लोकसभा ने 26 जुलाई, 2018 को व्यक्तियों का दुर्व्यापार (निवारण, संरक्षण और पुनर्वास) विधेयक, 2018 (Trafficking of Persons (Prevention, Protection and Rehabilitation) Bill, 2018) पारित कर दिया।सीपीआई (एम), सीपीआई व बीजेडी जैसे दलों ने इस विधेयक को संसद् की स्थायी कमेटी को भेजने की मांग की थी परंतु सरकार ने यह मांग नहीं मानी। यह विधेयक व्यक्तियों विशेषकर महिलाओं और बालकों के दुर्व्यापार के निवारण के लिए और उनकी देख-रेख तथा संरक्षण के उद्देश्य से पारित किया गया है।
विधेयक की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
- राष्ट्रीय दुर्व्यापार विरोधी ब्यूरो (National Anti-Trafficking Bureau) का गठन किया जाएगा जो दुर्व्यापार के मामलों पर निगरानी करेगा।
- दुर्व्यापार के गंभीर मामलों में 10 वर्षों की जेल की सजा का प्रावधान किया गया है। गंभीर मामलों में शामिल हैंः बंधुुआ मजदूरी या बच्चों के जन्म के लिए व्यक्तियों की खरीद-बिक्री तथा रासायनिक पदार्थों को खिलाना।
- उत्पीडि़तों को राहत एवं पुनर्वास सेवाओं हेतु राष्ट्रीय दुर्व्यापार विरोधी राहत व पुनर्वास कमेटी (National Anti-Trafficking Relief and Rehabilitation Committee) का गठन किया जाएगा। महिला एवं बाल विकास मंत्रलय में सचिव इस कमेटी के अध्यक्ष होंगे।
- राज्यों में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य दुर्व्यापार विरोधी राहत व पुनर्वास कमेटी का गठन का प्रावधान भी किया गया है।
- जिला मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में जिला दुर्व्यापार विरोधी राहत व पुनर्वास कमेटी का गठन किया जाएगा।
- पुनर्वास निधि की स्थापना की जाएगी जिसकी आरंभिक पूंजी 10 करोड़ रुपये की होगी। इस निधि का क्रियान्वयन राष्ट्रीय दुर्व्यापार विरोधी राहत व पुनर्वास कमेटी का गठन किया जाएगा।
- अपराध में उपयोग की कई संपत्ति को जब्त करने का भी प्रावधान किया गया है।
- राज्य सरकारों द्वारा राज्य नोडल अधिकारी की नियुक्ति की व्यवस्था की गई है।