Wednesday 25 July 2018

"एक थी फूलन"


25 जुलाई 2001 फूलन देवी की पुण्यस्मृति पर नमन है-

       फूलन देवी का नाम आते ही शरीर के रोएं फूट पड़ते हैं। एक अजीब तरह का अहसास होता है क्योंकि एक समय था जब, फूलन देवी के बीहड़ के कारनामों की तूती बोलती थी।"

फूलन देवी कहती है कानून मेरी मुट्ठी में" सहित कई -कई फिल्में फूलन देवी पर बन चुकी थीं। फिल्म "बैंडिड क्वीन" ने भी फूलन की व्यथा कथा समाज के समक्ष रखी।

मेरा निश्चित मत है कि फूलन देवी को एक आदर्श नारी चरित्र कहा जा सकता है जिसने पढ़ाई-लिखाई न होने के बावजूद मनुवाद और मनुवादी संस्कृति को न केवल नकारा बल्कि इसे तार-तार कर स्त्री अस्मिता की अलग ही आधारशिला भी रखी।

फूलन के साथ भी मनुविधान दुहराया गया और सामूहिक रूप से फूलन की अस्मिता तार-तार की गई लेकिन वाह रे फूलन, आपने इसे संयोग, परम्परा, त्रासदी, सामंती रुआब, मनुवादी विधान, गरीबी का अभिशाप, जातिगत इंतजाम न मानकर खुलेआम विद्रोह कर भारतीय संविधान को तार-तार करने वालो या संवैधानिक इंतजामो को अपना दास बनाके रखने वालों का जबाब ईंट के बदले पत्थर से दिया।

फूलन देवी ने प्रतिकार का जो स्वरूप अख्तियार किया वह सभ्य समाज मे अस्वीकार्य है लेकिन क्या फूलन के साथ जो हुवा वह सभ्य समाज मे स्वीकार्य है?

एक बेहमई इलाके की निषाद की भोली-भाली,अपढ़,गरीब बेटी बिद्रोही वीर बाला फूलन देवी मानवीय पहलुओं पर मोम सरीखी तो सामाजिक कुरीतियों, अपमानजनक कार्यो पर चट्टान सरीखी थी। कम से कम इतना तो उस रूप में था कि यह सभ्य समाज तब न फूलन को छू सकता था, न आंख दिखा सकता था और न मार सकता था।


मुझे याद है अखबारों में छपा एक वाकया जो कुछ इस कदर था। फूलन जी ट्रेन से यात्रा कर रही थीं लेकिन वे टिकट नही बनवा सकी थीं। ट्रेन में टिकट चेकिंग करते हुए जब टीटी फूलन देवी जी के पास पहुँचा तो उसने उनसे टिकट मांगा। फूलन जी ने कहा कि टिकट नहीं है, टिकट बना दो। टीटी ने टिकट बनाने के लिए जब नाम पूछा तो उन्होंने ज्योही अपना नाम फूलन देवी बताया, टीटी भाग खड़ा हुआ और स्टेशन से स्टेशन मास्टर व जीआरपी के जवानों के साथ कूपे में वापस लौटा।

फूलन देवी के नाम का ऐसा हनक था लेकिन चंबल की फूलन बनने से पूर्व भी फूलन अस्मत लूटने के बाद मन से मारी गयी और बीहड़ छोड़ने के बाद शरीर से।

इस भारतीय सभ्य समाज ने एक बहादुर नारी को बर्दाश्त नही किया और 25 जुलाई को नृशंस हत्या कर उन्हें शरीर से भले मार डाला लेकिन फूलन को ऐतिहासिक पात्र बनने से कोई  रोक नहीं सकता है। 
        
बहादुर नारी फूलन देवी को उनकी पुण्यतिथि पर नमन है.....