पर्यावरण दिवस पर 05 जून 2018 को पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक (ईपीआई) की रेटिंग जारी की गई। इसमें भारत को 177वां स्थान प्राप्त हुआ जबकि सूचकांक में शामिल कुल देशों की संख्या 180 है।
वर्ष 2016 में भारत इस सूची में 141वें स्थान पर था। भारत सरकार द्वारा विभिन्न पर्यावरण हितैषी कार्यक्रम आरंभ किए जाने के बावजूद यह रैंकिंग चिंताजनक है। विश्व आर्थिक मंच द्वारा यह रैंकिंग प्रतिवर्ष जारी की जाती है।
पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक (ईपीआई) के प्रमुख तथ्य
- इस रिपोर्ट में 10 श्रेणियों के अलग-अलग 24 मुद्दों पर रिसर्च की गई है जिसमें वायु की गुणवत्ता, जल एवं स्वच्छता, कार्बनडाई ऑक्साइड उत्सर्जन तीव्रता (जीडीपी के प्रति इकाई उत्सर्जन), जंगलों (वनों की कटाई) और अपशिष्ट जल उपचार शामिल हैं।
- इस रिपोर्ट को डब्ल्यूईएफ के सहयोग से येल और कोलंबिया विश्वविद्यालय द्वारा तैयार किया गया है।
- रिपोर्ट में जनसंख्या वृद्धि से विकास पर प्रभाव पड़ने की भी बात कही गई है तथा इस रिपोर्ट में चीन को 120वां स्थान दिया गया है।
- ईपीआई में पाकिस्तान को भारत से बेहतर 169वां स्थान दिया गया है जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका को 27वें स्थान पर रखा गया है।
- इस सूची में स्विटजरलैंड शीर्ष स्थान पर है जबकि फ्रांस दूसरे स्थान पर और डेनमार्क तीसरे स्थान पर है।
भारत के संदर्भ में आंकड़े
- भारत सतत विकास के लक्ष्यों को हासिल करने में काफी दूर है. इसमें भारत 157 देशों में से 116वें स्थान पर है।
- ईपीआई आंकड़ों में कहा गया है कि भारत में गरीबी का बना रहना भी पर्यावरण के लिए नुकसानदेह है।
- भारत में प्रति 10 लोगों में से 6 लोग निर्धनता की श्रेणी में आते हैं। यह लोग प्रतिदिन 3.20 अमेरिकी डॉलर से भी कम खर्च पर जीवनयापन करते हैं।
- भारत के आधे से अधिक किसान कर्ज में डूबे हैं।
- भारत में पिछले एक दशक में 64 प्रतिशत खाद्यान्न आयात किये गये हैं।
- वायु की गुणवत्ता को 100 में से 5.75 अंक दिए गये हैं।
- भारत के 82 प्रतिशत ग्रामीण लोग बिना नल के पानी के अन्य स्रोतों पर निर्भर हैं।
मौजूदा हालात में सतत विकास के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण में निवेश करना भी आवश्यक है। साथ ही ओद्यौगिकीकरण एवं शहरीकरण का सावधानीपूर्वक प्रबन्धन भी मायने रखता है, जो प्रदूषण पैदा कर आम जनता एवं पर्यावरण के स्वास्थ्य के लिए घातक परिणाम पैदा करता है।