Wednesday 18 July 2018

IIT प्रोफेसर आलोक सागर जी का एक गुमनाम सफर

  IIT दिल्ली से इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग में डिग्री, ह्यूस्टन से पी एच डी, टैक्सास से पोस्ट डाक्टरेट, पूर्व RBI गवर्नर श्री रघुराम राजन के प्रोफेसर.... विगत 32 वर्षों से किसी भी तरह के लालच को दरकिनार कर ....मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में आदिवासियों के बीच रहते हुए उनके सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक उत्थान और उनके अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं I     निजी जीवन में दिल्ली में करोड़ों की सम्पत्ति के मालिक श्री आलोक सागर की मां दिल्ली के मिरांडा हाउस में फिजिक्स की प्रोफेसर, पिता भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी थे I छोटा भाई आज भी आईआईटी में प्रोफेसर हैI सब कुछ त्याग कर आदिवासियों के उत्थान के लिये समर्पित, आदिवासियों के साथ सादगी भरा जीवन जी रहे है I रहने को घासफूस की एक झोपड़ी, पहनने को तीन कुर्ते, पैरों में टायर से बना चप्पल, आवागमन के लिए एक साइकिल-ताकि प्रकृति को नुकसान न होI     कई भाषाओं के जानकार आलोक सागर आदिवासियों से उन्हीं की भाषा में संवाद करते हैंI उनको पढ़ना-लिखना सिखाने के साथ-साथ आसपास के जंगलों में उनसे  लाखों फलदार पौधौं का रोपण करवा चुके हैं I फलदार पौधौं का रोपण करवाकर आदिवासियों में गरीबी से लड़ने की उम्मीद जगा रहे हैंI साइकिल से आते जाते बीज इकट्ठा कर आदिवासियों को बोने के लिए देते हैंI

IIT दिल्ली से इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग में डिग्री, ह्यूस्टन से पी एच डी, टैक्सास से पोस्ट डाक्टरेट, पूर्व RBI गवर्नर श्री रघुराम राजन के प्रोफेसर.... विगत 32 वर्षों से किसी भी तरह के लालच को दरकिनार कर ....मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में आदिवासियों के बीच रहते हुए उनके सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक उत्थान और उनके अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। 

निजी जीवन में दिल्ली में करोड़ों की सम्पत्ति के मालिक श्री आलोक सागर की मां दिल्ली के मिरांडा हाउस में फिजिक्स की प्रोफेसर, पिता भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी थे। छोटा भाई आज भी आईआईटी में प्रोफेसर है। सब कुछ त्याग कर आदिवासियों के उत्थान के लिये समर्पित, आदिवासियों के साथ सादगी भरा जीवन जी रहे है। रहने को घासफूस की एक झोपड़ी, पहनने को तीन कुर्ते, पैरों में टायर से बना चप्पल, आवागमन के लिए एक साइकिल-ताकि प्रकृति को नुकसान न हो।

कई भाषाओं के जानकार आलोक सागर आदिवासियों से उन्हीं की भाषा में संवाद करते हैं। उनको पढ़ना-लिखना सिखाने के साथ-साथ आसपास के जंगलों में उनसे  लाखों फलदार पौधौं का रोपण करवा चुके हैं। फलदार पौधौं का रोपण करवाकर आदिवासियों में गरीबी से लड़ने की उम्मीद जगा रहे हैं। साइकिल से आते जाते बीज इकट्ठा कर आदिवासियों को बोने के लिए देते हैं।

यदि आपके पास है कोई दिलचस्प कहानी या फिर कोई ऐसी कहानी जिसे दुसरे तक पहुँचना चाहिए, तो आप हमें लिख भेंजें:- ekawaz18@gmail.com

"आप की कहानी आप की जुबानी। अपनी आपबीती हमें बताएँ, हम दुनिया को बताएँगे।"