पंचायतों के माध्यम से सरकारी कार्यक्रमों का फायदा अक्सर स्थानीय प्रभावशाली जातियों के लोग उठा रहे हैं और गरीबों तथा वंचितों का सशक्तिकरण नहीं हो पा रहा है। दूसरे शब्दों में पंचायतें राजनीतिक संगठनों के तौर पर कार्य कर रहीं हैं, वे स्थानीय स्तर पर स्वशासन उपलब्ध नहीं करा पा रही हैं। पंचायतों की कार्य कुशलता और उनकी सेवाएँ प्रदान करने की प्रणाली को निम्नलिखित उपाय अपनाकर सुधारा जा सकता है।
सामाजिक क्षेत्र में भागीदारी : पंचायतों को शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वयं सहायता समूहों, पौष्टिक आहार, जल ग्रहण क्षेत्र, चारागाह और वानिकी संबंधी कार्यक्रमों में अधिक सक्रिय भूमिका निभानी चाहिये क्योंकि इससे लोगों को बराबरी के आधार पर भागीदारी निभाने और आम सहमति से कार्य करने का मौका मिलता है।
वित्तीय शक्तियों के उपयोग के लिये प्रोत्साहन : स्थानीय निकायों को विकास के लिये स्थानीय रूप से संसाधन जुटाने को प्रोत्साहित किया जाना चाहिये। बाहर से मिलने वाली धनराशि, जिसमें आंतरिक स्रोतों से धन जुटाने की कोई बाध्यता नहीं जुड़ी होती, पंचायतों को गैर जिम्मेदार और भ्रष्ट बना देती है।
समय पर और विश्वसनीय लेखापरीक्षा : ग्राम पंचायतों के बड़े खर्चों के लेखे-जोखे का स्थानीय निधि लेखा परीक्षकों से ऑडिट कराना ज़रूरी है। समय पर और विश्वसनीय लेखा परीक्षा से पंचायतों में व्याप्त भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई जा सकती है और ऑडिट अधिकारियों की जवाबदेही तय की जा सकती है।
पंचायतों का वर्गीकरण हो : पंचायतों द्वारा किये जाने वाले कार्यों की पत्रकारों की टीम, सिविल सोसायटी के सदस्यों, आस-पास की ज़िला पंचायतों के नेताओं और अन्य संबद्ध लोगों द्वारा कड़ी निगरानी की जानी चाहिये। उनकी रिपोर्टों के आधार पर पंचायतों का वर्गीकरण किया जाना चाहिये और भविष्य में सभी धनराशि वर्गीकरण के आधार पर ही दी जानी चाहिये।
पारदर्शिता को प्रोत्साहन : पंचायतें खुली बैठकों के आयोजन, बैठकों की कार्यवाही को जनता के साथ साझा करके और नियमों का पालन न करने वालों या अपना टैक्स न चुकाने वालों के नाम सार्वजनिक रूप से उजागर कर पारदर्शिता बढ़ा सकती है।
प्रशासन में सुधार : पंचायतों को कारगर बनाने के लिये ज़िला और ब्लॉक स्तर के प्रशासन को भी कारगर बनाना होगा यानी बेहतर जवाबदेही और कार्य निष्पादन के लिये स्थानीय प्रशासन को पंचायतों के साथ मिलकर कार्य करना होगा तथा स्थानीय पंचायतों को सक्षम बनाना
होगा।
अतः जवाबदेही संबंधी महत्त्वपूर्ण प्रणालियाँ कायम करने के बाद प्रशासनिक और वित्तीय कामकाज के विकेंद्रीकरण की प्रक्रिया शुरू की जानी चाहिये ताकि पारदर्शिता और सत्यनिष्ठा के साथ पंचायतों की कार्यकुशलता में सुधार लाया जा सके।