Sunday 22 July 2018

गोबर धन योजना

  भारत में प्रतिवर्ष बड़ी मात्रा में कार्बनिक अपशिष्ट उत्पन्न होता है। यहां प्रतिवर्ष लगभग 60 हजार टन अपशिष्ट पशुओं से तथा लगभग 600 मिलियन टन अपशिष्ट फसलों से उत्पन्न होता है। इनमें से अधिकांश का निष्पादन जलाकर अथवा इन्हें कहीं खाली पड़ी भूमि पर अथवा किसी जलाशय में फेंक कर किया जाता है। अपशिष्टों के इस अवैज्ञानिक निष्पादन से अनेक स्वास्थ्य एवं पर्यावरणीय दुष्प्रभाव उत्पन्न होते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के एक आकलन के अनुसार, भारत में प्रतिवर्ष लगभग 5 लाख लोग अस्वच्छ ईंधन के कारण काल का ग्रास बन जाते हैं।  कार्बनिक अपशिष्टों का यदि उचित प्रयोग किया जाए तो ये संसाधनों के रूप में भी प्रयुक्त किए जा सकते हैं। इनका ईंधन, उर्वरक तथा अन्य ऊर्जा गतिविधियों में उपयोग किया जा सकता है। कार्बनिक अपशिष्टों के इन्हीं संभावनाओं के दोहन हेतु वित्त मंत्री द्वारा बजट भाषण, 2018-19 में गोबर धन योजना की घोषणा की गई थी।  शुभारंभ 30 अप्रैल, 2018 को पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री सुश्री उमा भारती द्वारा हरियाणा के करनाल स्थित राष्ट्रीय डेयरी शोध संस्थान (NDRI) से गोबर धन (GOBAR Dhan) योजना का शुभारंभ किया गया। गोबर धन (Galvanizing Organic Bio-Agro Resources Dhan) योजना स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत क्रियान्वित की जाएगी। इस योजना के तहत वर्ष 2018-19 में कुल 700 बायोगैस इकाईयां स्थापित की जाएंगी। योजना के तहत प्रत्येक जिले में कम-से-कम एक बायोगैस इकाई लगाने का प्रस्ताव है। उद्देश्य गोबर धन योजना बहुआयामी उद्देश्य रखती है। इसके उद्देश्यों को 6 प्रमुख बिंदुओं में रखा जा सकता है- (i) गांवों को बायो ऊर्जा उपलब्ध कराकर उन्हें स्वच्छ ऊर्जा में आत्मनिर्भर बनाना। (ii) स्वच्छ एवं सस्ती ऊर्जा उपलब्धता के द्वारा ग्रामीण परिवारों का सशक्तीकरण करना। (iii) बायोगैस संयंत्रों के निर्माण, प्रबंधन आदि कार्यों के माध्यम से गांवों में रोजगार के नए अवसरों का सृजन करना। (iv) कृषि हेतु कार्बनिक उर्वरक प्रदान कर कृषि की धारणीयता एवं उत्पादकता में वृद्धि करना। (v) कार्बनिक अपशिष्टों के उचित प्रबंधन द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता को प्रोत्साहित करना। (vi) स्वच्छ परिवेश तथा स्वच्छ ईंधन के प्रयोग के माध्यम से अनेक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का समाधान करना।  प्रमुख तथ्य गोबर धन योजना स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के ओडीएफ प्लस (खुले में शौच से मुक्ति से आगे) रणनीति का प्रमुख भाग है। इसके तहत प्रदान की जाने वाली वित्तीय सहायता केंद्र एवं राज्य के मध्य 60:40 के अनुपात में होगी। इस पर तकनीकी सहायता देने हेतु पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकारी समिति (NTAC) का गठन किया जाएगा। लाभ योजना से गांवों में स्वच्छता बढ़ेगी जिससे पर्यावरणीय प्रदूषण की समस्या का समाधान होगा तथा अनेक बीमारियों जैसे मलेरिया, कॉलरा आदि रोगों के प्रभाव में कमी आएगी। रसोई तक स्वच्छ ईंधन की उपलब्धता से महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार के साथ-साथ महिलाओं का सशक्तीकरण भी होगा क्योंकि अब वे ईंधन इकट्ठा करने के समय को उत्पादक गतिविधियों में लगा सकेंगी। गोबर धन योजना बड़ी मात्रा में रोजगार के अवसरों का सृजन करेगी जिससे लोगों की आय में संवर्धन भी होगा। कृषि की दृष्टि से भी यह योजना काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे जहां एक ओर किसानों को महंगे रासायनिक खादों के विकल्प में सस्ती कार्बनिक खादें मिलेंगी वहीं दूसरी ओर कृषि की उत्पादकता तथा धारणीयता दोनों में सुधार होगा। इसका समग्र प्रभाव किसानों एवं कृषि आश्रित अन्य वर्गों की आय में वृद्धि के रूप में दिखेगा।

भारत में प्रतिवर्ष बड़ी मात्रा में कार्बनिक अपशिष्ट उत्पन्न होता है। यहां प्रतिवर्ष लगभग 60 हजार टन अपशिष्ट पशुओं से तथा लगभग 600 मिलियन टन अपशिष्ट फसलों से उत्पन्न होता है। इनमें से अधिकांश का निष्पादन जलाकर अथवा इन्हें कहीं खाली पड़ी भूमि पर अथवा किसी जलाशय में फेंक कर किया जाता है। अपशिष्टों के इस अवैज्ञानिक निष्पादन से अनेक स्वास्थ्य एवं पर्यावरणीय दुष्प्रभाव उत्पन्न होते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के एक आकलन के अनुसार, भारत में प्रतिवर्ष लगभग 5 लाख लोग अस्वच्छ ईंधन के कारण काल का ग्रास बन जाते हैं।

कार्बनिक अपशिष्टों का यदि उचित प्रयोग किया जाए तो ये संसाधनों के रूप में भी प्रयुक्त किए जा सकते हैं। इनका ईंधन, उर्वरक तथा अन्य ऊर्जा गतिविधियों में उपयोग किया जा सकता है। कार्बनिक अपशिष्टों के इन्हीं संभावनाओं के दोहन हेतु वित्त मंत्री द्वारा बजट भाषण, 2018-19 में गोबर धन योजना की घोषणा की गई थी।

शुभारंभ
  • 30 अप्रैल, 2018 को पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री सुश्री उमा भारती द्वारा हरियाणा के करनाल स्थित राष्ट्रीय डेयरी शोध संस्थान (NDRI) से गोबर धन (GOBAR Dhan) योजना का शुभारंभ किया गया।
  • गोबर धन (Galvanizing Organic Bio-Agro Resources Dhan) योजना स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत क्रियान्वित की जाएगी।
  • इस योजना के तहत वर्ष 2018-19 में कुल 700 बायोगैस इकाईयां स्थापित की जाएंगी।
  • योजना के तहत प्रत्येक जिले में कम-से-कम एक बायोगैस इकाई लगाने का प्रस्ताव है।
उद्देश्य
गोबर धन योजना बहुआयामी उद्देश्य रखती है। इसके उद्देश्यों को 6 प्रमुख बिंदुओं में रखा जा सकता है-
(i) गांवों को बायो ऊर्जा उपलब्ध कराकर उन्हें स्वच्छ ऊर्जा में आत्मनिर्भर बनाना।
(ii) स्वच्छ एवं सस्ती ऊर्जा उपलब्धता के द्वारा ग्रामीण परिवारों का सशक्तीकरण करना।
(iii) बायोगैस संयंत्रों के निर्माण, प्रबंधन आदि कार्यों के माध्यम से गांवों में रोजगार के नए अवसरों का सृजन करना।
(iv) कृषि हेतु कार्बनिक उर्वरक प्रदान कर कृषि की धारणीयता एवं उत्पादकता में वृद्धि करना।
(v) कार्बनिक अपशिष्टों के उचित प्रबंधन द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता को प्रोत्साहित करना।
(vi) स्वच्छ परिवेश तथा स्वच्छ ईंधन के प्रयोग के माध्यम से अनेक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का समाधान करना।

प्रमुख तथ्य
  • गोबर धन योजना स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के ओडीएफ प्लस (खुले में शौच से मुक्ति से आगे) रणनीति का प्रमुख भाग है।
  • इसके तहत प्रदान की जाने वाली वित्तीय सहायता केंद्र एवं राज्य के मध्य 60:40 के अनुपात में होगी।
  • इस पर तकनीकी सहायता देने हेतु पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकारी समिति (NTAC) का गठन किया जाएगा।
लाभ
  • योजना से गांवों में स्वच्छता बढ़ेगी जिससे पर्यावरणीय प्रदूषण की समस्या का समाधान होगा तथा अनेक बीमारियों जैसे मलेरिया, कॉलरा आदि रोगों के प्रभाव में कमी आएगी।
  • रसोई तक स्वच्छ ईंधन की उपलब्धता से महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार के साथ-साथ महिलाओं का सशक्तीकरण भी होगा क्योंकि अब वे ईंधन इकट्ठा करने के समय को उत्पादक गतिविधियों में लगा सकेंगी।
  • गोबर धन योजना बड़ी मात्रा में रोजगार के अवसरों का सृजन करेगी जिससे लोगों की आय में संवर्धन भी होगा।
  • कृषि की दृष्टि से भी यह योजना काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे जहां एक ओर किसानों को महंगे रासायनिक खादों के विकल्प में सस्ती कार्बनिक खादें मिलेंगी वहीं दूसरी ओर कृषि की उत्पादकता तथा धारणीयता दोनों में सुधार होगा। इसका समग्र प्रभाव किसानों एवं कृषि आश्रित अन्य वर्गों की आय में वृद्धि के रूप में दिखेगा।