Tuesday, 24 July 2018

कंबोडिया में है दुनिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर, सनातन धर्म के लिए है सबसे पवित्र स्थल

  आज हम आपको कंबोडिया में स्थित दुनिया के सबसे बड़े मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। इस मंदिर का नाम है अंकोरवाट। यूनेस्को द्वारा इस मंदिर को विश्व धरोहर का दर्जा दिया गया है। यह राजधानी नोम पेन्ह से करीब 206 किमी की दूरी पर स्थित है। इसे दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक स्मारक भी कहा जाता है।    भगवान विष्णु की पूजा के लिए बना था मंदिर    162.6 हेक्टेयर भूमि पर बने इस मंदिर को मूल रूप से खमेर साम्राज्य के लिए भगवान विष्णु के एक हिंदू मंदिर के रूप में बनाया गया था। लेकिन यह धीरे-धीरे 12वीं शाताब्दी के अंत में बौद्ध मंदिर के रूप मे परिवर्तित हो गया। यह कंबोडिया के अंकोर में स्थित है जिसका पुराना नाम यशोधरपुर था।    माना जाता है कि मंदिर का निर्माण सम्राट सूर्यवर्मन द्वितीय के शासनकाल में हुआ था। यह एक विष्णु मंदिर है। जबकि इससे पहले के राजाओं ने शिव मंदिरों का निर्माण किया था।    संसार का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर के नाम से जाना जाने वाला ये मंदिर मीकांग नदी के किनारे पर बसा है। यह सैंकड़ों वर्ग मील में फैला हुआ है। इसे राष्ट्र के लिए सम्मान का प्रतीक भी माना जाता है।    कंबोडिया के राष्ट्रीय ध्वज में दिया गया स्थान    इसे 1983 के बाद से कंबोडिया के राष्ट्रध्वज में भी स्थान दिया गया है। यह मंदिर मेरु पर्वत का एक प्रतीक भी माना जाता है। इसके आसपास स्थित अन्य मंदिर भी सुंदरता के प्रतीक हैं। इस प्राचीन मंदिर को दूर-दूर से लोग देखने आते हैं। दीवारों पर चित्रित हैं भारतीय धर्म ग्रंथों के प्रसंग!    इस मंदिर की एक अन्य खासियत यह भी है कि यहाँ की दीवारों पर भारतीय धर्म ग्रंथों के प्रसंगों का चित्रण किया गया है। इन प्रसंगों में बहुत ही सुंदर तरीके से अप्सराओं का भी चित्रण किया गया है। इन पर असुरों और देवताओं के बीच समुद्र मंथन के दृश्य भी बने हैं।    सनातन धर्म के लिए सबसे पवित्र स्थल    यहाँ लोग केवल वास्तुशास्त्र का आनंद लेने नहीं आते बल्कि यहां का सूर्योदय और सूर्यास्त देखने भी आते हैं। इसका दृस्य भी यहाँ बहुत सुंदर लगता है। यह सनातनी लोगों के लिए एक पवित्र तीर्थस्थान है

आज हम आपको कंबोडिया में स्थित दुनिया के सबसे बड़े मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। इस मंदिर का नाम है अंकोरवाट। यूनेस्को द्वारा इस मंदिर को विश्व धरोहर का दर्जा दिया गया है। यह राजधानी नोम पेन्ह से करीब 206 किमी की दूरी पर स्थित है। इसे दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक स्मारक भी कहा जाता है।

भगवान विष्णु की पूजा के लिए बना था मंदिर

162.6 हेक्टेयर भूमि पर बने इस मंदिर को मूल रूप से खमेर साम्राज्य के लिए भगवान विष्णु के एक हिंदू मंदिर के रूप में बनाया गया था। लेकिन यह धीरे-धीरे 12वीं शाताब्दी के अंत में बौद्ध मंदिर के रूप मे परिवर्तित हो गया। यह कंबोडिया के अंकोर में स्थित है जिसका पुराना नाम यशोधरपुर था।

माना जाता है कि मंदिर का निर्माण सम्राट सूर्यवर्मन द्वितीय के शासनकाल में हुआ था। यह एक विष्णु मंदिर है। जबकि इससे पहले के राजाओं ने शिव मंदिरों का निर्माण किया था।

संसार का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर के नाम से जाना जाने वाला ये मंदिर मीकांग नदी के किनारे पर बसा है। यह सैंकड़ों वर्ग मील में फैला हुआ है। इसे राष्ट्र के लिए सम्मान का प्रतीक भी माना जाता है।

कंबोडिया के राष्ट्रीय ध्वज में दिया गया स्थान

इसे 1983 के बाद से कंबोडिया के राष्ट्रध्वज में भी स्थान दिया गया है। यह मंदिर मेरु पर्वत का एक प्रतीक भी माना जाता है। इसके आसपास स्थित अन्य मंदिर भी सुंदरता के प्रतीक हैं। इस प्राचीन मंदिर को दूर-दूर से लोग देखने आते हैं। दीवारों पर चित्रित हैं भारतीय धर्म ग्रंथों के प्रसंग!

इस मंदिर की एक अन्य खासियत यह भी है कि यहाँ की दीवारों पर भारतीय धर्म ग्रंथों के प्रसंगों का चित्रण किया गया है। इन प्रसंगों में बहुत ही सुंदर तरीके से अप्सराओं का भी चित्रण किया गया है। इन पर असुरों और देवताओं के बीच समुद्र मंथन के दृश्य भी बने हैं।

सनातन धर्म के लिए सबसे पवित्र स्थल

यहाँ लोग केवल वास्तुशास्त्र का आनंद लेने नहीं आते बल्कि यहां का सूर्योदय और सूर्यास्त देखने भी आते हैं। इसका दृस्य भी यहाँ बहुत सुंदर लगता है। यह सनातनी लोगों के लिए एक पवित्र तीर्थस्थान है