Tuesday 7 August 2018

संसद ने आपराधिक कानून संशोधन विधेयक पारित किया


संसद ने 06 अगस्त 2018 को आपराधिक कानून संशोधन विधेयक-2018 पारित कर दिया है यह विधेयक 21 अप्रैल को जारी आपराधिक कानून संशोधन अध्‍यादेश का स्‍थान लेगा

लोकसभा ने 30 जुलाई 2018 को आपराधिक कानून संशोधन विधेयक-2018 पारित कर दिया था

विधेयक में दुष्‍कर्म के अपराधियों को कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है इस विधेयक के दूरगामी परिणाम होंगे और इससे अपराधियों में भय पैदा होगा सरकार की प्राथमिकता महिला सुरक्षा है और इसीलिए यह कानून लाया गया है

राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह विधेयक कानून में तब्दील हो जाएगा और 21 अप्रैल को लागू आपराधिक कानून (संशोधन) अध्यादेश की जगह ले लेगा. कठुआ और उन्नाव दुष्कर्म कांड के बाद केंद्र सरकार ने छोटी बच्चियों से दुष्कर्म के दोषियों को फांसी की सजा दिलाने के लिए इस अध्यादेश का सहारा लिया था

आपराधिक कानून संशोधन विधेयक
  • विधेयक के जरिए भारतीय दंड संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम-1872, अपराध प्रक्रिया संहिता 1973 और बाल यौन अपराध सुरक्षा कानून-2012 में संशोधन किया गया है।
  • इस कानून में 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से दुष्‍कर्म के दोषियों को मौत की सजा का प्रावधान है।
  • साथ ही 16 साल से छोटी बच्चियों से दुष्‍कर्म का दोषी पाए जाने पर कम से कम 20 साल की कठोर सजा का प्रावधान है, जिसे उम्रकैद तक भी बढ़ाया जा सकता है।
  • सोलह वर्ष से कम आयु की किशोरी से सामूहिक दुष्‍कर्म के अपराध के लिये दंड आजीवन कारावास होगा जिसका अभिप्राय उस व्यक्ति के शेष जीवनकाल के लिये कारावास होगा और जुर्माना देना होगा।
  • बारह वर्ष से कम आयु की लड़की से सामूहिक दुष्‍कर्म के अपराध के लिये दंड आजीवन कारावास होगा जिसका अभिप्राय उस व्यक्ति के शेष जीवनकाल के लिये कारावास होगा और जुर्माना देना होगा अथवा मृत्यु दंड होगा।
  • इसके अलावा किसी भी उम्र की महिला से दुष्‍कर्म के मामले न्यूनतम सजा 7 साल से 10 साल सश्रम कारावास की गई है जिसे उम्रक़ैद तक भी बढ़ाई जा सकती है।
  • नए कानून के तहत जांच पड़ताल में कोई भी पीड़िता से उसके आचरण के बारे में सवाल नहीं पूछ सकता है।
  • दुष्‍कर्म की घटना में पीड़िता को तुरंत मुफ्त में प्राथमिक उपचार मुहैया कराया जाएगा और अस्पताल तत्काल पुलिस को सूचित भी करेगा।
  • दुष्‍कर्म के सभी मामलों की जांच अनिवार्य रूप से दो महीने में और ऐसे सभी मुकदमों की सुनवाई भी दो महीने में पूरी करनी होगी. अपीलों के निपटारे के लिए छह महीने की सीमा तय की गई है।
  • 16 साल से कम उम्र की लड़की के साथ दुष्‍कर्म या सामूहिक दुष्‍कर्म के आरोपी को अग्रिम जमानत नहीं मिल सकेगी।
  • दुष्‍कर्म के सभी मामलों में प्रयास किया जाएगा कि मामले की सुनवाई कोई महिला जज करें ऐसे मामलों में बंद कमरे में सुनवाई होने से भी पीड़िताओं को बल मिलेगा।
  • संसद ने आपराधिक कानून संशोधन विधेयक 2018 पास कर दिया है और कई कड़े कदम उठाये जा रहे हैं भारतीय दंड संहिता, दण्‍ड प्रक्रिया संहि‍ता और भारतीय साक्ष्‍य अधिनियम मे भी धाराएं शामिल की गई हैं, जिनके दूरगामी परिणाम होंगे।

मौत की सजा का प्रावधान

मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और अरुणाचल प्रदेश में पहले ही 12 वर्ष से कम उम्र की बच्चियों के साथ दुष्कर्म के दोषियों के लिए मौत की सजा का प्रावधान किया जा चुका