भारत ने 03 अगस्त 2018 को अंतर-वायुमंडलीय उन्नत वायु रक्षा (एएडी) इंटरसेप्टर मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार इंटरसेप्टर मिसाइल को ओडिशा तट के अब्दुल कलाम द्वीप से छोड़ा गया।
भारत ने इससे पहले 16 जुलाई 2018 को सफलतापूर्वक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्राह्मोस का परीक्षण किया था।
मुख्य तथ्य
- यह मिसाइल बेहद कम ऊंचाई से आने वाली किसी भी बैलिस्टिक मिसाइल को बीच में ही मार गिराने में सक्षम है।
- रक्षा शोध व विकास संगठन (डीआरडीओ) का कहना है कि इस परीक्षण ने सभी मानकों को पूरा कर लिया।
- इसके साथ भारत ने रक्षा क्षेत्र में एक और मील का पत्थर हासिल कर लिया है। ब्रह्मोस एयरोस्पेस भारत के डीआरडीओ व रूस के फेडरल स्टेट यूनिटरी एंटरप्राइज एनपीओएम का संयुक्त उद्यम है।
- इंटरसेप्टर मिसाइल पृथ्वी के वायुमंडल के भीतर 100 किमी से नीचे की ऊंचाई पर रहती है।
- रक्षा अनुसंधान व विकास संगठन (डीआरडीओ) ने एएडी इंटरसेप्टर का परीक्षण कई नकली लक्ष्यों के खिलाफ किया।
- मिसाइल कई लक्ष्यों में एक को चुनने के बाद उसे निशाना बनाती है।
- डीआरडीओ ने ज्यादा ऊंचाई व कम ऊंचाई दोनों तरह की एंटी बैलिस्टिक मिसाइलों का विकास किया है।
- इंटरसेप्टर एक 7.5 मीटर लंबी एकल चरण वाली ठोस रॉकेट संचालित, निर्देशित मिसाइल है।
- इस मिसाइल में कुछ बेहतर सुविधाएं जोड़ी गई हैं जैसे की नौवहन प्रणाली, एक हाइटेक कंप्यूटर और विद्युत-यांत्रिक उत्प्रेरक।
- मिसाइल को डॉ. अब्दुल कलाम द्वीप के एकीकृत परीक्षण रेंज पर स्थित लॉन्चपैड संख्या-4 पर लगाया गया और यह समुद्र की सतह पर हवा में स्थित अपने लक्ष्य पर निशाना साधने के लिये बढ़ गई।
- इंटरसेप्टर मिसाइल का अपना खुद का मोबाइल लांचर होता है। इसके अलावा स्वतंत्र ट्रैकिंग क्षमता होती है, इसमें अत्याधुनिक रडार होता है. इंटरसेप्शन के लिए सुरक्षित डाटा लिंक भी होता है।
- बहुस्तरीय बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली विकसित करने के प्रयासों के तहत विकसित यह मिसाइल दुश्मन की तरफ से आने वाली बैलिस्टिक मिसाइलों को नष्ट करने में सक्षम है।