Monday 4 June 2018

‘अग्नि-5’ मिसाइल का सफल परीक्षण किया, जानिए इसकी खासियत

भारत ने ओडिशा के अब्दुल कलाम द्वीप (पूर्ववर्ती व्हीलर द्वीप) से 03 जून, 2018 को देश में ही निर्मित परमाणु क्षमता युक्त अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 का सफल परीक्षण किया।    अग्नि-5 मिसाइल के परीक्षण के दौरान स्वदेश निर्मित कई नयी प्रौद्योगिकियों का सफल परीक्षण हुआ। नौवहन प्रणाली, बेहद उच्च सटीक रिंग लेजर गायरो आधारित इनर्शियल नैविगेशन सिस्टम (आरआईएनएस) और अत्याधुनिक सटीक आकलन करने वाले माइक्रो नैविगेशन सिस्टम (एमआईएनएस) से यह सुनिश्चित हुआ कि मिसाइल सटीक दूरी के कुछ ही मीटर के भीतर अपने लक्ष्य बिंदु तक पहुँच गई।    अग्नि-5’ मिसाइल की खासियत  यह मिसाइल बेहद शक्तिशाली है, और 5,000 किलोमीटर तक मार कर सकती है। अग्नि 5 बैलिस्टिक मिसाइल कई हथियार एक साथ ले जाने में सक्षम है। इसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने बनाया है। यह मिसाइल एंटी बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम के खिलाफ कार्रवाई करने में सक्षम है। यह भारत की लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलों में से एक है। इस मिसाइल की ऊंचाई 17 मीटर, जबकि व्यास 2 मीटर है। इसका वजन करीब 20 टन है। अपने साथ 1.5 टन का परमाणु युद्धास्त्र ले जा सकती है। यह मिसाइल डेढ़ टन तक परमाणु हथियार ले जा सकती है। इसकी गति ध्वनि की गति से 24 गुना ज्यादा है। अग्नि 5 मिसाइल का इस्तेमाल बेहद आसान है। देश के किसी भी कोने में इसे तैनात कर सकते हैं जबकि किसी भी प्लेटफॉर्म से युद्ध के दौरान इसकी मदद ली जा सकती हैं। ये परमाणु हथियारों को भी ले जाने में सक्षम है। अग्नि 5 मिसाइल से छोटे सैटेलाइट छोड़े जा सकेंगे। इससे दुश्मनों के सेटेलाइट को नष्ट करने में भी मदद मिलेगी। यह मिसाइल एक बार छूटी तो रोकी नहीं जा सकेगी। यह 1000 किलो का न्यूक्लियर हथियार ले जा सकेगी। अग्नि पांच के लॉन्चिंग सिस्टम में कैनिस्टर तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इसकी वजह से इस मिसाइल को कहीं भी बड़ी आसानी से ट्रांसपोर्ट किया जा सकता है। अग्नि-5 मिसाइल का यह छठा परीक्षण था। इसका पहला परीक्षण 9 अप्रैल, 2012 को हुआ था। दूसरा व तीसरा परीक्षण क्रमशः 2013 व 2015 में हुआ, चौथा परीक्षण 26 दिसंबर, 2017 को हुआ। पांचवां परीक्षण 18 जनवरी, 2018 को को हुआ था। इस मिसाइल की मारक दूरी में चीन सहित संपूर्ण एशिया तथा अफ्रीका व यूरोप के कुछ हिस्सा शामिल है। यह मिसाइल रिंग लेजर गायरो आधारित इनर्शियल नैविगेशन सिस्टम (Ring Laser Gyro based Inertial Navigation System:RINS) व आधुनिक तथा सटीक माइक्रो नैविगेशन सिस्टम (Micro Navigation System: MINS) ) से युक्त है। अग्नि मिसाइलों में यह सर्वाधिक अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों से युक्त है। इस मिसाइल के परीक्षण के साथ भारत विश्व के उन पांच देशों के विशिष्ट क्लब में शामिल हो गया है जिनके पास आईसीबीएम यानी अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल है। ये पांच देश हैं; यूएसए, ब्रिटेन, रूस, चीन व फ्रांस।     अग्नि श्रृंखला की   अन्य मिसाइल मिसाइल       मारक क्षमता  अग्नि-1                         700 किलोमीटर  अग्नि-2                       2000 किलोमीटर  अग्नि-3                       3000 किलोमीटर  अग्नि-4                       4000 किलोमीटर  अग्नि-5                       5000 किलोमीटर

भारत ने ओडिशा के अब्दुल कलाम द्वीप (पूर्ववर्ती व्हीलर द्वीप) से 03 जून, 2018 को देश में ही निर्मित परमाणु क्षमता युक्त अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 का सफल परीक्षण किया।

अग्नि-5 मिसाइल के परीक्षण के दौरान स्वदेश निर्मित कई नयी प्रौद्योगिकियों का सफल परीक्षण हुआ। नौवहन प्रणाली, बेहद उच्च सटीक रिंग लेजर गायरो आधारित इनर्शियल नैविगेशन सिस्टम (आरआईएनएस) और अत्याधुनिक सटीक आकलन करने वाले माइक्रो नैविगेशन सिस्टम (एमआईएनएस) से यह सुनिश्चित हुआ कि मिसाइल सटीक दूरी के कुछ ही मीटर के भीतर अपने लक्ष्य बिंदु तक पहुँच गई।

अग्नि-5’ मिसाइल की खासियत
  • यह मिसाइल बेहद शक्तिशाली है, और 5,000 किलोमीटर तक मार कर सकती है।
  • अग्नि 5 बैलिस्टिक मिसाइल कई हथियार एक साथ ले जाने में सक्षम है।
  • इसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने बनाया है।
  • यह मिसाइल एंटी बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम के खिलाफ कार्रवाई करने में सक्षम है।
  • यह भारत की लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलों में से एक है।
  • इस मिसाइल की ऊंचाई 17 मीटर, जबकि व्यास 2 मीटर है।
  • इसका वजन करीब 20 टन है।
  • यह मिसाइल डेढ़ टन तक परमाणु हथियार ले जा सकती है।
  • इसकी गति ध्वनि की गति से 24 गुना ज्यादा है।
  • अग्नि 5 मिसाइल का इस्तेमाल बेहद आसान है। देश के किसी भी कोने में इसे तैनात कर सकते हैं जबकि किसी भी प्लेटफॉर्म से युद्ध के दौरान इसकी मदद ली जा सकती हैं।
  • ये परमाणु हथियारों को भी ले जाने में सक्षम है।
  • अग्नि 5 मिसाइल से छोटे सैटेलाइट छोड़े जा सकेंगे। इससे दुश्मनों के सेटेलाइट को नष्ट करने में भी मदद मिलेगी।
  • यह मिसाइल एक बार छूटी तो रोकी नहीं जा सकेगी। यह 1000 किलो का न्यूक्लियर हथियार ले जा सकेगी।
  • अग्नि पांच के लॉन्चिंग सिस्टम में कैनिस्टर तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इसकी वजह से इस मिसाइल को कहीं भी बड़ी आसानी से ट्रांसपोर्ट किया जा सकता है।
  • अग्नि-5 मिसाइल का यह छठा परीक्षण था। इसका पहला परीक्षण 9 अप्रैल, 2012 को हुआ था। दूसरा व तीसरा परीक्षण क्रमशः 2013 व 2015 में हुआ, चौथा परीक्षण 26 दिसंबर, 2017 को हुआ। पांचवां परीक्षण 18 जनवरी, 2018 को को हुआ था।
  • इस मिसाइल की मारक दूरी में चीन सहित संपूर्ण एशिया तथा अफ्रीका व यूरोप के कुछ हिस्सा शामिल है।
  • यह मिसाइल रिंग लेजर गायरो आधारित इनर्शियल नैविगेशन सिस्टम (Ring Laser Gyro based Inertial Navigation System:RINS) व आधुनिक तथा सटीक माइक्रो नैविगेशन सिस्टम (Micro Navigation System: MINS) ) से युक्त है।
  • अग्नि मिसाइलों में यह सर्वाधिक अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों से युक्त है।
  • इस मिसाइल के परीक्षण के साथ भारत विश्व के उन पांच देशों के विशिष्ट क्लब में शामिल हो गया है जिनके पास आईसीबीएम यानी अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल है। ये पांच देश हैं; यूएसए, ब्रिटेन, रूस, चीन व फ्रांस। 

अग्नि श्रृंखला की 
अन्य मिसाइल मिसाइल       मारक क्षमता
अग्नि-1                         700 किलोमीटर
अग्नि-2                       2000 किलोमीटर
अग्नि-3                       3000 किलोमीटर
अग्नि-4                       4000 किलोमीटर
अग्नि-5                       5000 किलोमीटर