Friday, 17 November 2017

चार्ल्स एम. शुल्ज : एक ऐसा इंसान जिसने जीवन में कभी हार नहीं मानी


The Loser Who Never Gave Up!

वह जब छोटा था, तब उसके चाचा उसे “स्पार्की” के नाम से पुकारते थे। “स्पार्की” उन दिनों प्रकाशित होने वाली एक कॉमिक्स-शृंखला में एक घोड़े का नाम था। स्पार्की के लिए स्कूल तो जैसे कोई असंभव जैसी चीज थी। आठवीं कक्षा में वह सारे विषयों में फेल हो गया। दसवीं में भी भौतिक विज्ञान में उसे शून्य मिला। लैटिन, बीजगणित और अंग्रेजी में भी वह अनुत्तीर्ण था। और, खेलों में भी उसका रिकॉर्ड कोई बहुत अच्छा न था। उसने किसी तरह स्कूल की गोल्फ टीम में जगह तो बना ली, पर जल्दी ही वह सत्र के इकलौते सबसे महत्वपूर्ण मैच में भी हार गया। इसके बाद सांत्वना मैच भी हुआ, पर वह उसे भी न जीत सका। पूरी युवा अवस्था के दौरान स्पार्की की समाज में स्थिति काफी खराब थी। ऐसा नहीं था कि स्कूल के दूसरे छात्र उसे पसंद नहीं करते थे, पर असल में किसी को इतनी परवाह भी न थी। यहाँ तक कि स्कूल से बाहर अगर कोई सहपाठी उसे ′हेलो′ भी बोल देता था, तो स्पार्की भौंचक्का रह जाता था। यह कहना बड़ा मुश्किल है कि वह किसी लड़की से कैसे मिलता-जुलता होगा? दसवीं में तो उसने शायद ही कभी किसी लड़की से साथ घूमने को कहा होगा।
वह अस्वीकार कर दिये जाने और हँसी उड़ाये जाने के भय से भयभीत था। स्पार्की पूरी तरह से हारा हुआ, असफल शख्स था। यह बात वह भी अच्छे से समझता था और उसके साथी भी। इसलिए उसने इसके साथ ही जीना सीख लिया था। उसने अपने मन में यह बात बैठा ली थी कि जो होना होगा, वह होकर रहेगा। अगर ऐसा नहीं हुआ, तो वह खुद को समझा लेता था कि मेरे जैसा इनसान इस लायक ही नहीं। स्पार्की के लिए एक चीज बहुत महत्वपूर्ण थी- चित्रकारी। अपनी कलाकारी पर उसे गर्व था। किसी ने इस बात के लिए उसे प्रोत्साहित नहीं किया था लेकिन स्पार्की को इससे कोई फर्क भी नहीं पड़ता था। स्कूल के अंतिम साल में उसने स्कूल की वार्षिक पत्रिका के लिए कुछ कार्टून बनाकर दिये। परंतु संपादकों ने उसके विचारों को सिरे से नकार दिया। इस अस्वीकृति के बावजूद स्पार्की को अपनी प्रतिभा पर पूरा विश्वास था। उसने कलाकार बनने का दृढ़ निश्चय भी कर लिया था।

इसलिए, हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी होते ही स्पार्की ने वॉल्ट डिज्नी स्टूडियो को पत्र लिखा। उन्होंने स्पार्की से उसकी कलाकारी के कुछ नमूने माँगे। सधी हुई तैयारियों के बावजूद, स्पार्की को वहाँ से भी न सुननी पड़ी। इस तरह उसके एक असफल व्यक्ति होने पर एक और मुहर लग गयी। लेकिन, स्पार्की ने हार नहीं मानी, उसकी कोशिशें जारी रहीं। उसने अपने जीवन की कहानी को कार्टूनों के जरिये बताने का निर्णय लिया। मुख्य चरित्र के रूप में उसने एक छोटे बच्चे को दिखाया, जो हमेशा से ही असफल रहा, जो कभी भी अपने लक्ष्यों को पा न सका। आप उसे अच्छे से जानते हैं, क्योंकि स्पार्की के कार्टूनों का वह छोटा बच्चा मानो समाज में ही रच-बस गया हो। लोग उस प्यारे से असफल बच्चे में खुद को देखने लगे। उसने उन्हें उनके जीवन के तकलीफदेह और शर्मिंदगी भरे पलों, उनकी तकलीफों, मानवता के कड़वे अनुभवों की याद दिला दी। जल्दी ही वह चरित्र दुनिया भर में चार्ली ब्राउन के नाम से प्रसिद्ध हो गया। और स्पार्की, जिसकी ढेर सारी असफलताएँ उसे कोशिश करने से न रोक सकीं, जिसका काम बार-बार नकारा गया…..वह कोई और नहीं, दुनिया के सबसे सफल कार्टूनिस्ट चार्ल्स शुल्ज थे। उनकी कार्टून स्ट्रिप, पीनट्स से प्रभावित होकर किताबें लिखी गयीं, टी-शर्ट और क्रिसमस के विशेष उपहार के तौर पर उपयोग हुए, जो हमें हमेशा यह याद दिलाते हैं कि जिंदगी हर किसी को उसके बुलंद मुकाम तक पहुँचा देती है, भले ही वह कितना भी बड़ा असफल क्यों न हो।