चिकित्सा क्षेत्र में रोगी के अधिकारों से जुड़े ऐसे अनेक मामले सामने आते हैं, जब गहन चिकित्सा कक्ष के बाहर उनके परिजन किसी उम्मीद में आस लगाए बैठे रहते हैं, और अचानक उन्हें सूचना दी जाती है कि वे जिस उम्मीद यानी जीवन की आस में बैठे हुए हैं, वह टूट चुकी है। बहुत से ऐसे मामले रोज ही होते हैं, जब जीवन-मृत्यु के बीच संघर्ष कर रहे रोगी की सही स्थिति के बारे में नहीं बताया जाता। उसे उपचार देने के निर्णय में परिजनों को सहभागी नहीं बनाया जाता। रोगी के अंतिम क्षणों में अस्पताल उसे परिजनों के साथ कुछ पल बिताने की छूट देने के बदले गहन चिकित्सा कक्ष में ही रखना पसंद करते हैं। वर्तमान समय में जिस प्रकार जीवन रक्षक तंत्रों या उपकरणों का धड़ल्ले के साथ इस्तेमाल किया जा रहा है, वह बिल्कुल गलत है। रोगी को इन उपकरणों के अच्छे-बुरे परिणामों के बारे में कुछ भी ठीक प्रकार से नहीं समझाया जाता। जिस व्यक्ति के मुख्य अंगों ने काम करना बंद कर दिया हो, उसे भी वेंटीलेटर पर रख दिया जाता है। चिकित्सा क्षेत्र में चल रहे इस प्रकार के अभ्यास बिल्कुल गलत हैं। हर इंसान को गरिमापूर्ण मृत्यु का अधिकार है। भारतीय नागरिकों को इस प्रकार के अधिकार दिलवाने के लिए इन्हें कानूनी जामा पहनाने की आवश्यकता है। रोगी एवं उसके परिजनों से संबंधित कानून के अलग-अलग रूप संपूर्ण विश्व में प्रचलित हैं। भारत के संदर्भ में इन्हें कुछ इस प्रकार देखा जा सकता है –
- जाति, समुदाय और धर्म से परे प्रत्येक रोगी को उत्कृष्ट स्वास्थ्य सेवा एवं उपलब्ध साधनों के अनुकूल उपचार मिलना चाहिए।
- प्रत्येक रोगी को उपचार से इंकार करने का अधिकार होना चाहिए। ऐसा करने पर रोगी को इसके परिणामों से अवगत कराया जाना चाहिए।
- प्रत्येक रोगी को सम्मानजनक उपचार पाने का अधिकार हो। स्वास्थ्य सेवाओं के लिए रोगी की गरिमा ही प्रधान होनी चाहिए।
- चिकित्सा सेवाओं से संबंधित मरीज की जानकारी को गोपनीय एवं निजी रखने का अधिकार हो।
- जीवन पर संकट की घड़ी में रोगी के निकटतम परिजनों को सूचना का अधिकार हो।
- अपने चिकित्सक के बारे में सूचना का अधिकार हो। रोगी को किसी भी समय अपने स्वास्थ्य प्रदाता की पहचान एवं उसकी पेशेवर योग्यताओं के बारे में जानने का पूरा अधिकार हो।
- किसी भी रोगी को अपने रोग के निदान, उपचार की प्रक्रिया एवं उसके परिणाम के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करने का अधिकार हो। इस तरह की जानकारी उसे उसकी भाषा में मिलनी चाहिए, जिससे वह सब कुछ ठीक तरह से समझ सके। अगर जानकारी रोगी को नहीं दी जा सकती, तो उसके परिजनों को दी जानी चाहिए। आपातकालीन स्थितियों में जीवन-रक्षक उपकरणों से पूर्व भी जल्द से जल्द सभी जानकारी परिजनों को दी जानी चाहिए।
- रोगी को उसके रोग की जटिलता, खतरा, लाभ एवं वैकल्पिक उपचारों के बारे में समझाए जाने का अधिकार मिलना चाहिए। इस प्रकार उसे उपचार के लाभ-हानि पर निर्णय लेने में आसानी होगी।
- रोगी को सुरक्षित वातावरण में उपचार एवं देखभाल प्राप्त करने का अधिकार होना चाहिए। उसे रोगी एवं आंगतुकों से संबंधित सुविधाओं एवं नियमों की पूरी जानकारी दी जानी चाहिए।
- रोगी को शिकायतों के निराकरण से संबंधित जानकारी प्राप्त करने का पूर्ण अधिकार होना चाहिए।
ये सभी अधिकार बाल-रोगियों को भी प्रदान किए जाने चाहिए। प्रत्येक अस्पताल का दायित्व है कि वह और उसका पूरा स्टाफ रोगी और उसके परिजनों से संबंधित अपनी भूमिका और उत्तरदायित्वों को भली प्रकार से समझे।