दरभंगा से नई दिल्ली जाने वाली मिथिलांचल की प्रीमियम ट्रेन बिहार संपर्क क्रांति सुपरफास्ट मधुबनी पेंटिंग से सज-धजकर नौ कोचों के साथ नई दिल्ली रवाना हुई। 23 अगस्त की सुबह 8: 25 बजे समस्तीपुर रेल मंडल के डीआरएम रवींद्र कुमार जैन ने दरभंगा जंक्शन पहुंचकर भारतीय रेल के इस अभिनव प्रयोग के संबंध में मीडिया को जानकारी दी तथा स्वयं भी इस ट्रेन में सवार होकर रवाना हो गए।
- तकरीबन दो महीने में 50 कलाकारों ने बिहार संपर्क क्रांति के नौ डिब्बों को मधुबनी पेंटिंग से सजाया।
- भारतीय रेल की ओर से किया गया यह पहला प्रयोग है।
- अगर यात्रियों ने इसे पसंद किया तो अन्य गाडि़यों में भी इसे उकेरा जाएगा।
- मधुबनी पेंटिंग की इस कला से दूसरे नगर व प्रदेश के यात्रियों को भी मिथिलांचल की कला व संस्कृति से रू-ब-रू होने का अवसर प्राप्त हो सकेगा।
- मधुबनी पेंटिंग अपनी कला के लिए विश्वविख्यात रही है। इसलिए इस कला को ट्रेनों के माध्यम से एक जगह से दूसरी जगह संप्रेषित किया जा रहा है।
- किसी क्षेत्रीय कला को स्थान देने वाली इंडियन रेलवे की यह पहली ट्रेन बन गई। मधुबनी पेंटिंग से सजी इस ट्रेन का परिचालन होने से मिथिलावासी बहुत खुश हैं।
- इससे प्रभावित होकर रेलवे ने स्टेशनों एवं ट्रेनों में मिथिला पेंटिंग उकेर कर सौंदर्यीकरण की दिशा में काम शुरू किया है। बिहार संपर्क क्रांति को मॉडल के रूप में लिया गया। फिलहाल नौ बोगियां मिथिला पेंटिंग से सजाई गईं हैं। इसमें एक से डेढ़ माह का समय लगा है। शेष बोगियों का कार्य जल्द पूरा करने के बाद पूरे कोच को मिथिला पेंटिंग से सुसज्जित कर चलाया जाएगा।
बोगियों के अंदर होगी मिथिला पेंटिंग
- फिलहाल नौ बोगियों पर मिथिला पेंटिंग कर परिचालन शुरू किया गया है।
- इसको मधुबनी (बेनीपट्टी) की संस्था केएसबी इंस्टीट्यूट के कलाकारों के माध्यम से कराया गया है।
- 13 कलाकारों की टीम ने एक बोगी में औसतन चार दिनों में पेंटिंग की है।
- टीम में खुशबू चौधरी, अंजनी झा, प्रीति कुमारी, रिंकू कुमार, प्रीति झा, सपना कुमारी सहित लगभग 45 कलाकारों की सहभागिता रही।
- सभी कोच में बाहर से पेंटिंग होने के बाद जल्द ही भीतरी भाग में कार्य शुरू कराया जाएगा। इच्छुक कलाकारों को मौका दिया जाएगा। बदले में पारिश्रमिक दिया जाएगा। इसके लिए कलाकार आवेदन कर सकते हैं।