नाथ मंदिर -पुरी(ओड़िसा), कोणार्क का सूर्य मंदिर-कोणार्क(ओड़िसा ),मुक्तेश्वर मंदिर-(ओड़िसा ),खजुराहो के मंदिर - मध्य प्रदेश, दिलवाडा के मंदिर -आबू पर्वत(राजस्थान ),सोमनाथ मंदिर-सोमनाथ (गुजरात)
18. अशोक के किस शिलालेख में कलिंग युद्ध का वर्णन हैं - तेरहवें शिलालेख में
- अशोक(ईसा पूर्व 269 - 232) प्राचीन भारत में मौर्य राजवंश का राजा था। अशोक का देवानाम्प्रिय एवं प्रियदर्शी आदि नामों से भी उल्लेख किया जाता है।
- कलिंग युद्ध में हुए नरसंहार तथा विजित देश की जनता के कष्ट से अशोक की अंतरात्मा को तीव्र आघात पहुँचा।
- 260 ई. पू. में अशोक ने कलिंगवसियों पर आक्रमण किया, उन्हें पूरी तरह कुचलकर रख दिया। युद्ध की विनाशलीला ने सम्राट को शोकाकुल बना दिया और वह प्रायश्चित्त करने के प्रयत्न में बौद्ध विचारधारा की ओर आकर्षित हुआ।
19. विक्रम संवत कब से प्रारम्भ हुआ? - 58 ई.स. पूर्व से
- विक्रम संवत अत्यन्त प्राचीन संवत है।'विक्रम संवत' का प्रणेता सम्राट विक्रमादित्य को माना जाता है। कालिदास इस महाराजा के एक रत्न माने जाते हैं।
- भारत का सर्वमान्य संवत 'विक्रम संवत' ही है और महाराज विक्रमादित्य ने देश के सम्पूर्ण ऋण को, चाहे वह जिस व्यक्ति का रहा हो, स्वयं देकर इसे चलाया।
20. 'बनावली' एक प्राचीन स्थल हैं, जहाँ 1973- 74 ई. की खुदाई में सिन्धु
सभ्यता के अवशेष मिले, यह स्थल भारत के किस राज्य में स्थित हैं? - हरियाणा
में
- हड़प्पा पूर्व एवं हड़प्पाकालीन इस स्थल की खुदाई 1973-74 ई. में 'रवीन्द्र सिंह विष्ट' के नेतृत्व में की गयी।
- यहाँ दुर्ग तथा निचला नगर अलग-अलग न होकर एक ही प्राचीर से घिरे थे।
- इसके अतिरिक्त मिट्टी के बर्तन, गोलियाँ, मनके, तांबे के बाण्राग, हल की आकृति के खिलौने आदि मिले हैं।
- बनवाली में जल निकास प्रणाली का अभाव दिखाई देता है।
- बणावली की नगर योजना- शतरंज के बिसात या जाल के आकार की बनायी गयी थी|
- सड़कें न तो सीधी मिलती थी न तो एक दूसरे को समकोण पर काटती थी।
21. 'आजीवक संप्रदाय' के संस्थापक कौन थे?- मक्खलि गोशाल
- आजीवक सम्प्रदाय की स्थापना गोशाला ने की थी,जो गौतम बुद्ध का समकालीन था।
- उनके विचार 'सामंज फल सुत्त' तथा 'भगवतीसूत्र' में मिलते हैं।
22. सिन्धु सभ्यता में खोपड़ी की शल्य चिकित्सा का सुनिश्चित साक्ष्य कहाँ से प्राप्त हुआ हैं? - कालीबंगा में
- कालीबंगा, राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले में घग्घर नदी के बाएं तट पर स्थित है। खुदाई 1953 में 'बी.बी. लाल' एवं 'बी. के. थापड़' द्वारा करायी गयी।
- यहाँ पर प्राक् हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवशेष मिले हैं। यह प्राचीन समय में चूडियों के लिए प्रसिद्ध था। ये चूडियाँ पत्थरों की बनी होती थी।
23. ऋग्वेद में एसी कन्याओं के उदाहरण भी मिलते हैं, जो दीर्घकालीन तक अथवा
आजीवन अविवाहित रहती थी, एसी कन्याओं को क्या कहते थे? - अमाजू
- ऋग्वैदिक समाज की सबसे छोटी इकाई परिवार या कुल होती थी। ऋग्वेद में 'कुल' शब्द का उल्लेख नहीं है। परिवार के लिए 'गृह' शब्द का प्रयुक्त हुआ है।
- 'शतपथ ब्राह्मण' में पत्नी को पति की अर्द्धांगिनी बताया गया है।
- ऋग्वेद में ही गायत्री मन्त्र है जो सविता(सूर्य) को समर्पित है।
- 'असतो मा सद्गमय ' वाक्य ऋग्वेद से लिया गया है।
24. वैदिक काल में पणी नाम से जाने गए समुदाय का मुख्य व्यवसाय क्या था? - व्यापार
- एक और वर्ग 'पणियों' का था जो धनि थे और व्यापार करते थे|
25. संगम युग में तमिलों का सर्वाधिक लोकप्रिय देवता कौन थे? -मुरुगन
- 'वीर पूजा' तथा 'सती पूजा' का भी प्रचलन समाज में था।
- 'मुरुगन' दक्षिण भारत का सबसे अधिक लोकप्रिय देवता था। जो कालान्तर में मुरुगन ही 'सुब्रह्मण्यम' कहा गया, और स्कन्द-कार्तिकेय से इस देवता का एकीकरण किया गया।
- मुरुगन का एक अन्य नाम 'वेल्लन' भी मिलता है।
26.'अमीर खुसरो' को किस गायन शैली का जन्म दाता माना जाता हैं? - कव्वाली शैली का
- अबुल हसन यमीन-उद्दीन अमीर ख़ुसरो,एक प्रमुख कवि(शायर),गायक और संगीतकार था|
- उसे 'खड़ी बोली' के आविष्कार का श्रेय दिया जाता है| वे फारसी के कवि भी थे।
- मध्य एशिया की 'लाचन जाति' के तुर्क सैफुद्दीन के पुत्र अमीर खुसरो का जन्म उत्तर प्रदेश के एटा जिले के पटियाली नामक कस्बे में हुआ था। लाचन जाति के 'तुर्क चंगेज खाँ'के आक्रमणों से पीड़ित होकर 'बलवन (१२६६ -१२८६ ई0)' के राज्यकाल में शरणार्थी के रूप में भारत में आ बसे थे। खुसरो की माँ बलबन के युद्धमंत्री इमादुतुल मुलक की लड़की, एक भारतीय मुसलमान महिला थी। सात वर्ष की अवस्था में खुसरो के पिता का देहान्त हो गया।
- भारतीय गायन में क़व्वाली और सितार को इन्हीं की देन माना जाता है।
27.'हिस्टोरिका' नामक ग्रन्थ के लेखक कौन हैं? -हेरोडोटस
- हेरोडोटस, जिसे
'इतिहास का पिता' कहा जाता है, ने 5वी. शताब्दी में ई.पू. में
‘हिस्टोरिका‘ नामक पुस्तक की रचना की थी, जिसमें भारत और फ़ारस के सम्बन्धों का वर्णन किया गया है|
28.'खानवा का युद्ध' कब हुआ था? -1527 में
- यह युद्ध 17 मार्च, 1527 ई. में राजपूत नरेश राणा साँगा और मुग़ल बादशाह बाबर के मध्य लड़ा गया था। इस युद्ध में साँगा की हार हुई और सम्पूर्ण भारत में हिन्दू राज्य की स्थापना करने का उसका सपना टूट गया।
- 'खानवा' नामक स्थान राजस्थान में भरतपुर के निकट एक ग्राम है, जो फतेहपुर सीकरी से 10 मील (लगभग 16 कि.मी.) उत्तर-पश्चिम में स्थित है।
29.आगरा के किले में 'मोती मस्जिद' किस मुग़ल शासक ने बनवाई थी? -शाहजंहा
- आगरा शहर को सिकंदर लोदी ने सन् 1506 ई. में बसाया था। आगरा मुगल साम्राजय की चहेती जगह थी। आगरा 1526 से 1658 तक मुग़ल साम्राज्य की राजधानी रहा।
30.दिल्ली के लाल किले के अन्दर 'मोती मस्जिद' का निर्माण किसने कराया था? -औरंगजेब ने
- इसी नाम से एक मस्जिद लाहौर, पाकिस्तान में भी स्थित है। यह मुगल बादशाह शाहजहाँ द्वारा 1645 CE में बनवाई गई थी। यह लाहौर का किला में स्थित है।
31.'चोल वंश' का संस्थापक कौन था? -विजयालय
- चोल प्राचीन भारत का एक राजवंश था। दक्षिण भारत में और पास के अन्य देशों में तमिल चोल शासकों ने 9 वीं शताब्दी से 13 वीं शताब्दी के बीच एक अत्यंत शक्तिशाली हिन्दू साम्राज्य का निर्माण किया।
32.मेगास्थनीज की 'इंडिका' के अनुसार मौर्य समाज कितने वर्गों में बटा
था? -सात (दार्शनिक, कृषक, सैनिक , चरवाहे , शिल्पी , न्यायाधिकारी और
पार्षद )https://www.facebook.com/ekawaz18/
- मेगस्थनीज यूनान का एक राजदूत था जो चन्द्रगुप्त के दरबार में आया था।
33.मुहम्मद बिन तुगलक ने किस धातु में सांकेतिक सिक्को का प्रचलन किया था? -कांस्य
- मुहम्मद बिन तुगलक दिल्ली सल्तनत में तुग़लक़ वंश का शासक था। ग़यासुद्दीन तुग़लक़ की मृत्यु के बाद उसका पुत्र 'जूना ख़ाँ', मुहम्मद बिन तुग़लक़ (1325-1351 ई.) के नाम से दिल्ली की गद्दी पर बैठा। इसका मूल नाम 'उलूग ख़ाँ' था।
- राजामुंदरी के एक अभिलेख में मुहम्मद तुग़लक़ (जौना या जूना ख़ाँ) को दुनिया का ख़ान कहा गया है।
- अपनी सनक भरी योजनाओं, क्रूर-कृत्यों एवं दूसरे के सुख-दुख के प्रति उपेक्षा का भाव रखने के कारण इसे 'स्वप्नशील', 'पागल' एवं 'रक्त-पिपासु' कहा गया है।
- मुहम्मद तुग़लक़ ने सांकेतिक व प्रतीकात्मक सिक्कों का प्रचलन करवाया। सिक्के संबंधी विविध प्रयोगों के कारण ही एडवर्ड टामस ने उसे ‘धनवानों का राजकुमार’ कहा है। मुहम्मद तुग़लक़ ने 'दोकानी' नामक सिक्के का प्रचलन करवाया।
- सांकेतिक मुद्रा चलाने की प्रेरणा चीन तथा ईरान से मिली। वहाँ के शासकों ने इन योजनाओं को सफलतापूर्वक चलाया, जबकि मुहम्मद तुग़लक़ का प्रयोग विफल रहा। सुल्तान को अपनी इस योजना की असफलता पर भयानक आर्थिक क्षति का सामना करना पड़ा।
34.गुजरात को जीत कर किसने उसे दिल्ली सल्तनत में शामिल किया था? -अलाउद्दीन खिलजी ने
- अलाउद्दीन खिल्जी (वास्तविक नाम अली गुरशास्प 1296-1316)दिल्ली सल्तनत के खिलजी वंश का दूसरा शासक था। वो एक विजेता था और उसने अपना साम्राज्य दक्षिण में मदुरै तक फैला दिया था।
- ऐसा माना जाता है कि अवधी में मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा लिखे पद्मावत में वर्णित रानी पद्मावती की सुन्दरता पर मोहित था|
- 1298 ई. में अलाउद्दीन ने उलूग ख़ाँ एवं नुसरत ख़ाँ को गुजरात विजय के लिए भेजा। अहमदाबाद के निकट कर्णदेव वाघेला और अलाउद्दीन की सेना में संघर्ष हुआ। राजा कर्ण ने पराजित होकर अपनी पुत्री ‘देवल देवी’ के साथ भाग कर देवगिरि के शासक रामचन्द्र देव के यहाँ शरण ली।
- अलाउद्दीन ख़िलजी कर्ण की सम्पत्ति एवं उसकी पत्नी कमला देवी को साथ लेकर वापस दिल्ली आ गया। कालान्तर में अलाउद्दीन ख़िलजी ने कमला देवी से विवाह कर उसे अपनी सबसे प्रिय रानी बनाया। यहीं पर नुसरत ख़ाँ ने हिन्दू हिजड़े मलिक काफ़ूर को एक हज़ार दीनार में ख़रीदा। युद्ध में विजय के पश्चात् सैनिकों ने सूरत, सोमनाथ और कैम्बे तक आक्रमण किया।
35.कबीर की मृत्यु के पश्चात उनकी समाधि कहाँ बनाई गई? -मगहर
36.अकबरनामा के प्रख्यात लेखक अबुल फजल की हत्या किसने की थी? - वीरसिंहदेव बुन्देला ने
- अबुल फ़ज़ल शेख़ मुबारक़ नागौरी का द्वितीय पुत्र था। इनका जन्म 958 हिजरी (6 मुहर्रम, 14 जनवरी सन् 1551 ई.) में हुआ था।
- 1602 ई. में बुन्देला राजा वीरसिंहदेव ने शहज़ादा सलीम के उकसाने से अबुल फ़ज़ल की हत्या कर डाली।
37.'पाटिलपुत्र' नामक नगर की स्थापना किसने की थी? -उदयन
- पाटलीपुत्र वर्तमान पटना का ही नाम था। आज पटना भारत के बिहार प्रान्त की राजधानी है।
- ईसा पूर्व मेगास्थनीज (350 ई.पू.-290 ई.पू.) ने अपने भारत भ्रमण के पश्चात लिखी अपनी पुस्तक 'इंडिका' में इस नगर का उल्लेख किया है। 'पलिबोथ्रा', जो गंगा और 'अरेन्नोवास' के संगम पर बसा था।
- आधुनिक पटना गंगा नदी के दक्षिणी किनारे पर स्थित है, जहाँ पर गंगा, घाघरा, सोन और गंडक जैसी सहायक नदियों से मिलती है।
38.मुगल काल में 'लोक-निर्माण विभाग' को क्या कहा जाता था? - शोहरत-ए-आम
39.'नरसिंह वर्मन द्वितीय' ने जिसकी उपाधि राजसिंह थी, कांची में किस मंदिर का निर्माण कराया? - कैलाश मंदिर का
- नरसिंह वर्मन द्वितीय (695-720 ई.) का समय सांस्कृतिक उपलब्धियों का रहा है। उसके महत्त्वपूर्ण निर्माण कार्यों में महाबलीपुरम का 'समुद्रतटीय मंदिर', कांची का 'कैलाशनाथ मंदिर' एवं 'ऐरावतेश्वर मंदिर' की गणना की जाती है।
- 'राजसिंह', 'आगमप्रिय' एवं 'शंकर भक्त' की सर्वप्रिय उपाधियाँ नरसिंह वर्मन द्वितीय ने धारण की थीं। नरसिंह वर्मन द्वितीय को 'राज सिद्धेश्वर' भी कहा जाता था।
- मंदिर निर्माण की शैली में नरसिंह वर्मन द्वितीय ने एक नई शैली 'राज सिंह शैली' का प्रयोग किया था।
40.'एलोरा के प्रसिद्ध कैलाश मंदिर' का निर्माण किसने करवाया? -राष्ट्र कूट शासक कृष्णा प्रथम ने
- कृष्ण प्रथम राष्ट्रकूट वंश के सबसे योग्य शासकों में गिना जाता था। इसे 'कृष्णराज' भी कहा जाता था।
- कृष्णराज की ख्याति उसकी विजय यात्राओं के कारण उतनी नहीं है, जितनी कि उस 'कैलाश मन्दिर' के कारण है, जिसका निर्माण उसने एलोरा में पहाड़ काटकर कराया था। कृष्ण प्रथम ने 'राजाधिराज परमेश्वर' की उपाधि ग्रहण की थी।
41."सातवाहन वंश" का महानतम शासक कौन था? -गौतमीपुत्र सातकर्णि
- मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद प्रतिष्ठान(गोदावरी नदी के तट पर स्थित पैठन) को राजधानी बनाकर सातवाहन वंश ने अपनी शक्ति का उत्कर्ष प्रारम्भ किया। इस वंश का प्रथम राजा सिमुक (श्रीमुख) था, जिसने 210 ई. पू. के लगभग अपने स्वतंत्र राज्य की नींव डाली थी।
- गौतमीपुत्र सातकर्णि की माता का नाम 'गौतमी बालश्री' था
- इसका केन्द्र बिन्दु महाराष्ट्र में प्रतिष्ठान नामक स्थान था। इस राज्य को 'आंध्र सातवाहन' राज्य भी कहा जाता है।
- सातवाहन वंश के शासकों को दक्षिणाधिपति कहा जाता है।
- 'श्री यज्ञ' सातवाहन वंश का अंतिम महत्त्वपूर्ण शासक था?
42.गिरनार में 'सुदर्शन झील' का निर्माण किस शासक ने करवाया? -चन्द्रगुप्त मौर्य ने
- सुदर्शन झील गिरनार, गुजरात में स्थित है। इस झील का निर्माण मौर्य वंश के संस्थापक सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य के आदेश से उसके गिरनार में नियुक्त राज्यपाल 'पुष्यगुप्त वैश्य' ने करवाया था।
- सम्राट अशोक के महामात्य तुषास्प ने इस झील का पुर्ननिर्माण करवा कर
उसे मजबूती प्रदान की थी। बाद के समय में स्कन्दगुप्त ने बड़ी उदारता के
साथ धन खर्च किया और इस झील पर एक बाँध का निर्माण करवाया।
43.सोमनाथ मंदिर पर 'महमूद गजनवी' के आक्रमण के समय वहाँ का शासक कौन था? -भीम प्रथम
- गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल बंदरगाह में स्थित इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण स्वयं चन्द्रदेव ने किया था। इसका उल्लेख ऋग्वेद में भी मिलता है।
- वर्तमान भवन के पुनर्निर्माण का आरंभ भारत की स्वतंत्रता के पश्चात् लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल ने करवाया और पहली दिसंबर 1995 को भारत के राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया। सोमनाथ मंदिर विश्व प्रसिद्ध धार्मिक व पर्यटन स्थल है।
- अरब यात्री अल-बरुनी ने अपने यात्रा वृतान्त में इसका विवरण लिखा जिससे प्रभावित हो महमूद गजनवी ने सन 1024 में कुछ 5,000 साथियों के साथ सोमनाथ मंदिर पर हमला किया, उसकी सम्पत्ति लूटी और उसे नष्ट कर दिया। 50,000 लोग मंदिर के अंदर हाथ जोडकर पूजा अर्चना कर रहे थे, प्रायः सभी कत्ल कर दिये गये। https://www.facebook.com/ekawaz18/
44.शातकर्णी की मृत्यु के पश्चात् उसके दो अल्प वयस्क पुत्रों - वेदिश्री और शक्तिश्री का संरक्षण किसने किया? -नागनिका
- विश्व के इतिहास में नागनिका पहली महिला-शासक मानी जा सकती है। उपन्यास की नायिका नागनिका सम्राट सिमुक सातवाहन की पुत्रवधू तथा श्री सातकर्णी की पत्नी है। युवावस्था में ही श्री सातकर्णी का निधन हो जाने से वह राज्य-कार्यभार सँभालती है।
- उपन्यास ‘नागनिका’ में सातवाहन सम्राट सिरी सातकर्णी, नायिका नागनिका तथा उसके दोनों पुत्रों-वेदिश्री और शक्तिश्री का चरित्र प्रमुख रूप से निरूपित हुआ है।
- विश्व की पहली साम्रगी नागनिका सातकर्णि पहली शासिका थी जिन्होंने युद्ध में नेतृत्व करते हुए खुद भी युद्ध लड़ी थी असुर दलों के विरुद्ध और अरब तक राज्य विस्तार की थी।
45.'महाराजा रणजीत सिंह' के साथ किसके विचार - विमर्श के परिणाम स्वरूप अमृतसर की संधि हुई? - सर चार्ल्स मेटकाफ़
- महाराजा रणजीत सिंह, पंजाब के सिक्ख राज्य के संस्थापक और महाराज थे। उनके पिता महासिंह सुकर चाकिया मिसल के मुखिया थे। जिस समय रणजीत सिंह की आयु केवल 12 वर्ष थी, उसी समय उनके पिता का देहान्त हो गया और बाल्यावस्था में ही वह सिक्ख मिसलों के एक छोटे से समूह के सरदार बना दिये गए।
- 15 वर्ष की आयु में 'कन्हया मिसल' के सरदार की बेटी से उनका विवाह हुआ और कई वर्ष तक उनके क्रिया-कलाप उनकी महत्त्वाकांक्षी विधवा सास सदाकौर द्वारा ही निर्देशित होते रहे। नक्कइयों की बेटी के साथ दूसरे विवाह ने रणजीत सिंह को सिक्ख रजवाड़ों (सामन्तों) के बीच महत्त्वपूर्ण बना दिया। ज़िन्दाँ रानी रणजीत सिंह की पाँचवी रानी तथा उनके सबसे छोटे बेटे दलीप सिंह की माँ थीं।
- 25 अप्रैल, 1809 को 'चार्ल्स मैटकॉफ़' और महाराजा रणजीत सिंह के मध्य 'अमृतसर की सन्धि' सम्पन्न हुई।
46.पहली बार किस अधिनियम के तहत 'गवर्नर जनरल की कार्यकारी परिषद् में विधि
निर्माण' के उद्देश्य से किसी भारतीय को मनोनीत किया गया? -भारतीय परिषद अधिनियम, 1861 के तहत
- दो मुख्य कारणों से महत्वपूर्ण है। एक तो यह कि इसने गवर्नर जनरल को अपनी विस्तारित परिषद में भारतीय जनता के प्रतिनिधियों को नामजद करके उन्हें विधायी कार्य से संबद्ध करने का अधिकार दिया। दूसरा यह कि इसने गवर्नर जनरल की परिषद की विधायी शक्तियों का विकेन्द्रीकरण कर दिया अर्थात बम्बई और मद्रास की सरकारों को भी विधायी शक्ति प्रदान की गयी।
इस अधिनियम की अन्य महत्वपूर्ण बातें निम्न थीं-
- गवर्नर जनरल की विधान परिषद की संख्या में वृद्धि की गयी। अब इस परिषद में कम-से-कम 6 तथा अधिकतम 12 सदस्य हो सकते थे। उनमें कम-से-कम आधे सदस्यों का गैर-सरकारी होना जरूरी था|
- गवर्नर जनरल को विधायी कार्यों हेतु नये प्रांत के निर्माण का तथा नव-निर्मित प्रांत में गवर्नर या लेफ्रिटनेंट गवर्नर को नियुक्त करने का अधिकार दिया गया।
- गवर्नर जनरल को अध्यादेश जारी करने का अधिकार दिया गया।
- 1865 के अधिनियम के द्वारा गवर्नर जनरल को प्रेसीडेन्सियों तथा प्रांतों की सीमाओं को उद्घोषणा द्वारा नियत करने तथा उनमें परिवर्तन करने का अधिकार दिया गया। इसी तरह
- 1869 के अधिनियम के द्वारा गवर्नर जनरल को विदेश में रहने वाले भारतीयों के संबंध में कानून बनाने का अधिकार दिया गया।
- 1873 के अधिनियम के द्वारा ईस्ट इंडिया कम्पनी को किसी भी समय भंग करने का प्रावधान किया गया। इसी के अनुसरण में 1 जनवरी, 1874 को ईस्ट इंडिया कम्पनी को भंग कर दिया गया।
47.किस गवर्नर जनरल के काल में 'अंग्रेजी उच्च शिक्षा का माध्यम तथा
सरकारी कामकाज की भाषा' के रूप में स्वीकार की गई? -विलियम बेंटिक के
- लॉर्ड विलियम बैंटिक, जिन्हें 'विलियम कैवेंडिश बैटिंग' के नाम से भी जाना जाता है, को भारत का प्रथम गवर्नर-जनरल का पद सुशोभित करने का गौरव प्राप्त है। पहले वह मद्रास के गवर्नर बनकर भारत आये थे।
48.सोनगिरि का ऐतिहासिक 'दिगंबर जैन तीर्थ स्थल' किस राज्य में हैं? -मध्य प्रदेश
- ग्वालियर झाँसी लाइन पर सोनागिरि स्टेशन से 2 मील श्रमणाचल पर्वत है। पहाड़ पर 77 दिगंबर जैन मंदिर हैं। वहाँ से नंगानंगकुमार आदि साढ़े पाँच सौ करोड़ मुनि मोक्ष गए हैं।
49.महाराष्ट्र में 'गणपति-पर्व' का श्री गणेश राष्ट्रीय चेतना लाने के लिए किसने किया था?- बाल गंगाधर तिलक ने
- महाराष्ट्र में सातवाहन, राष्ट्रकूट, चालुक्य आदि राजाओं ने गणेशोत्सव की प्रथा चलायी थी।
- शिवाजी की माता जीजाबाई ने पुणे के क़स्बा गणपति में गणेश जी की स्थापना की थी और पेशवाओं ने गणेशोत्सव को बहुत अधिक बढ़ावा दिया। मूलतः गणेशोत्सव पारिवारिक त्यौहार था, किन्तु बाद के दिनों में बाल गंगाधर तिलक ने इस त्यौहार को सामाजिक स्वरूप दे दिया तथा गणेशोत्सव राष्ट्रीय एकता का प्रतीक बन गया।
50.'रौलेट एक्ट' भारत में कब लागू किया गया था? -1919 में
- रौलट एक्ट 8 मार्च, 1919 ई. को लागू किया गया था। भारत में क्रान्तिकारियों के प्रभाव को समाप्त करने तथा राष्ट्रीय भावना को कुचलने के लिए ब्रिटिश सरकार ने न्यायाधीश 'सर सिडनी रौलट' की अध्यक्षता में एक कमेटी नियुक्त की। कमेटी ले 1918 ई. में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। कमेटी द्वारा दिये गये सुझावों के अधार पर केन्द्रीय विधानमण्डल में फ़रवरी, 1919 ई. में दो विधेयक लाये गये। पारित होने के उपरान्त इन विधेयकों को 'रौलट एक्ट' या 'काला क़ानून' के नाम से जाना गया। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने इस एक्ट का पुरजोर विरोध किया और ब्रिटिश सरकार को 'शैतानी लोगों' की संज्ञा दी।
- इस एक्ट को 'बिना अपील, बिना वकील तथा बिना दलील' का क़ानून भी कहा गया। इसके साथ ही इसे 'काला अधिनियम' एवं 'आतंकवादी अपराध अधिनियम' के नाम से भी जाना जाता हैं।
51. सुप्रसिद्ध कृति 'तबकात-ए-अकबरी' की रचना किसने की थी? -ख्वाजा निजामुद्दीन अहमद
विस्तार-
52. चोल शासक किस धर्म के अनुयायी थें? - शैव धर्म
|
विस्तार-
- चोल साम्राज्य की स्थापना विजयालय ने की, जो आरम्भ में पल्लवों का एक सामंती सरदार था।
- चोल साम्राज्य का अभ्युदय नौवीं शताब्दी में हुआ और दक्षिण प्राय:द्वीप
का अधिकांश भाग इसके अधिकार में था। चोल शासकों ने श्रीलंका पर भी विजय
प्राप्त कर ली थी और मालदीव द्वीपों पर भी इनका अधिकार था।
53. अकबर के अल्पायु होने के कारण 1556- 1560 तक मुग़ल साम्राज्य के शासन की जिम्मेदारी किसके हाथों में थी? - बैरम खां के हाथों में
विस्तार-
- अकबर का जन्म 15 अक्टूबर, 1542 ई. को 'हमीदा बानू' के गर्भ से अमरकोट के राणा वीरसाल के महल में हुआ था। वस्तुत: यह इलाका राजस्थान का अभिन्न अंग था
- मुल्ला असामुद्दीन इब्राहीम को शिक्षक बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
- 1551 ई. में मात्र 9 वर्ष की अवस्था में पहली बार अकबर को ग़ज़नी की सूबेदारी सौंपी गई।
- हुमायूँ ने हिन्दुस्तान की पुनर्विजय के समय मुनीम ख़ाँ को अकबर का संरक्षक नियुक्त किया। सिकन्दर सूर से अकबर द्वारा सरहिन्द को छीन लेने के बाद हुमायूँ ने 1555 ई. में उसे अपना ‘युवराज’ घोषित किया।
- दिल्ली पर अधिकार कर लेने के बाद हुमायूँ ने अकबर को लाहौर का गर्वनर
नियुक्त किया, साथ ही अकबर के संरक्षक मुनीम ख़ाँ को अपने दूसरे लड़के
मिर्ज़ा हकीम का अंगरक्षक नियुक्त कर, तुर्क सेनापति बैरम ख़ाँ को अकबर का
संरक्षक नियुक्त किया।
54. बौद्ध धर्म ग्रहण करने वाली पहली महिला कौन थी ? -महाप्रजापति गौतमी
विस्तार-
- जहां एक ओर बुद्ध और अन्य दूसरे लोग स्त्रियों का संघ में आने और जीवन का दूसरा रास्ता अपनाने का विरोध कर रहे थे, वहीं आनंद, जो बुद्ध के चचेरे भाई थे, जैसे लोग भी थे जो स्त्रियों के संघ में आने दिए जाने का समर्थन और उसके लिए तर्क कर रहे थे।
55. चंद्रावर का युद्ध (1194) किस-किस के बीच हुआ था? - गोरी और जयचंद विस्तार-
- मुहम्मद गौरी ने कन्नौज के राजा जयचंद को हराया।
56. परमार वंश की राजधानी कहाँ थी? -धार
विस्तार-
- परमार वंश का आरम्भ नवीं शताब्दी के प्रारम्भ में नर्मदा नदी के उत्तर मालवा (प्राचीन अवन्ती) क्षेत्र में उपेन्द्र अथवा कृष्णराज द्वारा हुआ था।
- इस वंश के शासकों ने 800 से 1327 ई. तक शासन किया। मालवा के परमार वंशी शासक सम्भवतः राष्ट्रकूटों या फिर प्रतिहारों के समान थे।
- इस वंश के प्रारम्भिक शासक उपेन्द्र, वैरसिंह प्रथम, सीयक प्रथम, वाक्पति प्रथम एवं वैरसिंह द्वितीय थे।
- परमारों की प्रारम्भिक राजधानी उज्जैन में थी पर कालान्तर में राजधानी 'धार', मध्य प्रदेश में स्थानान्तरित कर ली गई।
- इस वंश का प्रथम स्वतंत्र एवं प्रतापी राजा 'सीयक अथवा श्रीहर्ष' था।
- परमार वंश में आठ राजा हुए, जिनमें सातवाँ वाक्पति मुंज (973 से 995 ई.) और आठवाँ मुंज का भतीजा भोज (1018 से 1060 ई.) सबसे प्रतापी थी।
57. गुप्त वंश का कौन-सा शासक 'देवराज तथा देवगुप्त' के नाम से भी जाना जाता हैं? -चन्द्रगुप्त द्धितीय
विस्तार-
- गुप्त राजवंश या गुप्त वंश प्राचीन भारत के प्रमुख राजवंशों में से एक था। इसे भारत का एक स्वर्ण युग माना जाता है।
- चन्द्रगुप्त द्धितीय का अन्य नाम देव, देवगुप्त, देवराज, देवश्री आदि हैं। उसने विक्रयांक, विक्रमादित्य, परम भागवत आदि उपाधियाँ धारण की। उसने नागवंश, वाकाटक और कदम्ब राजवंश के साथ वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित किये।
- चन्द्रगुप्त द्वितीय ने नाग राजकुमारी कुबेर नागा के साथ विवाह किया जिससे एक कन्या प्रभावती गुप्त पैदा हुई। वाकाटकों का सहयोग पाने के लिए चन्द्रगुप्त ने अपनी पुत्री प्रभावती गुप्त का विवाह वाकाटक नरेश रूद्रसेन द्वितीय के साथ कर दिया।
58. लोदी वंश के किस शासक ने भूमि के लिए प्रमाणिक पैमाना 'गज-ए-सिकंदरी'का प्रचलन करवाया था? -सिकंदर शाह लोदी
विस्तार-
- वहलोल लोदी का पुत्र निजोम खाँ, जो उसकी हिंदू पत्नी तथा स्वर्णकार पुत्री हेमा के गर्भ से उत्पन्न हुआ था, 17 जुलाई 1489 को सुल्तान सिकंदर शाह की उपाधि धारण करके दिल्ली के सिंहासन पर बैठा।
- सिकन्दर शाह ने भूमि के लिए एक प्रमाणिक पैमाना ‘गज-ए-सिकन्दरी’ का प्रचलन करवाया, जो 30 इंच का था।
59. महमूद गजनवी का दरबारी इतिहासकार कौन था? -उत्वी
विस्तार-
- महमूद ग़ज़नवी (971-1030) मध्य अफ़ग़ानिस्तान में केन्द्रित गज़नवी वंश का एक महत्वपूर्ण शासक था|
- अलबरूनी उत्बी फारुखी फिर्दोशी महमूद गजनबी के दरबारी थे|
60. अयोध्या में स्थित बाबरी मस्जिद का निर्माण किसने कराया था? -मीर बांकी ने
विस्तार-
- बाबरी मस्जिद उत्तर प्रदेश के फैजाबाद जिले के अयोध्या शहर में रामकोट पहाड़ी ("राम का किला") पर एक मस्जिद थी। प्रथम मुगल सम्राट बाबर के आदेश पर 1527 में इस मस्जिद का निर्माण किया गया था।
- पुजारियों से हिन्दू ढांचे या निर्माण को छीनने के बाद मीर बाकी ने इसका नाम बाबरी मस्जिद रखा|
- 1940 के दशक से पहले, मस्जिद को 'मस्जिद-इ-जन्मस्थान' कहा जाता था|
- बाबरी मस्जिद ध्वनिक और शीतलन प्रणाली-
-लॉर्ड विलियम बैन्टिक (1828–1833) के वास्तुकार ग्राहम पिकफोर्ड
के अनुसार "बाबरी मस्जिद के मेहराब से एक कानाफूसी भी दूसरे छोर से सुनी जा
सकती है।" उनकी पुस्तक "हिस्टोरिक स्ट्रक्चर्स ऑफ़ अवध" में उन्होंने
मस्जिद की ध्वनिकी का उल्लेख किया है|
- बाबरी मस्जिद की तुगलकी शैली में बनी हैं।
61. हर्ष के शासन काल में 'भूमि कर 'कृषि उत्पाद का कितना भाग वसूला जाता था? -1/6 भाग विस्तार-
- हर्षवर्धन(606ई.-647ई.),राज्यवर्धन के बाद लगभग 606 ई. में थानेश्वर के सिंहासन पर बैठा।
- हर्ष को बादामी के चालुक्यवंशी शासक पुलकेशिन द्वितीय से पराजित होना पड़ा। ऐहोल प्रशस्ति (634 ई.) में इसका उल्लेख मिलता है।
- यात्रियों में राजकुमार, नीति का पण्डित एवं वर्तमान शाक्यमुनि कहे जाने वाला चीनी यात्री ह्वेनसांग ने 630 से 640 ई. के बीच भारत की धरती पर पदार्पण किया।
- हर्ष ने कन्नौज को अपनी राजधानी बनाया। हर्ष को एक और नाम शिलादित्य से भी जाना जाता है। इसने परम् भट्टारक मगध नरेश की उपाधि ग्रहण की। हर्ष को अपने दक्षिण के अभियान में असफलता हाथ लगी। चालुक्य नरेश पुलकेशिन द्वितीय ने हर्ष को ताप्ती नदी के किनारे परास्त किया।
- हर्ष एक प्रतिष्ठित नाटककार एवं कवि था। इसने 'नागानन्द', 'रत्नावली' एवं 'प्रियदर्शिका' नामक नाटकों की रचना की। हर्ष बौद्ध धर्म की महायान शाखा का समर्थक होने के साथ-साथ विष्णु एवं शिव की भी स्तुति करता था।
- हर्ष ने लगभग 643ई. में कन्नौज तथा प्रयाग में दो विशाल धार्मिक सभाओं का आयोजन किया था। हर्ष द्वारा प्रयाग में आयोजित सभा को मोक्षपरिषद् कहा गया है।
- हर्ष के समय में राष्ट्रीय आय का एक चौथाई भाग उच्च कोटि के राज्य कर्मचारियों को वेतन या उपहार के रूप में, एक चौथाई भाग धार्मिक कार्यो के खर्च हेतु, एक चौथाई भाग शिक्षा के खर्च के लिए एवं एक चौथाई भाग राजा स्वयं अपने खर्च के लिए प्रयोग करता था।
- राजस्व के स्रोत के रूप में तीन प्रकार के करों का विवरण मिलता है- भाग, हिरण्य, एवं बलि। 'भाग' या भूमिकर पदार्थ के रूप में लिया जाता था। 'हिरण्य' नगद में रूप में लिया जाने वाला कर था। इस समय भूमिकर कृषि उत्पादन का 1/6 वसूला जाता था।
62. "रज़िया सुल्तान” की असफलता का सबसे बड़ा कारण माना जाता हैं? -तुर्क अमीरों का षड्यंत्र और उनकी महत्वकांक्षा
विस्तार-
- वह इल्तुतमिश की पुत्री थी। तुर्की मूल की रज़िया को अन्य मुस्लिम राजकुमारियों की तरह सेना का नेतृत्व तथा प्रशासन के कार्यों में अभ्यास कराया गया, ताकि ज़रुरत पड़ने पर उसका इस्तेमाल किया जा सके।
- याकुब, तुर्क नहीं था और उसे रज़िया ने अश्वशाला का अधिकारी नियुक्त कर दिया था। भटिंडा के राज्यपाल मल्लिक इख्तियार-उद-दिन-अल्तुनिया ने अन्य प्रान्तीय राज्यपालों, जिन्हें रज़िया का अधिपत्य नामंजूर था, के साथ मिलकर विद्रोह कर दिया। रज़िया और अल्तुनिया के बीच युद्ध हुआ जिसमें याकुत मारा गया और रज़िया को बंदी बना लिया गया। मरने के डर से रज़िया अल्तुनिया से शादी करने को तैयार हो गयी।
63. 'हुमायूँनामा' किसकी कृत हैं? -गुलबदन बेगम की विस्तार-
- गुलबदन बेगम, मुग़ल बादशाह बाबर की पुत्री और हुमायूँ की बहन थी। उसका जन्म 1523 ई. में तथा मृत्यु 1603 ई. में हुई।
- गुलबदन बेगम बहुत ही प्रतिभाशाली थी। उसने अपने भाई हुमायूँ के जमाने का विवरण एकत्र कर "हुमायूँनामा" नामक पुस्तक लिखी थी।
64. ललितादित्य किस राज्य का शासक था? - कश्मीर का विस्तार-
- ललितादित्य मुक्तापीड(काल 724-761 ई) कश्मीर के कर्कोटा वंश के हिन्दू सम्राट था|
- कर्कोट या कर्कोटक, कश्मीर का एक राजवंश, जिसने गोनंद वंश के पश्चात् कश्मीर पर अपना आधिपत्य जमाया।'कर्कोट', पुराणों में वर्णित एक प्रसिद्ध नाग का नाम है।
- गोनंद वंश का अंतिम नरेश बालादित्य पुत्रहीन था। उसने अपनी कन्या का विवाह दुर्लभवर्धन से किया जिसने कर्कोट वंश की स्थापना लगभग ६२७ ई. में की। इसी के राजत्वकाल में प्रसिद्ध चीनी चात्री युवान्च्वांग भारत आया था।
65. प्रसिद्द 'बीबी का मकबरा' किसने किसकी याद में बनवाया? -औरंगजेब ने अपनी बीबी बेगम राबिया दुर्रानी की याद में विस्तार-
- औरंगाबाद से 5 किमी दूर स्थित इस मकबरे को औरंगजेब के बेटे राजकुमार आजम शाह ने अपनी मां बेगम राबिया की याद में 1678 में बनवाया था।
- इस मकबरे के
वास्तुकार का नाम अता उल्लाह था जिसने ताजमहल को कॉपी करने की कोशिश की
थी लेकिन वह विफल रहा।
66.'शिशुपाल वध' किसकी कृत हैं? -माघ की
विस्तार-
- शिशुपालवध महाकवि माघ द्वारा रचित संस्कृत काव्य है। इसमें कृष्ण द्वारा शिशुपाल के वध की कथा का वर्णन है।
67. प्रसिद्ध ग्रन्थ 'सिद्धान्त शिरोमणि' और 'लीलावती' के लेखक कौन हैं? -भास्कराचार्य विस्तार-
- भास्कराचार्य या भाष्कर द्वितीय (1114 – 1185) प्राचीन भारत के एक प्रसिद्ध गणितज्ञ एवं ज्योतिषी थे।
- इनके द्वारा रचित मुख्य ग्रन्थ सिद्धान्त शिरोमणि है जिसमें लीलावती, बीजगणित, ग्रहगणित तथा गोलाध्याय नामक चार भाग हैं। ये चार भाग क्रमशः अंकगणित, बीजगणित, ग्रहों की गति से सम्बन्धित गणित तथा गोले से सम्बन्धित हैं।
68. 'ग्वालियर अभिलेख' के अनुसार अरबों को सिंध से आगे बढ़ने से किसने रोका? -नागभट्ट प्रथम विस्तार-
- नागभट्ट प्रथम गुर्जर प्रतिहार वंश का प्रथम ऐतिहासिक पुरुष था। इसे 'हरिशचन्द्र' के नाम से भी जाना जाता था।
- हरिशचन्द्र की दो पत्नियाँ थीं- एक ब्राह्मण थी और दूसरी क्षत्रिय। माना जाता है कि, ब्राह्मण पत्नी से उत्पन्न पुत्र 'माला' पर शासन कर रहा था तथा क्षत्रीय पत्नी से उत्पन्न पुत्र जोधपुर पर शासन कर रहा था।
- ग्वालियर अभिलेख से जानकारी मिलती है, जिसके अनुसार उसने अरबों को सिंध से आगे नहीं बढ़ने दिया।
69. 'हाथीगुम्फा अभिलेख' में किसकी उपलब्धियों का विवरण हैं? -खारवेल की विस्तार-
- खारवेल (193 ईसापूर्व) कलिंग (वर्तमान ओडिशा) में राज करने वाले महामेघवाहन वंश का तृतीय एवं सबसे महान तथा प्रख्यात सम्राट था। खारवेल के बारे में सबसे महत्वपूर्ण जानकारी हाथीगुम्फा में चट्टान पर खुदी हुई सत्रह पंक्तियों वाला प्रसिद्ध शिलालेख है।
- हाथीगुम्फा, भुवनेश्वर के निकट उदयगिरि पहाड़ियों में है। इस शिलालेख के अनुसार यह जैन धर्म का अनुयायी था। https://ekawaz18.blogspot.com
70. 'सांची का स्पूत' किस वंश के काल में बनवाया गया? -मौर्य वंश विस्तार-
- सांची, मध्य प्रदेश राज्य के रायसेन जिले, में बेतवा नदी के तट स्थित एक छोटा सा गांव है। रायसेन जिले में एक अन्य विश्व प्रसिद्ध स्थल, भीमबेटका भी है।
- सांची का महान मुख्य स्तूप, मूलतः सम्राट अशोक महान ने तीसरी शती, ई.पू. में बनवाया था। इसके केन्द्र में एक अर्धगोलाकार ईंट निर्मित ढांचा था, जिसमें भगवान बुद्ध के कुछ अवशेष रखे थे। इसके शिखर पर स्मारक को दिये गये ऊंचे सम्मान का प्रतीक रूपी एक छत्र था।
- गाहा सत्तसई (संस्कृत : गाथासप्तशती) प्राकृत भाषा में गीतिसाहित्य की अनमोल निधि है। इसमें प्रयुक्त छन्द का नाम "गाथा" छन्द है। इसमें ७०० गाथाएँ हैं। इसके रचयिता हाल या शालिवाहन हैं।
- इस काव्य में सामान्य लोकजीवन का ही चित्रण है। अत: यह प्रगतिवादी कविता का प्रथम उदाहरण कही जा सकती है। इसका समय बारहवीं शती मानी जाती है।
72. 'शेरशाह का मकबरा' कहा हैं? -सासाराम विस्तार-
- सासाराम, बिहार राज्य के रोहतास जिले में आता है। यह रोहतास जिले का मुख्यालय भी है। इसे 'सहसराम' भी कहा जाता है।
- सूर वंश के संस्थापक अफ़ग़ान शासक शेरशाह सूरी का मक़बरा सासाराम में है|
- सहसराम के समीप एक पहाड़ी पर गुफ़ा में अशोक का लघु शिलालेख संख्या एक उत्कीर्ण है।
- शेरशाह सूरी (जन्म का नाम फ़रीद खाँ) भारत में जन्मे पठान थे, जिन्होनें हुमायूँ को 1540 में हराकर उत्तर भारत में सूरी साम्राज्य स्थापित किया था।
- शेरशाह सूरी ने पहले बाबर के लिये एक सैनिक के रूप में काम किया था जिन्होनें उन्हे पदोन्नति कर सेनापति बनाया और फिर बिहार का राज्यपाल नियुक्त किया।
- 1537 में, जब हुमायूँ कहीं सुदूर अभियान पर थे तब शेरशाह ने बंगाल पर कब्ज़ा कर सूरी वंश स्थापित किया था।
- सन् 1539 में, शेरशाह को चौसा की लड़ाई में हुमायूँ का सामना करना पड़ा जिसे शेरशाह ने जीत लिया।
- 1540 ई. में शेरशाह ने हुमायूँ को पुनः हराकर भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया और शेर खान की उपाधि लेकर सम्पूर्ण उत्तर भारत पर अपना साम्रज्य स्थापित कर दिया।
- 1540-1545 के अपने पांच साल के शासन के दौरान उन्होंने नयी नगरीय और सैन्य प्रशासन की स्थापना की, पहला रुपया जारी किया है, भारत की डाक व्यवस्था को पुनः संगठित किया और अफ़गानिस्तान में काबुल से लेकर बांग्लादेश के चटगांव तक ग्रांड ट्रंक रोड को बढ़ाया।
73. कनिष्क की राजधानी कहाँ थी? -पुरुषपुर (पेशावर) विस्तार-
- कनिष्क प्रथम(127–150 ई.), कुशाण राजवंश का भारत का एक महान सम्राट था।
- राजधानी पेशावर गाँधार प्रान्त के नगर पुरुषपुर में थी।
74. लोथल कहाँ हैं? -गुजरात में विस्तार-
- लोथल, प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता के शहरों में से एक बहुत ही महत्वपूर्ण शहर है। लगभग 2400 ईसापूर्व पुराना यह शहर भारत के राज्य गुजरात के भाल क्षेत्र में स्थित है और इसकी खोज सन 1954 में हुई थी।
- भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इस शहर की खुदाई 13 फरवरी 1955 से लेकर 19 मई 1956 के मध्य की थी। लोथल, अहमदाबाद जिले के ढोलका तालुका के गाँव सरागवाला के निकट स्थित है।
- लोथल गोदी, जो विश्व की प्राचीनतम ज्ञात गोदी है, सिंध में स्थित हड़प्पा के शहरों और सौराष्ट्र प्रायद्वीप के बीच बहने वाली साबरमती नदी की प्राचीन धारा के द्वारा शहर से जुड़ी थी, जो इन स्थानों के मध्य एक व्यापार मार्ग था। उस समय इसके आसपास का कच्छ का मरुस्थल, अरब सागर का एक हिस्सा था।
- प्राचीन समय में यह एक महत्वपूर्ण और संपन्न व्यापार केंद्र था जहाँ से मोती, जवाहरात और कीमती गहने पश्चिम एशिया और अफ्रीका के सुदूर कोनों तक भेजे जाते थे। मनकों को बनाने की तकनीक और उपकरणों का समुचित विकास हो चुका था और यहाँ का धातु विज्ञान पिछले 4000 साल से भी अधिक से समय की कसौटी पर खरा उतरा था https://www.facebook.com/ekawaz18/
75. फुतुह-उस-सलातीन' की रचना किसने और कब की? -ख्वाजा अबुबक्र इजामी ने, 1350 में विस्तार-
- ख्वाजा अबुबक्र इजामी- इस पुस्तक में मुहम्मद तुगलक की धार्मिक नीति की कटु आलोचना की गयी है। यह पुस्तक बहमनी वंश के संस्थापक (शासक) बहमन शाह को समर्पित है।