Friday, 8 June 2018

2017 में भारत में खोजी गई 539 प्रजातियाँ

दो प्रमुख सर्वेक्षण संगठनों-भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (Zoological Survey of India) और भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण (Botanical Survey of India) के प्रकाशनों के अनुसार, वर्ष 2017 में देश में वैज्ञानिकों और टैक्सोनोमिस्टों द्वारा पौधों और जानवरों की 539 नई प्रजातियों की खोज की गई।    प्रमुख बिंदु  विश्व पर्यावरण दिवस, 2018  के अवसर पर जेडएसआई द्वारा जारी की गई ‘एनिमल डिस्कवरी 2017’ में 300 नई जंतु प्रजातियों को सूचीबद्ध किया गया है। वहीं, ‘प्लांट डिस्कवरी 2017’ में 239 नई वनस्पति प्रजातियों को सूचीबद्ध किया गया है। इन खोजों के अतिरिक्त, देश की जैव विविधता में 263 अन्य प्रजातियों को भी दर्ज किया गया है,जिसमें जानवरों की 174 और पौधों की 89 नई प्रजातियाँ शामिल हैं। उप-प्रजातियों और नई किस्मों की खोज के कारण पुष्प संबंधी खोजों की संख्या 352 पहुँच जाती है। खोजे गए जंतुओं में से 241 अकशेरुकी हैं, जबकि कशेरुकी जंतुओं के अंतर्गत मछलियों की 27 प्रजातियाँ, उभयचरों की 18 और सरीसर्पों की 12 प्रजातियाँ शामिल हैं। जानवरों संबंधी खोजों का मुख्य आकर्षण एक नई जीवाश्म सरीसर्प प्रजाति है। इसका नाम श्रिंगासौरस इंडिकस (Shringasaurus indicus) है, जिसे कोलकाता स्थित भारतीय सांख्यिकी संस्थान द्वारा खोजा गया है। अन्य महत्त्वपूर्ण खोजों में मेंढक की एक प्रजाति नासिकबत्राचुस भूपति (Nasikabatrachus bhupathi) शामिल है, जिसकी नाक सूअर जैसी है। साथ ही साँप की एक प्रजाति राब्डोप्स एक्वाटिकस को उत्तरी-पश्चिमी घाटों से खोजा गया है एवं इसका नाम ताजे पानी के निकायों में इसकी उपस्थिति के संदर्भ में पानी के लिये प्रयुक्त होने वाले लेटिन शब्द से लिया गया है। इन खोजों के पश्चात् देश में पशु प्रजातियों की संख्या 1,01,167 हो चुकी है, जो विश्व में पाई जाने वाली कुल प्रजातियों की संख्या का 6.45% है। पौधों की प्रजातियों की संख्या बढ़कर 49,003 हो गई है, जो विश्व वनस्पति का 11.4% है। 352 प्रजातिओं, उप-प्रजातियों और किस्मों में से 148 फूलों वाले पौधे हैं, जबकि 108 मैक्रो और माइक्रो कवक, 4 टेरिडोफाइट्स, 6 ब्रायोफाइट्स, 17 लाइकेन, 39 एल्गी और 30 माइक्रोब्स हैं।    पहाड़ी क्षेत्रों में पाई गई अधिक प्रजातियाँ  पश्चिमी घाट और हिमालय खोजी गई अधिकांश प्रजातियों का घर हैं। जहाँ पश्चिमी घाट में पौधों की 19% प्रजातियों और उप-प्रजातियों की खोज की गई, वहीं जानवरों से संबंधित प्रजातियों और उप-प्रजातियों में इसका योगदान 37% था। हिमालय ने सभी पौधों की खोजों में 35% (पश्चिमी हिमालय से पौधों की खोजों का 18% और पूर्वी हिमालय से 17%) का योगदान दिया। पशुओं से संबंधित खोजों के संदर्भ में पूर्वी और पश्चिमी हिमालय दोनों से 18% से अधिक नई प्रजातियाँ खोजी गईं। सभी राज्यों में से केरल में खोजों की सर्वाधिक संख्या दर्ज की गई। यहाँ पर पौधों की कुल 66 प्रजातियाँ, उप-प्रजातियाँ और किस्में पाई गईं। साथ ही जानवरों की 52 प्रजातियाँ भी पाई गईं। तमिलनाडु में जानवरों की 31 नई प्रजातियाँ और पौधों की 24 प्रजातियाँ, उप-प्रजातियाँ और किस्में पाई गईं। पश्चिम बंगाल, जहाँ हिमालयी और तटीय दोनों प्रकार के पारिस्थितिकी तंत्र मौजूद हैं, वहाँ जानवरों की 45 प्रजातियाँ और पौधों की 27 प्रजातियाँ खोजी गईं।

दो प्रमुख सर्वेक्षण संगठनों-भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (Zoological Survey of India) और भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण (Botanical Survey of India) के प्रकाशनों के अनुसार, वर्ष 2017 में देश में वैज्ञानिकों और टैक्सोनोमिस्टों द्वारा पौधों और जानवरों की 539 नई प्रजातियों की खोज की गई।

प्रमुख बिंदु
  • विश्व पर्यावरण दिवस, 2018  के अवसर पर जेडएसआई द्वारा जारी की गई ‘एनिमल डिस्कवरी 2017’ में 300 नई जंतु प्रजातियों को सूचीबद्ध किया गया है। वहीं, ‘प्लांट डिस्कवरी 2017’ में 239 नई वनस्पति प्रजातियों को सूचीबद्ध किया गया है।
  • इन खोजों के अतिरिक्त, देश की जैव विविधता में 263 अन्य प्रजातियों को भी दर्ज किया गया है,जिसमें जानवरों की 174 और पौधों की 89 नई प्रजातियाँ शामिल हैं।
  • उप-प्रजातियों और नई किस्मों की खोज के कारण पुष्प संबंधी खोजों की संख्या 352 पहुँच जाती है।
  • खोजे गए जंतुओं में से 241 अकशेरुकी हैं, जबकि कशेरुकी जंतुओं के अंतर्गत मछलियों की 27 प्रजातियाँ, उभयचरों की 18 और सरीसर्पों की 12 प्रजातियाँ शामिल हैं।
  • जानवरों संबंधी खोजों का मुख्य आकर्षण एक नई जीवाश्म सरीसर्प प्रजाति है। इसका नाम श्रिंगासौरस इंडिकस (Shringasaurus indicus) है, जिसे कोलकाता स्थित भारतीय सांख्यिकी संस्थान द्वारा खोजा गया है।
  • अन्य महत्त्वपूर्ण खोजों में मेंढक की एक प्रजाति नासिकबत्राचुस भूपति (Nasikabatrachus bhupathi) शामिल है, जिसकी नाक सूअर जैसी है। साथ ही साँप की एक प्रजाति राब्डोप्स एक्वाटिकस को उत्तरी-पश्चिमी घाटों से खोजा गया है एवं इसका नाम ताजे पानी के निकायों में इसकी उपस्थिति के संदर्भ में पानी के लिये प्रयुक्त होने वाले लेटिन शब्द से लिया गया है।
  • इन खोजों के पश्चात् देश में पशु प्रजातियों की संख्या 1,01,167 हो चुकी है, जो विश्व में पाई जाने वाली कुल प्रजातियों की संख्या का 6.45% है।
  • पौधों की प्रजातियों की संख्या बढ़कर 49,003 हो गई है, जो विश्व वनस्पति का 11.4% है।
  • 352 प्रजातिओं, उप-प्रजातियों और किस्मों में से 148 फूलों वाले पौधे हैं, जबकि 108 मैक्रो और माइक्रो कवक, 4 टेरिडोफाइट्स, 6 ब्रायोफाइट्स, 17 लाइकेन, 39 एल्गी और 30 माइक्रोब्स हैं।

पहाड़ी क्षेत्रों में पाई गई अधिक प्रजातियाँ
  • पश्चिमी घाट और हिमालय खोजी गई अधिकांश प्रजातियों का घर हैं। जहाँ पश्चिमी घाट में पौधों की 19% प्रजातियों और उप-प्रजातियों की खोज की गई, वहीं जानवरों से संबंधित प्रजातियों और उप-प्रजातियों में इसका योगदान 37% था।
  • हिमालय ने सभी पौधों की खोजों में 35% (पश्चिमी हिमालय से पौधों की खोजों का 18% और पूर्वी हिमालय से 17%) का योगदान दिया। पशुओं से संबंधित खोजों के संदर्भ में पूर्वी और पश्चिमी हिमालय दोनों से 18% से अधिक नई प्रजातियाँ खोजी गईं।
  • सभी राज्यों में से केरल में खोजों की सर्वाधिक संख्या दर्ज की गई। यहाँ पर पौधों की कुल 66 प्रजातियाँ, उप-प्रजातियाँ और किस्में पाई गईं। साथ ही जानवरों की 52 प्रजातियाँ भी पाई गईं।
  • तमिलनाडु में जानवरों की 31 नई प्रजातियाँ और पौधों की 24 प्रजातियाँ, उप-प्रजातियाँ और किस्में पाई गईं।
  • पश्चिम बंगाल, जहाँ हिमालयी और तटीय दोनों प्रकार के पारिस्थितिकी तंत्र मौजूद हैं, वहाँ जानवरों की 45 प्रजातियाँ और पौधों की 27 प्रजातियाँ खोजी गईं।