ग्लोबल फूटप्रिंट नेटवर्क ने 1 अगस्त, 2018 को अर्थ ओवरशूट दिवस (Earth Overshoot Day ) का आयोजन किया। इस दिवस का आयोजन त्योहार मनाने के लिए नहीं विश्व को आगाह करने के लिए कि इस वर्ष का प्राकृतिक संसाधन 31 दिसंबर के बजाय 1 अगस्त को ही समाप्त हो गया। वर्ष की शेष अवधि की पूर्ति अगले साल से की जाएगी। यह निश्चित रूप से चिंता का विषय है।
- इस वर्ष ‘मूव द डेट ऑफ अर्थ ओवरशूट डे’ मुख्य विषय है।
- वर्ष 1997 में अर्थ ओवरशूट दिवस सितंबर के अंतिम सप्ताह में मनाया गया था किंतु इस वर्ष यह 1 अगस्त को मनाया गया जिसका मतलब है कि मानव ने अपने लिए प्रकृति के संसाधनों पर कितना अधिक दबाव डाल दिया है।
- ग्लोबल फूटप्रिंट नेटवर्क के अनुसार 1 अगस्त को अर्थ ओवरशूट दिवस का यह भी मायने है कि अब हमारी जरूरतों की पूर्ति के लिए एक पृथ्वी नहीं बल्कि 1.7 पृथ्वी की जरूरत है।
- ग्लोबल फूटप्रिंट नेटवर्क (Global Footprint Network) के अनुसार भारत को अपनी जरूरतों की पूर्ति के लिए 2.5 देशों के संसाधनों की जरूरत है। भारत की प्रतिव्यक्ति बायोकैपिसिटी 0.5 जीएचए, प्रति व्यक्ति इकोलॉजिकल फूटप्रिंट 1.1 जीएचए है और बायोकैपिसिटी घाटा -6 जीएचए है। क्या है अर्थ ओवरशूट दिवस?
- अर्थ ओवरशूट दिवस वह तिथि है जब किसी दिए हुए वर्ष में मानव की पारिस्थितिकीय संसाधन एवं सेवाओं की मांग, उस वर्ष में पृथ्वी द्वारा सृजित इन संसाधनों एवं सेवाओं से अधिक हो जाती है।
- इसका आकलन पारिस्थितिकीय संसाधनों एवं जमा अपशिष्ट, प्राथमिक तौर पर वायुमंडल में कार्बन डाई ऑक्साइड के जमाव की तरलता के आधार पर किया जाता है। इसका आकलन ग्लोबल फूटप्रिंट नेवटर्क द्वारा किया किया जाता है।