Saturday, 16 June 2018

14 जून को विश्व रक्तदान दिवस

पूरी दुनिया में कहीं भी जरुरतमंद व्यक्ति के लिये रक्त-आधान और रक्त उत्पाद आधान की जरुरत को पूरा करने के लिये विश्व रक्त दाता दिवस मनाया जाता है। ये अभियान प्रत्येक वर्ष लाखों लोगों की जान बचाता है और रक्त प्राप्त करने वाले व्यक्ति के चेहरे पर एक प्राकृतिक मुस्कुराहट देता है।    रक्त-आधान लंबे और गुणवत्तापूर्ण जीवन जीने के लिये उन्हें प्रेरित करता है और कई प्रकार के स्वास्थ्य संबंधी जीवन से जुड़े खतरों से पीड़ित मरीज को मदद प्रदान करता है।    रक्तदान को लेकर गलतफहमी    रक्त से आपकी जिन्दगी तो चलती ही है साथ ही कितने अन्य के जीवन को भी बचाया जा सकता है। विश्व के इस सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में अभी भी बहुत से लोग यह समझते हैं कि रक्तदान से शरीर कमज़ोर हो जाता है और उस रक्त की भरपाई होने में महिनों लग जाते हैं।    इतना ही नहीं यह गलतफहमी भी व्याप्त है कि नियमित रक्त देने से लोगों की रोगप्रतिकारक क्षमता कम होती है और उसे बीमारियां जल्दी जकड़ लेती हैं। यहाँ भ्रम इस क़दर फैला हुआ है कि लोग रक्तदान का नाम सुनकर ही कॉप उठते हैं।    भारत में रक्तदान की स्थिति    विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के तहत भारत में सालाना एक करोड़ यूनिट रक्त की जरूरत है लेकिन उपलब्ध 75 लाख यूनिट ही हो पाता है। यानी करीब 25 लाख यूनिट रक्त के अभाव में हर साल सैंकड़ों मरीज दम तोड़ देते हैं।

पूरी दुनिया में 14 जून 2018 को विश्व रक्तदान दिवस मनाया गया इस दिवस का मुख्य उद्देश्य सुरक्षित रक्त रक्त उत्पादों की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाना और रक्तदाताओं के सुरक्षित जीवन रक्षक रक्त के दान करने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करते हुए आभार व्यक्त करना है

इस दिन जागरूकता अभियान चलाया जाता है और लोगों को मुफ्त रक्तदान करने के लिए प्रेरित किया जाता है विश्व रक्तदान दिवस 2018 का थीम- “बी देयर फॉर समवन एल्स. गिभ ब्लड. शेयर लाइफ.” (Be there for someone else. Give blood. Share life).

विश्व रक्तदान दिवस

विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वर्ष 1997 से प्रत्येक वर्ष 14 जून को 'विश्व रक्तदान दिवस' मनाया जाता है। वर्ष 1997 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 100 फीसदी स्वैच्छिक रक्तदान नीति की नींव डाली थी। इसके अंतर्गत विश्व स्वास्थ्य संगठन ने यह लक्ष्य रखा था कि विश्व के प्रमुख 124 देश अपने यहाँ स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा देंइसका मुख्य उद्देश्य यह था कि रक्त की जरूरत पड़ने पर उसके लिए पैसे देने की जरूरत नहीं पड़े अबतक विश्व के लगभग 49 देशों ने ही इस पर अमल किया है

14 जून ही रक्तदान दिवस क्यों?

महान वैज्ञानिक कार्ल लैंडस्टाईन का जन्‍म 14 जून 1868 को हुआ था उन्होंने मानव रक्‍त में उपस्थित एग्‍ल्‍युटिनि‍न की मौजूदगी के आधार पर रक्‍तकणों का ए, बी और ओ समूह में वर्गीकरण किया इस वर्गीकरण ने चिकित्‍सा विज्ञान में महत्‍वपूर्ण योगदान दिया उनकी इसी खोज से आज करोड़ों से ज्यादा रक्तदान रोजाना होते हैं और लाखों की जिंदगियां बचाई जाती हैं इस महत्‍वपूर्ण खोज के लिए ही कार्ल लैंडस्‍टाईन को वर्ष 1930 में नोबल पुरस्कार दिया गया था

रक्तदान कौन कर सकता हैं

18 से 65 साल की आयु के सभी स्वस्थ जिनका वजन 45 किग्रा और उससे अधिक है वह रक्तदान कर सकते हैं

रक्तदान के फायदे

नियमित रक्तदान की आदत व्यक्ति को हाई कॉलेस्टोल, हार्ट प्रॉब्लम, हिमोग्लोबिन की कमी और मोटापा जैसी बीमारियों से बचा सकती है इसके साथ ही रक्तदान से शरीर को आंतरिक रूप से भी स्वस्थ्य रखा जा सकता है एक रक्तदाता चार लोगों की जिंदगियों को बचा सकता है विशेषज्ञों के अनुसार नियमित ब्लड डोनेशन करना हैल्दी रहने का एक अच्छा तरीका भी माना जाता है। ब्लड डोनेशन के बाद एक माह में ही नया ब्लड बन जाता है नियमित रक्तदान करने से यूरिक एसिड और कोलेस्ट्रोल की मात्रा पर नियंत्रण रहता है शरीर के अंदर से पुराना रक्त निकल जाने से नए खून का संचार होने लगता है, साथ ही नई लाल रक्त कोषिकाओं का उत्पादन होना शुरू हो जाता है

स्वस्थ व्यक्ति हर तीसरे महीने रक्तदान

रक्तदान करने से शरीर में कोई कमी नहीं आती और कोई भी स्वस्थ व्यक्ति हर तीसरे महीने रक्तदान कर सकता है

विश्व रक्त दाता दिवस क्यों मनाया जाता है?

पूरी दुनिया में कहीं भी जरुरतमंद व्यक्ति के लिये रक्त-आधान और रक्त उत्पाद आधान की जरुरत को पूरा करने के लिये विश्व रक्त दाता दिवस मनाया जाता है ये अभियान प्रत्येक वर्ष लाखों लोगों की जान बचाता है और रक्त प्राप्त करने वाले व्यक्ति के चेहरे पर एक प्राकृतिक मुस्कुराहट देता है

रक्त-आधान लंबे और गुणवत्तापूर्ण जीवन जीने के लिये उन्हें प्रेरित करता है और कई प्रकार के स्वास्थ्य संबंधी जीवन से जुड़े खतरों से पीड़ित मरीज को मदद प्रदान करता है

रक्तदान को लेकर गलतफहमी

रक्त से आपकी जिन्दगी तो चलती ही है साथ ही कितने अन्य के जीवन को भी बचाया जा सकता है। विश्व के इस सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में अभी भी बहुत से लोग यह समझते हैं कि रक्तदान से शरीर कमज़ोर हो जाता है और उस रक्त की भरपाई होने में महिनों लग जाते हैं

इतना ही नहीं यह गलतफहमी भी व्याप्त है कि नियमित रक्त देने से लोगों की रोगप्रतिकारक क्षमता कम होती है और उसे बीमारियां जल्दी जकड़ लेती हैं यहाँ भ्रम इस क़दर फैला हुआ है कि लोग रक्तदान का नाम सुनकर ही कॉप उठते हैं

भारत में रक्तदान की स्थिति

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के तहत भारत में सालाना एक करोड़ यूनिट रक्त की जरूरत है लेकिन उपलब्ध 75 लाख यूनिट ही हो पाता है यानी करीब 25 लाख यूनिट रक्त के अभाव में हर साल सैंकड़ों मरीज दम तोड़ देते हैं