Saturday, 18 November 2017

“उसे आना ही होगा”


कभी कभी मन उदास होने लगता है उतना उत्साह नहीं रह जाता और यह सभी के साथ कभी न कभी होता है लेकिन इन्ही पलों में बहुत सतर्क होना चाहिए क्योंकि वख्त अपनी चाल चलते हुए गुजरता जाता है और हम भावनाओं में खोकर बहुत कुछ गवां बैठते हैं। धीरे धीरे बहुत कुछ बदल रहा है ….. लोग भी ..… रिश्ते भी ..…और शायद हर समय हम खुद भी ..….।  इसलिए हर लम्हे का उपयोग करते हुए अपने मिशन पर पूरी मुस्तैदी से लगे रहना चाहिए। यही सतर्कता हमें आगे जाकर सकारात्मक परिणाम देगी। ये तो तय है रात के बाद सुबह आना तय है, सवाल यह है कि हममें रात काटने का धैर्य कितना कितना है।

ये सही है कि अकेलापन बहुत खलता है लेकिन इसी अकेलेपन से बहुत बड़े परिणाम भी निकलने हैं फिर तपस्या हमेशा अकेले ही करनी पड़ती है और तपस्या कठिन और कष्टदायी भी होती है लेकिन अगर हम बड़े उद्देश्य की कामना कर रहे हैं तो फिर इतना कष्ट तो हमें उठाना ही पड़ेगा क्योंकि बिना खुद को तराशे हुए साध्य की सिद्धि दुष्कर है अतः इसके लिए तैयार रहना चाहिए। और अगर हम उन बातों एवं परिस्थितियों की वजह से चिंतिति हो जाते हैं, जो हमारे नियंत्रण में नहीं है तो इसका परिणाम समय की बर्बादी एवं भविष्य पछतावा है। याद रहे इस संसार में सिर्फ एक ही कोना है, जिसे सुधारना पूरी तरह हमारे हाथ में है - और वह है हम स्वयं।  जिंदगी कभी आसान नहीं होती, हमें खुद इसे आसान बनाना पड़ता है, कुछ नजरअंदाज करके, कुछ बर्दाश्त करके। न भागना है और न रुकना है, बस चलते रहना है ......।

यहाँ एक बात और महत्वपूर्ण है और वो है प्रेम, जब हम अपने कर्म को प्रेम से या पूरे चाव से करते हैं तो फिर हमारा मन उसमे रमने लगता है उसमें उसे आनंद की अनुभूति होने लगती है इस स्थिति में समय का पता नहीं चलता अतः कार्य को इस तरह से करना चाहिए की उसमे आनंद की अनुभूति का एहसास हो और ऐसा तब होगा जब हम पूरे मनोयोग से अध्ययन करेंगे अतः अध्ययन कभी भी जल्दबाजी में नहीं करना चाहिए बल्कि समझ को केंद्र में रखकर करना चाहिए क्योंकि हम विषयवस्तु को जितना समझेंगे उतना उसके समीप पहुंचेंगे और यही समीपता आनंद को उत्पन्न करेगी और यही आनंद हमें, समय कब गुजर गया इसका पता नहीं चलने देगा। अतः ध्यानपूर्वक अध्ययन करने पर बल देना चाहिए ताकि विषय वस्तु को समझा जा सके।