स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्त्व के पश्चिमी विचारों ने 19वीं सदी में भारतीय समाज के पुनर्जागरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। तत्कालीन भारतीय समाज में कई रुढ़िवादी धार्मिक और सामाजिक मान्यताएँ प्रचलित थीं, जिनमें से कई बुराई का स्वरूप धारण कर चुकी थीं। विभिन्न समाज सुधारकों ने इन्ही बुराईयों को समाप्त करने का प्रयास किया। इसके द्वारा न केवल भारतीय समाज जागृत हुआ, बल्कि उसमें राष्ट्रवाद की भावना का भी प्रसार हुआ।
जाति प्रथा की बुराईयों से संघर्ष
- तत्कालीन समाज में जाति बिना किसी नैतिक आधार के एक विभाजनकारी शक्ति के रूप में विद्यमान थी। राजा राममोहन राय, महादेव गोविंद रानाडे जैसे प्रगतिशील विचारकों तथा दयानंद सरस्वती ने ब्रह्म समाज, प्रार्थना समाज और आर्य समाज जैसे संस्थानों की स्थापना कर जाति प्रथा का विरोध किया और अंतर्जातीय विवाहों का समर्थन किया।
- दयानंद सरस्वती ने “वेदों की ओर लौटो” के नारे के साथ वंश आधारित जाति प्रथा का विरोध किया और वैदिक युग की वर्णाश्रम व्यवस्था की तरह व्यवसाय अनुसार वर्णों पर आधारित सामाजिक व्यवस्था की वकालत की।
- सत्यशोधक समाज की स्थापना करने वाले ज्योतिबा फुले भी एक महान समाज सुधारक थे, जिन्होंने जाति प्रथा का विरोध किया था।
महिलाओं की स्थिति में सुधार
- राजा राममोहन राय ने उस समय की सबसे बड़ी सामाजिक बुराई सती प्रथा के विरुद्ध आवाज़ उठाई और उसके विरुद्ध कानून लागू करवाने में सफल हुए। इन्होंने स्त्रियों की शिक्षा के लिये भी अथक प्रयास किये।
- ईश्वरचंद्र विद्यासागर ने न केवल स्त्री शिक्षा के लिये कई स्कूल और कॉलेजों की स्थापना की, बल्कि उन्होंने विधवा पुनर्विवाह का भी समर्थन किया।
- आर्य समाज ने भी स्त्री-पुरुष समानता, स्त्री शिक्षा और विधवा पुनर्विवाह का समर्थन किया।
- महिलाओं के कल्याण के लिये कई संस्थाएँ इसी समय अस्तित्व में आई, जैसे- पंडिता रमाबाई ने मुक्ति मिशन और शारदा सदन की स्थापना की।
आधुनिक शिक्षा का प्रसार
- राजा राममोहन राय, केशवचंद्र सेन आदि ने भारतीय समाज के लिये आधुनिक अंग्रेजी शिक्षा की वकालत की, ताकि भारतीय समाज में एक तर्क आधारित वैज्ञानिक सोच का विकास हो सके।
- कई समाज सुधारक स्वयं पश्चिमी शिक्षा प्राप्त थे। अतः उन्हें भारतीय समाज में व्याप्त सभी बुराईयों का एक मात्र हल आधुनिक शिक्षा में दिखाई पड़ता था।
- आर्य समाज ने दयानंद एंग्लो वैदिक विद्यालयों (DAV), विवेकानंद ने रामकृष्ण मिशन और सर सैय्यद अहमद खां ने अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना कर आधुनिक शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया।
- इस प्रकार स्पष्ट है कि 19वीं सदी के सामाजिक सुधारों का मूल आधार जाति प्रथा की बुराईयों की समाप्ति, महिलाओं की दशा में सुधार और आधुनिक शिक्षा के प्रसार में ही निहित था।