Tuesday, 10 July 2018

रेल मंत्रालय ने यात्रा के दौरान डिजिटल आधार तथा ड्राइविंग लाइसेंस को मंजूरी दी

  रेल मंत्रालय ने 06 जुलाई 2018 को डिजिटलीकरण की दिशा में एक और कदम उठाते हुए यात्रियों को पहचान पत्र के तौर पर मूल दस्तावेज के बजाय डिजिटल आधार व ड्राइविंग लाइसेंस को मंजूरी दे दी है।    रेल मंत्रालय ने डिजिटल लॉकर से वैध पहचान प्रमाण के रूप में प्रस्तुत किये जाने वाले आधार और ड्राइविंग लाइसेंस के विषय की समीक्षा की और यह निर्णय लिया कि ट्रेन में यात्रा करते समय यात्री अपने डिजिटल लॉकर एकाउंट के ‘जारी दस्तावेज’ सेक्शन से आधार/ड्राइविंग लाइसेंस दिखाते हैं तो इन पहचानों को वैध प्रमाण माना जाएगा लेकिन यह स्पष्ट किया जाता है कि यूजर द्वारा ‘अपलोडेड डॉक्यूमेंट’ में अपलोड किये गए दस्तावेज पहचान के वैध प्रमाण नहीं माने जायेंगे।    रेलवे में फिलहाल भारतीय रेल की किसी भी आरक्षित श्रेणी में यात्रा करने के लिए निम्नलिखित पहचान प्रमाण पत्र वैध माने जाते हैं:  भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी फोटो युक्त पहचान पत्र पासपोर्ट आयकर विभाग द्वारा जारी पैनकार्ड आरटीओ द्वारा जारी ड्राइविंग लाइसेंस केंद्र/राज्य सरकार द्वारा जारी क्रम संख्या वाला फोटो युक्त पहचान पत्र मान्यता प्राप्त स्कूल/ कॉलेज द्वारा अपने विद्यार्थियों के लिए फोटो युक्त पहचान पत्र फोटो के साथ राष्ट्रीयकृत बैंक की पासबुक लैमिनेटिड फोटो के साथ बैंकों द्वारा जारी क्रेडिट कार्ड आधार, एम आधार तथा ई-आधार कार्ड  राज्य/ केंद्र सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठान, जिला प्रशासन, पालिका प्रशासन तथा पंचायत द्वारा क्रमसंख्या के साथ जारी फोटो पहचान पत्र स्वीकार किए जाते हैं।    कम्प्यूटरीकृत यात्री आरक्षण प्रणाली (पीआरएस) केंद्रों द्वारा बुक किये गए आरक्षित टिकटों के मामलें में शयनयान तथा द्वितीय आरक्षित सीटिंग श्रेणियों में यात्रा करने के लिए फोटो के साथ राशनकार्ड की फोटो कॉपी, फोटो के साथ राष्ट्रीयकृत बैंक के पासबुक को स्वीकार किया जाएगा।    डिजीलॉकर क्या है?    डिजीलॉकर सरकार से संचालित एक डिजिटल स्टोरेज सेवा है जिसमें भारतीय नागरिक क्लाउड पर अपनी कुछ आधिकारिक दस्तावेज स्टोर कर सकते हैं। आदेश में कहा गया है की अगर एक यात्री अपने डिजीलॉकर एकाउंट में लॉगइन करके जारी दस्तावेज सेक्शन से आधार या ड्राइविंग लाइसेंस दिखाता है तो इसे एक वैलिड आईडेंटिटी प्रूफ के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए।    क्लाउड आधारित सेवा ने छात्रों को मार्कशीट का डिजिटल संस्करण देने के लिए सीबीएसई के साथ भी करार किया था। उपभोक्ता डिजीलॉकर से अपने स्थायी खाता संख्या (पैन) को भी जोड़ सकते हैं।

रेल मंत्रालय ने 06 जुलाई 2018 को डिजिटलीकरण की दिशा में एक और कदम उठाते हुए यात्रियों को पहचान पत्र के तौर पर मूल दस्तावेज के बजाय डिजिटल आधार व ड्राइविंग लाइसेंस को मंजूरी दे दी है।

रेल मंत्रालय ने डिजिटल लॉकर से वैध पहचान प्रमाण के रूप में प्रस्तुत किये जाने वाले आधार और ड्राइविंग लाइसेंस के विषय की समीक्षा की और यह निर्णय लिया कि ट्रेन में यात्रा करते समय यात्री अपने डिजिटल लॉकर एकाउंट के ‘जारी दस्तावेज’ सेक्शन से आधार/ड्राइविंग लाइसेंस दिखाते हैं तो इन पहचानों को वैध प्रमाण माना जाएगा लेकिन यह स्पष्ट किया जाता है कि यूजर द्वारा ‘अपलोडेड डॉक्यूमेंट’ में अपलोड किये गए दस्तावेज पहचान के वैध प्रमाण नहीं माने जायेंगे।

रेलवे में फिलहाल भारतीय रेल की किसी भी आरक्षित श्रेणी में यात्रा करने के लिए निम्नलिखित पहचान प्रमाण पत्र वैध माने जाते हैं:
  • भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी फोटो युक्त पहचान पत्र
  • पासपोर्ट
  • आयकर विभाग द्वारा जारी पैनकार्ड
  • आरटीओ द्वारा जारी ड्राइविंग लाइसेंस
  • केंद्र/राज्य सरकार द्वारा जारी क्रम संख्या वाला फोटो युक्त पहचान पत्र
  • मान्यता प्राप्त स्कूल/ कॉलेज द्वारा अपने विद्यार्थियों के लिए फोटो युक्त पहचान पत्र
  • फोटो के साथ राष्ट्रीयकृत बैंक की पासबुक
  • लैमिनेटिड फोटो के साथ बैंकों द्वारा जारी क्रेडिट कार्ड
  • आधार, एम आधार तथा ई-आधार कार्ड

राज्य/ केंद्र सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठान, जिला प्रशासन, पालिका प्रशासन तथा पंचायत द्वारा क्रमसंख्या के साथ जारी फोटो पहचान पत्र स्वीकार किए जाते हैं।

कम्प्यूटरीकृत यात्री आरक्षण प्रणाली (पीआरएस) केंद्रों द्वारा बुक किये गए आरक्षित टिकटों के मामलें में शयनयान तथा द्वितीय आरक्षित सीटिंग श्रेणियों में यात्रा करने के लिए फोटो के साथ राशनकार्ड की फोटो कॉपी, फोटो के साथ राष्ट्रीयकृत बैंक के पासबुक को स्वीकार किया जाएगा।

डिजीलॉकर क्या है?

डिजीलॉकर सरकार से संचालित एक डिजिटल स्टोरेज सेवा है जिसमें भारतीय नागरिक क्लाउड पर अपनी कुछ आधिकारिक दस्तावेज स्टोर कर सकते हैं। आदेश में कहा गया है की अगर एक यात्री अपने डिजीलॉकर एकाउंट में लॉगइन करके जारी दस्तावेज सेक्शन से आधार या ड्राइविंग लाइसेंस दिखाता है तो इसे एक वैलिड आईडेंटिटी प्रूफ के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए।

क्लाउड आधारित सेवा ने छात्रों को मार्कशीट का डिजिटल संस्करण देने के लिए सीबीएसई के साथ भी करार किया था उपभोक्ता डिजीलॉकर से अपने स्थायी खाता संख्या (पैन) को भी जोड़ सकते हैं