54,723 children abducted in India in year 2016: Home Ministry report
गृह मंत्रालय द्वारा हाल ही में जारी एक रिपोर्ट को देखते हुए देश के विभिन्न हिस्सों में बच्चों के चोरी हो जाने के डर को बेबुनियाद नहीं कहा जा सकता। गृह मंत्रालय की ओर से जारी वर्ष 2016 के आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष भारत से लगभग 55,000 बच्चों अपहरण किया गया। यह आंकड़ा एक वर्ष पहले के आंकड़ों के मुकाबले 30% अधिक है।
गृह मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में प्रतिवर्ष लगातार बच्चों का अपहरण हो रहा है तथा इसपर उचित कदम उठाया जाना चाहिए..
गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के मुख्य तथ्य
- गृह मंत्रालय की 2017-18 की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2016 में 54,723 बच्चे अगवा हुए लेकिन केवल 40.4 प्रतिशत मामलों में ही आरोप पत्र दाखिल किए गए।
- वर्ष 2016 में बच्चों के अपहरण के मामलों में दोष साबित होने की दर महज 22.7 प्रतिशत रही।
- वर्ष 2015 में ऐसे 41,893 मामले दर्ज किए गए जबकि वर्ष 2014 में यह संख्या 37,854 थी. वर्ष 2017 के आंकड़े अभी पेश नहीं किए गए हैं।
- गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार साल 2016 में देश में मानव तस्करी के 8132 मामले दर्ज किए गए।
- बच्चों के खिलाफ अपराध के 1.06 लाख मामले भी दर्ज किए गए. यह वर्ष 2015 की तुलना में 13.6 प्रतिशत अधिक थे।
- आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 2016 में प्रति एक लाख बच्चों में से 24 के खिलाफ अपराध हुए।
- इन अपराधों में ज्यादातर बढ़ोतरी मानव तस्करी, अपहरण, पोक्सो तथा किशोर न्याय के मामलों में हुई है।
पॉक्सो एक्ट क्या है?
इसका शाब्दिक अर्थ है, प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन फ्राम सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट 2012 अर्थात् लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम 2012.
यह एक्ट बच्चों को सेक्सुअल हैरेसमेंट, सेक्सुअल असॉल्ट और पोर्नोग्राफी जैसे गंभीर अपराधों से सुरक्षा प्रदान करता है।
इस कानून के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गई है।
इस अधिनियम की धारा 4 के तहत दुष्कर्म के मामले में अपराधी को सात साल अथवा उम्रकैद हो सकती है।
हाल ही में किये गये संशोधन के तहत 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चे के साथ किये गये बलात्कार में मृत्युदंड दिया जाना तय किया गया है।