Wednesday 22 November 2017

वैश्विक लैंगिक अंतराल सूचकांक, 2017



सूचकांक (Index)
‘वैश्विक लैंगिक अंतराल सूचकांक’ (Global Gender Gap Index) लैंगिक समानता को मापने के लिए बनाया गया सूचकांक है, जो विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum : WEF) द्वारा वर्ष 2006 से प्रत्येक वर्ष जारी किया जा रहा है। इस वर्ष का सूचकांक 2 नवंबर, 2017 को जारी किया गया।

उद्देश्य (Object)
इस सूचकांक का उद्देश्य विभिन्न व्यावसायिक, राजनैतिक, शैक्षणिक एवं अन्य वैश्विक हस्तियों को एक मंच पर साथ लाकर वैश्विक व्यवस्था में सुधार लाना है।

सूचकांक जारी करने का आधार
यह सूचकांक चार क्षेत्रों में लैंगिक अंतराल परीक्षण के आधार पर जारी किया जाता है। ये चार क्षेत्र निम्न हैं-
(1) आर्थिक भागीदारी एवं अवसर, 
(2) शैक्षणिक उपलब्धियां, 
(3) स्वास्थ्य एवं उत्तरजीविता तथा 
(4) राजनीतिक सशक्तीकरण।

यह सूचकांक 0 (शून्य) से 1 के स्कोर के मध्य विस्तारित है जिसमें 0 (शून्य) का अर्थ ‘पूर्ण लैंगिक असमानता’ तथा 1 का अर्थ ‘पूर्ण लैंगिक समानता’ है।

वैश्विक व्याप्ति (Global Coverage)
वैश्विक लैंगिक अंतराल सूचकांक, 2017 में भी विगत वर्ष की भांति कुल 144 देशों को शामिल किया गया है।

परिणाम एवं विश्लेषण
वैश्विक लैंगिक अंतराल सूचकांक, 2017 में शीर्ष 5 देश
रैंक 2017 देश              स्कोर
1         आइसलैंड         0.878
2         नॉर्वे                  0.83
3         फिनलैंड           0.823
4         रवांडा              0.822
5         स्वीडन             0.816
इस सूची में शीर्ष 3 स्थानों पर नॉर्डिक (Nordic) देश हैं। जहाँ आइसलैंड लगातार 9 वर्षों से इस सूची में शीर्ष स्थान पर बना हुआ है।

वैश्विक लैंगिक अंतराल, 2017 में अंतिम 5 देश
रैंक 2017  देश             स्कोर
144वां यमन          0.516
143वां पाकिस्तान   0.546
142वां सीरिया        0.568
141वां चाड            0.575
140वां ईरान           0.583

वैश्विक लैंगिक अंतराल, 2017 में ब्रिक्स (BRICS) देशों की स्थिति
रैंक 2017  देश                   स्कोर
19वां         दक्षिण अफ्रीका  0.756
71वां         रूसी संघ          0.696
90वां         ब्राजील              0.684
100वां चीन                        0.674
108वां भारत 0.669

ब्रिक्स (BRICS) देशों में सबसे अधिक गिरावट (21 स्थानों की) भारत की रैंकिंग में हुई है, जिससे वह ब्रिक्स देशों में सबसे निचले स्थान पर है, जबकि विगत वर्ष भारत की रैंकिंग में सबसे अधिक सुधार (21 स्थानों का) हुआ था।
ब्रिक्स समूह के सभी देशों की रैंकिंग में गिरावट हुई है, लेकिन सबसे अधिक गिरावट भारत की रैंकिंग में (21 अंक की) हुई है, जबकि सबसे कम रूस की रैंकिंग में (1 अंक की) हुई है।

भारत की स्थिति
⇰ कुल 144 देशों के इस सूचकांक में इस वर्ष भारत का स्थान 108वां है, जबकि गत वर्ष की सूची में इसका स्थान 87वां था।
⇰ भारत एक बार पुनः वर्ष 2015 की रैंकिंग पर पहुँच गया, क्योंकि वर्ष 2015 की वैश्विक लैंगिक अंतराल सूचकांक, 2015 में भारत की रैंकिंग 108वीं थी। 

सूचकांक के विभिन्न क्षेत्रों में भारत की उपलब्धियां इस प्रकार रहीं
क्रम           वर्ग                                रैंक
1 आर्थिक भागीदारी एवं अवसर 139वां
2 स्वास्थ्य एवं उत्तरजीविता             112वां
3 शैक्षणिक उपलब्धियां                  141वां
4 राजनीतिक सशक्तीकरण           15वां
  • भारत केवल ‘स्वास्थ्य एवं उत्तरजीविता’ के क्षेत्र में वर्ष 2016 की तुलना में वर्ष 2017 में सुधार किया है, जबकि आर्थिक भागीदारी एवं अवसर, शैक्षणिक उपलब्धियां तथा राजनीतिक सशक्तीकरण में गत वर्ष की तुलना में गिरावट आई है।
  • भारत की रैंकिंग में यह कमी मुख्य रूप से अर्थव्यवस्था में महिलाओं की कम भागीदारी और कम मजदूरी के कारण हुआ।
  • सूचकांक के अनुसार, भारत में कामकाजी महिलाओं में 65.6 प्रतिशत महिलाएं अवैतनिक कार्य करती हैं, जो कि पुरुषों की तुलना में काफी है। पुरुषों में यह आंकड़ा 11.7 प्रतिशत है।
  • चीन में अवैतनिक कार्य करने वाली महिलाओं की संख्या 44.6 प्रतिशत है, जबकि पुरुषों का आंकड़ा 18.9 प्रतिशत है।
  • विकसित देशों में ब्रिटेन को इस सूची में 15वां स्थान मिला है। ब्रिटेन में महिलाओं के कामकाज का 56.7 प्रतिशत अवैतनिक है, जबकि पुरुषों के कार्य का 32.1 प्रतिशत अवैतनिक है।
  • अमेरिका में अवैतनिक कार्य करने वाले पुरुषों का आंकड़ा 31.5 प्रतिशत है जबकि महिलाओं में यह आंकड़ा 50.0 प्रतिशत है।
  • वैश्विक स्तर पर 68 प्रतिशत महिला पुरुष असमानता समाप्त हुई है।