Friday 17 August 2018

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री व भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी का निधन


भारत के पूर्व प्रधानमंत्री व भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी का 93 वर्ष की आयु में 16 अगस्त, 2018 को नई दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में निधन हो गया।

राजकीय शोक 

केंद्र सरकार ने सात दिन का राजकीय शोक घोषित किया। इस दौरान राष्‍ट्रीय झंडा आधा झुका रहेगा। केंद्र सरकार के कार्यालयों में आधे दिन की छुट्टी रहेगी। इसके साथ उत्‍तर प्रदेश, उत्‍तराखंड, मध्‍यप्रदेश, झारखंड और बिहार ने भी सात दिन का राजकीय शोक घोषित किया। पंजाब ने तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया।

स्‍कूल कॉलेजों में सार्वजनिक अवकाश

उत्‍तर प्रदेश, दिल्‍ली, झारखंड, बिहार, तमिलनाडु, मध्‍यप्रदेश, ओडिशा, कर्नाटक, उत्‍तराखंड और पंजाब में 17 अगस्त 2018 को स्‍कूल, कॉलेज और सरकारी कार्यालय बंद रहेंगे। हिमाचल प्रदेश ने दो दिन की छुट्टी ऐलान किया। भारतीय उद्योग व्‍यापार मंडल ने 17 अगस्त 2018 को दिल्‍ली के बाजार बंद करने का निर्णय लिया है।आज छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस रेलवे स्टेशन की लाइट्स बंद रहेंगी।

आपको बता दें कि वाजपेयी काफी दिनों से बीमार थे। वे लगभग 15 साल पहले राजनीति से संन्यास ले चुके थे।

मधुमेह से पीड़ित वाजपेयी का एक ही गुर्दा काम करता था। हालांकि, इन सबमें डिमेंशिया से भी अटल बिहारी वाजपेयी सबसे ज्यादा पीड़ित थे।

डिमेंशिया क्या है?

डिमेंशिया किसी खास बीमारी नहीं, बल्कि एक अवस्था है। डिमेंशिया में इंसान की याददाश्त कमजोर हो जाती है और वह अपने रोजमर्रा के काम भी ठीक से नहीं कर पाता है। डिमेंशिया से पीड़ित लोगों में लघु याददाश्त जैसे लक्षण भी देखने को मिलते हैं। अकसर लोग डिमेंशिया को सिर्फ एक भूलने की बीमारी के नाम से जानते हैं, और सोचते हैं कि यह मुख्यतर याददाश्त की समस्या है। पर डिमेंशिया के अनेक गंभीर और चिंताजनक लक्षण होते हैं। डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति की हालत समय के साथ बिगड़ती जाती है, और सहायता की जरूरत भी बढ़ती जाती है। इसमें मस्तिष्क में हानि भी होती है।

➤ उनका जन्म 25 दिसंबर, 1924 को ग्वालियर में हुआा था। उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी तथा माता का नाम कृष्णा देवी थीं। उनके दादाजी उत्तर प्रदेश के बातेश्वर से ग्वालियर के मुरैना प्रवास कर गए थे।

 उनके राजनीतिक जीवन की शुरूआत 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने से हुयी। वे 1939 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य बनें।

 उनका पत्रकारिता जीवन अल्प समय का रहा। 1951 में जन संघ में शामिल हुये। 1968 में इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष बनें। 1980 में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना के साथ ही इसके प्रथम अध्यक्ष भी बनें।

 वे सर्वप्रथम 1957 में उत्तर प्रदेश के बलरापुर लोकसभा क्षेत्र से लोकसभा के लिए चुने गये। वे दस बार लोकसभा के लिए दो बार राज्य सभा के लिए चुने गये। वे 1991, 1996, 1998, 1999 व 2004 में लखनऊ संसदीय क्षेत्र से लोकसभाा के चुने गए। 1984 में वे माधव राव सिंधिया से ग्वालियर से लोकसभा चुनाव हार गए थे।

 वे मोरारजी देसाई की सरकार (1977) में विदेश मंत्री रहे। विदेश मंत्री के रूप में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा को हिंदी में संबोधित किया। ऐसा करने वाले वे प्रथम व्यक्ति थे।

संयुक्त राष्ट्र अधिवेशन में हिंदी में भाषण

वर्ष 1977 में मोरार जी देसाई की सरकार में अटल बिहारी वाजपेयी विदेश मंत्री थे, वे तब पहले गैर कांग्रेसी विदेश मंत्री बनें थे। इस दौरान उन्होंने संयुक्त राष्ट्र अधिवेशन में उन्होंने हिंदी में भाषण दिया था और दुनियाभर में हिंदी भाषा को पहचान दिलाई। हिंदी में भाषण देने वाले अटल भारत के पहले विदेश मंत्री थे। पहली बार यूएन जैसे अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत की राजभाषा गूंजी थी। इतना ही नहीं भाषण खत्म होने के बाद यूएन में आए सभी देश के प्रतिनिधियों ने खड़े होकर अटल बिहारी वाजपेयी का तालियों से स्वागत किया था।

 उन्होंने तीन बार भारत के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। वे पहली बार मई 1996 में 13 दिनों के लिए प्रधानमंत्री बने थे। फिर 1998 में 13 महीनों के लिए और 1999-2004 तक पूर्ण कार्यकल तक प्रधानमंत्री रहे।

 प्रधानमंत्री का कार्यकाल पूरा करने वाले वे प्रथम गैर-कांग्रेसी नेता थे।

 जवाहर लाल नेहरू के पश्चात वे प्रथम व एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने लगातार तीन लोकसभा तक प्रधानमंत्री पद पर रहे।

 उनका कार्यकाल कारगिल युद्ध (1999), संसद पर हमला (2001) व कांधार विमान अपहरण (1999 में आईसी 814) के कारण चर्चा में रहा।

कारगिल युद्ध

पाकिस्तानी सेना और उग्रवादियों ने कारगिल क्षेत्र में घुसपैठ करके कई पहाड़ी चोटियों पर कब्जा कर लिया था। अटल सरकार ने पाकिस्तान की सीमा का उल्लंघन न करने की अंतर्राष्ट्रीय सलाह का सम्मान करते हुए धैर्यपूर्वक किंतु ठोस कार्यवाही करके भारतीय क्षेत्र को मुक्त कराया था। इस युद्ध में प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण भारतीय सेना को जान माल का काफी नुकसान हुआ था और पाकिस्तान के साथ शुरु किए गए संबंध सुधार एकबार फिर शून्य हो गया था।

 1998 में पोखरण में पांच परमाणु परीक्षण किए गए।

पोखरण में परमाणु परीक्षण

पोखरण में 11 मई और 13 मई 1998 को पांच भूमिगत परमाणु परीक्षण विस्फोट कर अटल बिहारी वाजपेयी ने सभी को चौंका दिया था। यह भारत का दूसरा परमाणु परीक्षण था. इससे पहले वर्ष 1974 में पोखरण 1 का परीक्षण किया गया था। दुनिया के कई संपन्न देशों के विरोध के बावजूद अटल सरकार ने इस परीक्षण को अंजाम दिया था, जिसके बाद अमेरिका, कनाडा, जापान और यूरोपियन यूनियन समेत कई देशों ने भारत पर कई तरह की रोक भी लगा दी थी जिसके बावजूद अटल सरकार ने देश की जीडीपी में बढ़ोतरी की। पोखरण का परीक्षण अटल बिहारी वाजपेयी के सबसे बड़े फैसलों में से एक था।

 उन्हीें के कार्यकाल में 6 से 14 वर्ष के बच्चों के लिए बुनियादी शिक्षा को निःशुल्क किया गया। इसके लिए सर्व शिक्षा अभियान 2001 में आरंभ किया गया।

 14-16 जुलाई, 2001 को तत्कालीन पाकिस्तानी शासक परवेज मुशर्रफ को वार्ता के लिए आगरा आमंत्रित किया।

 दिल्ली-लाहौर के बीच 19 फरवरी, 1999 को बस सेवा आरंभ हुआ।

 देश के चार मेट्रोपोलिटन शहरों को जोड़ने के लिए स्वर्णिम चतुर्भुज योजना आरंभ की गई। गांवों को सड़कों से जोड़ने के लिए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना आरंभ की गई।

 उन्हीं के कार्यकाल में वर्ष 2000 तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने भारत की यात्र की। 22 वर्षों के पश्चात किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत की यात्र की थी।

पुरस्कार

 सर्वतोमुखी विकास के लिये किये गये योगदान तथा असाधारण कार्यों के लिये दिसंबर 2014 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।

 भारत रत्न भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। यह सम्मान राष्ट्रीय सेवा के लिए दिया जाता है। इन सेवाओं में कला, साहित्य, विज्ञान, सार्वजनिक सेवा और खेल शामिल है। इस सम्मान की स्थापना 02 जनवरी 1954 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद द्वारा की गई थी।

 उन्हें बांग्लादेश सरकार ने वर्ष 2015 में फ्रेंड्स ऑफ बांग्लादेश लिबरेशन वार अवॉर्ड से नवाजा था।

 यह अवार्ड उन्हें  वर्ष 1971 में पाकिस्तान से स्वतंत्रता प्राप्त करने में बांग्लादेश की मदद करने के लिए दिया गया था। उस वक्त  वह लोकसभा के सदस्य‍ थे।

 पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को वर्ष 2015 में मध्य‍ प्रदेश के भोज मुक्त विद्यालय ने भी डी लिट की उपाधि दी थी।

 उन्हें वर्ष 1994 में श्रेष्ठ सांसद के पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।

 कानपुर विश्वविद्यालय ने वर्ष 1993 में उन्हेंं डी लिट की उपाधि से सम्मानित किया था।

 उन्हें  वर्ष 1992 में पद्म विभूषण के नागरिक सम्मा‍न से नवाजा गया था।

 उन्हाेंने कई पुस्तकाें एवं काव्य संग्रह की भी रचना की। संसद में चार दशक, शक्ति से शांति, संकल्प-काल उनकी प्रमुख पुस्तकें हैं।

 नरेंद्र मोदी सरकार ने उनके जन्म दिन 25 दिसंबर को ‘सुशासन दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा की।