नासा के स्पिट्जर स्पेस टेलीस्कोप (दूरबीन) को अंतरिक्ष में 15 साल पूरे हो गए। इस मिशन की अवधि शुरुआत में 2.5 वर्ष रखी गई थी।
इस टेलीस्कोप ने TRAPPIST-1 तारे की परिक्रमा कर रहे सात ग्रहों की खोज के साथ-साथ शुरुआत में बनी आकाशगंगाओं के अध्ययन में भी विशेष योगदान दिया है।
नासा ने यह प्रोग्राम अंतरिक्ष में मौजूद पराबैंगनी किरणें, एक्स रे, गामा रे आदि की वेवलेंथ व ऊर्जा की विभिन्न टेक्नोलॉजी की जांच के लिए लांच किया था। इस टेलीस्कोप की मदद से सौर मंडल के साथ ही अन्य तारों का चक्कर लगा रहे ग्रहों और अंतरिक्ष में होने वाली घटनाओं के बारे में कई रोचक जानकारियां मिलीं।
सर्वाधिक आयु वाला दूरबीन
➤ यह अमेरिका के ग्रेट आब्जर्वेटरी कार्यक्रम में शामिल सर्वाधिक आयु वाला दूरबीन है। ग्रेट आब्जर्वेटरी में चार बड़े दूरबीन हैं, जिनमें स्पिट्जर के अलावा हब्बल स्पेस टेलीस्कोप, कॉप्टन गामा रे आब्जर्वेटरी (सीजीआरओ) और चंद्र एक्स-रे आब्जर्वेटरी शामिल हैं।
➤ इन दूरबीनों के माध्यम से प्रकाश के अलग-अलग और पूरक तरंग आयामों से ब्रह्मांड का अवलोकन किया जाता है।
➤ 15 साल के मिशन के दौरान में स्पिट्जर स्पेस टेलीस्कोप ने कई आकाशगंगाओं के बारे में डाटा एकत्र किया।शनि ग्रह का नया रिंग खोजने के साथ ही यह नए तारों और ब्लैक होल से भी संबंधित जानकारी भी जुटा रहा है। सौर मंडल के बाहर स्थित ग्रहों की खोज में भी इस टेलीस्कोप की अहम भूमिका रही।
स्पिट्जर स्पेस टेलीस्कोप
➤ स्पिट्जर स्पेस टेलीस्कोप (दूरबीन) एक खगोलीय दूरदर्शी है जो अंतरिक्ष में कृत्रिम उपग्रह के रूप में स्थित है।
➤ यह ब्रह्माण्ड की विभिन्न वस्तुओं की अवरक्त (Infrared) प्रकाश में जाँच करता है।
➤ इसे वर्ष 2003 में रॉकेट के जरिये अमेरिकी अंतरिक्ष अनुसन्धान संस्था नासा ने अंतरिक्ष में पहुँचाकर पृथ्वी के इर्द-गिर्द कक्षा (ऑरबिट) में डाला था।
➤ इसे चलते रहने के लिए अति-ठंडी द्रव्य हीलियम की आवश्यकता थी जो 15 मई 2009 को खत्म हो गया।
➤ उसके बाद से इस यान पर मौजूद अधिकतर यंत्रों ने काम करना बंद कर दिया लेकिन इसका कैमरा कुछ हद तक अभी भी खगोलीय वस्तुओं की तस्वीरें उतारने में सक्षम है।