उत्तर प्रदेश (यूपी) की योगी आदित्यनाथ सरकार ने प्रदेश में 15 जुलाई से प्लास्टिक बैन का आदेश जारी कर दिया है। सरकार फिलहाल 50 माईक्रॉन से पतली प्लास्टिक पर रोक लगाने जा रही है।
प्लास्टिक बैन से संबंधित मुख्य तथ्य
योगी सरकार ने यह फैसला पर्यावरण को बचाने और प्रदेश में अंधाधुंध हो रहे प्लास्टिक के इस्तेमाल को रोकने के लिए लिया है।
राज्य में 15 जुलाई के बाद प्लास्टिक के कप, ग्लास और पॉलिथीन के इस्तेमाल पर रोक लगा दिया गया हैं। बैन के बाद दोषी पाये जाने वाले लोगों पर 50 हजार रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। हाल ही में महाराष्ट्र में हुए प्लास्टिक बैन के बाद अब यूपी प्लास्टिक बैन करने वाला देश का 19वां राज्य बन गया है।
महाराष्ट्र सरकार द्वारा प्लास्टिक पर प्रतिबंध
गौरतलब है कि महाराष्ट्र सरकार ने जून माह में प्रदेश में सभी प्रकार की प्लास्टिक के प्रयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है। इतना ही नहीं सरकार ने इस्तेमाल करते पकड़े जाने पर भारी जुर्माने का प्रावधान भी किया है। इसके मुताबिक पहली बार पकड़े जाने पर 5 हजार रुपए, दूसरी बार में 10 हजार व तीसरी बार में 25 हजार और 3 महीने जेल का जाने का कड़ा जुर्माना लगाया गया है।
पैकिंग वाली पन्नियों पर प्रतिबंध नहीं
पॉलीथिन पर प्रतिबंध के मामले में पैकिंग वाली पन्नियों को अलग रखा गया है। इसमें कोई प्रतिबंध नहीं रहेगा।साथ ही ऐसी सीलबंद खाद्य सामग्री जो पॉलीथिन में पैक होकर आती है उसमें भी प्रतिबंध नहीं होगा।
पृष्ठभूमि
प्रदेश में पॉलीथिन पर प्रतिबंध के लिए नगर विकास विभाग का उत्तर प्रदेश प्लास्टिक और अन्य जीव अनाशित कूड़ा-कचरा अधिनियम-2000 है। इसके प्रावधानों में 20 माइक्रॉन से कम की पॉलीथिन के उपयोग पर प्रतिबंध है। जबकि पर्यावरण विभाग की 22 दिसंबर 2015 की अधिसूचना के अनुसार प्रदेश में सभी प्रकार की प्लास्टिक की थैलियों पर प्रतिबंध है। पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत उल्लंघन होने पर इसमें अभियोजन की कार्यवाही होती है।
दिल्ली समेत देश के कई राज्यों में पॉलीथिन और प्लास्टिक से बनी सामग्रियों पर रोक लगाने की घोषणा की जा चुकी है। गंगा नदी में भी प्लास्टिक की थैलियां फेंकने पर बैन है।