Thursday 7 June 2018

भारत में मातृ मृत्यु दर में 22 प्रतिशत की कमी

भारत में वर्ष 2013 से मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) में रिकार्ड 22 प्रतिशत की महत्वपूर्ण कमी दर्ज की गई है यह जानकारी नमूना पंजीकरण प्रणाली (एसआरएस) ने 06 जून 2018 को अपने द्वारा एकत्र किए गए डाटा के आधार पर दी है।    रिपोर्ट के अनुसार भारत में वर्ष 2011-13 में मातृ मृत्यु दर जहां 167 था वहीं वो वर्ष 2014-16 में घटकर 130 हो गया। एमएमआर को 100,000 जीवित जन्मों की मातृ मृत्यु की संख्या के रूप में परिभाषित किया जाता है।    मुख्य तथ्य  यह गिरावट  ‘इंपावर्ड एक्शन ग्रुप’ (ईएजी) राज्यों (246 से घटकर 188) में सबसे महत्वपूर्ण है। मातृ मृत्यु दर पर रिपोर्ट में कहा गया कि दक्षिणी राज्यों में यह 93 से घटकर 77 और अन्य राज्यों में 115 से घटकर 93 रह गई है। वर्ष 2013 की तुलना में वर्ष 2016 में प्रसव के समय मां की मुत्यु के मामलों में करीब 12 हजार की कमी आई है और ऐसी स्थिति में माताओं की मृत्यु का कुल आंकड़ा पहली बार घटकर 32 हजार पर आ गया है। इसका मतलब यह हुआ कि भारत में वर्ष 2013 की तुलना में अब हर दिन 30 ज्यादा गर्भवती महिलाओं को बचाया जा रहा है।    नमूना पंजीकरण प्रणाली (एसआरएस) के बारे में  भारत में नमूना पंजीकरण प्रणाली (एसआरएस) देश और प्रमुख राज्यों के लिए मृत्यु दर के प्रत्येक आकलन प्रदान करने का एक मात्र स्रोत है। यह आकलन 1997 से प्रदान किये जा रहे हैं। मातृ मुत्यु दर संबंधी आंकडे मौखिक शव-परीक्षा (ऑटाप्सी) के आधार पर तैयार किये जाते हैं, जो एसआरएस के अधीन बताई गयी सभी मरने वालों के बारे में जानकारी के आधार पर क्रियान्वित की जाती है। त्वरित आकलन तैयार करने के लिए तीन वर्षों के आकडों को जोड़कर मातृ मृत्यु अनुमान तैयार किये जाते हैं। विदित हो कि नमूना पंजीकरण प्रणाली बड़े पैमाने पर होने वाला जनसंख्या सर्वेक्षण है जो राष्ट्रीय स्तर पर जन्मदर, मृत्यु दर और अन्य प्रजनन तथा मृत्यु संबंधी संकेतकों के विश्वनीय वार्षिक अनुमान प्रदान करता है। जमीनी जांच में चुनी हुई इकाइयों में पार्ट टाइम गणनाकारों आमतौर से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं अध्यापकों द्वारा चुनी हुई नमूना इकाइयों में जन्म और मृत्यु की लगातार गिनती की जाती है और एसआरएस के सुपरवाइजर हर छह महीने में स्वतंत्र सर्वेक्षण करते हैं। इन दो स्वतंत्र अधिकारियों द्वारा प्राप्त आंकड़ों को मिलाया जाता है। बेमेल और आंशिक रूप से मेल खाने की स्थिति में इनकी दोबारा पुष्टि की जाती है और इसके बाद जन्म‍ और मृत्यु की गणना की जाती है।    प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान  भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा सभी गर्भवती महिलाओं को प्रत्येक महीने की 9वीं तारीख को निश्चित रूप से व्यापक और गुणवत्तापूर्व प्रसव-देखभाल प्रदान करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान शुरू किया गया। इस अभियान में चिकित्सकों द्वारा सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं के तहत गर्भवती महिलाओं को प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने के लिये निजी क्षेत्र के डॉक्टरों के समर्थन के साथ-साथ जन्मपूर्व देखभाल सेवाओं का एक न्यूनतम पैकेज प्रदान किया जाता है। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान भारत सरकार की एक नई पहल है, जिसके तहत प्रत्येक माह की निश्चित नवीं तारीख को सभी गर्भवती महिलाओं को व्यापक और गुणवत्तायुक्त प्रसव पूर्व देखभाल प्रदान करना सुनिश्चित किया गया है। इस अभियान के तहत गर्भवती महिलाओं को सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर उनकी गर्भावस्था के दूसरी और तीसरी तिमाही की अवधि (गर्भावस्था के 4 महीने के बाद) के दौरान प्रसव पूर्व देखभाल सेवाओं का न्यूनतम पैकेज प्रदान किया जाएगा। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) देश में तीन करोड़ से अधिक गर्भवती महिलाओं को प्रसव पूर्व देखभाल की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए शुरू किया गया है।     पृष्ठभूमि    गर्भवति महिलाओं को मुफ्त मेडिकल ट्रीटमेंट और दवाइयाँ दी जा रही हैं जो जच्चा बच्चा दोंनो को स्वस्थ्य रखने मे मददगार साबित हो रहा है। इसके अलावा सरकार की तरफ से भी कई स्कीमें चलाई जा रही हैं जिसमें बच्चे को जन्म पर उसके परिवार को उसकी देखभाल के लिए प्रोत्साहन राशि प्रदान करना मुख्य है। इसकी वजह से अब लोग घरों की बजाए अस्पताल में ही अपने बच्चे को जन्म देने जा रहे हैं। केरल राज्य में लगातार सुधार देखने को मिला है, जहाँ हर एक लाख माताओं में से केवल 81 माताओं की जन्म देते समय या जन्म देने के कुछ समय बाद मौत हो जाती है।

भारत में वर्ष 2013 से मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) में रिकार्ड 22 प्रतिशत की महत्वपूर्ण कमी दर्ज की गई है यह जानकारी नमूना पंजीकरण प्रणाली (एसआरएस) ने 06 जून 2018 को अपने द्वारा एकत्र किए गए डाटा के आधार पर दी है

रिपोर्ट के अनुसार भारत में वर्ष 2011-13 में मातृ मृत्यु दर जहां 167 था वहीं वो वर्ष 2014-16 में घटकर 130 हो गया एमएमआर को 100,000 जीवित जन्मों की मातृ मृत्यु की संख्या के रूप में परिभाषित किया जाता है

मुख्य तथ्य
  • यह गिरावट  ‘इंपावर्ड एक्शन ग्रुप’ (ईएजी) राज्यों (246 से घटकर 188) में सबसे महत्वपूर्ण है
  • मातृ मृत्यु दर पर रिपोर्ट में कहा गया कि दक्षिणी राज्यों में यह 93 से घटकर 77 और अन्य राज्यों में 115 से घटकर 93 रह गई है
  • वर्ष 2013 की तुलना में वर्ष 2016 में प्रसव के समय मां की मुत्यु के मामलों में करीब 12 हजार की कमी आई है और ऐसी स्थिति में माताओं की मृत्यु का कुल आंकड़ा पहली बार घटकर 32 हजार पर आ गया है इसका मतलब यह हुआ कि भारत में वर्ष 2013 की तुलना में अब हर दिन 30 ज्यादा गर्भवती महिलाओं को बचाया जा रहा है

नमूना पंजीकरण प्रणाली (एसआरएस) के बारे में
  • भारत में नमूना पंजीकरण प्रणाली (एसआरएस) देश और प्रमुख राज्यों के लिए मृत्यु दर के प्रत्येक आकलन प्रदान करने का एक मात्र स्रोत है
  • यह आकलन 1997 से प्रदान किये जा रहे हैं मातृ मुत्यु दर संबंधी आंकडे मौखिक शव-परीक्षा (ऑटाप्सी) के आधार पर तैयार किये जाते हैं, जो एसआरएस के अधीन बताई गयी सभी मरने वालों के बारे में जानकारी के आधार पर क्रियान्वित की जाती है
  • त्वरित आकलन तैयार करने के लिए तीन वर्षों के आकडों को जोड़कर मातृ मृत्यु अनुमान तैयार किये जाते हैं
  • विदित हो कि नमूना पंजीकरण प्रणाली बड़े पैमाने पर होने वाला जनसंख्या सर्वेक्षण है जो राष्ट्रीय स्तर पर जन्मदर, मृत्यु दर और अन्य प्रजनन तथा मृत्यु संबंधी संकेतकों के विश्वनीय वार्षिक अनुमान प्रदान करता है
  • जमीनी जांच में चुनी हुई इकाइयों में पार्ट टाइम गणनाकारों आमतौर से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं अध्यापकों द्वारा चुनी हुई नमूना इकाइयों में जन्म और मृत्यु की लगातार गिनती की जाती है और एसआरएस के सुपरवाइजर हर छह महीने में स्वतंत्र सर्वेक्षण करते हैं
  • इन दो स्वतंत्र अधिकारियों द्वारा प्राप्त आंकड़ों को मिलाया जाता है। बेमेल और आंशिक रूप से मेल खाने की स्थिति में इनकी दोबारा पुष्टि की जाती है और इसके बाद जन्म‍ और मृत्यु की गणना की जाती है

प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान
  • भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा सभी गर्भवती महिलाओं को प्रत्येक महीने की 9वीं तारीख को निश्चित रूप से व्यापक और गुणवत्तापूर्व प्रसव-देखभाल प्रदान करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान शुरू किया गया इस अभियान में चिकित्सकों द्वारा सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं के तहत गर्भवती महिलाओं को प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने के लिये निजी क्षेत्र के डॉक्टरों के समर्थन के साथ-साथ जन्मपूर्व देखभाल सेवाओं का एक न्यूनतम पैकेज प्रदान किया जाता है
  • प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान भारत सरकार की एक नई पहल है, जिसके तहत प्रत्येक माह की निश्चित नवीं तारीख को सभी गर्भवती महिलाओं को व्यापक और गुणवत्तायुक्त प्रसव पूर्व देखभाल प्रदान करना सुनिश्चित किया गया है
  • इस अभियान के तहत गर्भवती महिलाओं को सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर उनकी गर्भावस्था के दूसरी और तीसरी तिमाही की अवधि (गर्भावस्था के 4 महीने के बाद) के दौरान प्रसव पूर्व देखभाल सेवाओं का न्यूनतम पैकेज प्रदान किया जाएगा
  • प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) देश में तीन करोड़ से अधिक गर्भवती महिलाओं को प्रसव पूर्व देखभाल की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए शुरू किया गया है

पृष्ठभूमि

गर्भवति महिलाओं को मुफ्त मेडिकल ट्रीटमेंट और दवाइयाँ दी जा रही हैं जो जच्चा बच्चा दोंनो को स्वस्थ्य रखने मे मददगार साबित हो रहा है इसके अलावा सरकार की तरफ से भी कई स्कीमें चलाई जा रही हैं जिसमें बच्चे को जन्म पर उसके परिवार को उसकी देखभाल के लिए प्रोत्साहन राशि प्रदान करना मुख्य है। इसकी वजह से अब लोग घरों की बजाए अस्पताल में ही अपने बच्चे को जन्म देने जा रहे हैं केरल राज्य में लगातार सुधार देखने को मिला है, जहाँ हर एक लाख माताओं में से केवल 81 माताओं की जन्म देते समय या जन्म देने के कुछ समय बाद मौत हो जाती है