Sunday 10 June 2018

ट्रोलिंग से आप क्या समझते हैं? इससे संबंधित नैतिकता के मुद्दों की चर्चा करें

 ट्रोलिंग से आप क्या समझते हैं? इससे संबंधित नैतिकता के मुद्दों की चर्चा करें।  इंटरनेट की दुनिया में ट्रोल का मतलब उन लोगों से होता है, जो किसी भी मुद्दे पर चल रही चर्चा में कूदते हैं और आक्रामक, अनर्गल व भड़काऊ बातों से लोगों को विषय से भटका देते हैं। इनका मुख्य उद्देश्य होता है पाठकों की भावुक प्रतिक्रिया तथा उत्तेजना को जन्म देना जिससे आक्रामक भावनात्मक प्रतिक्रिया की आड़ में मुख्य मुद्दे खो जाएँ अथवा गौण हो जाएँ।  वर्त्तमान समय में ट्रोलिंग ने कई नैतिक चिंताओं को जन्म दिया है। ट्रोलिंग एक प्रकार की वैचारिक हिंसा है जिसके प्रभाव को कमतर आँकना एक बड़ी भूल होगी। सोशल मीडिया पर अश्लील कमेंट करना तथा किसी की निजी जिंदगी पर भद्दी टिप्पणी करना आज आम चलन सा हो गया है।  आज सोशल मीडिया की पहुँच व प्रभाव संचार के किसी अन्य साधन से अधिक है और ट्रोल आमजन तक पहुँच के इस साधन को दुष्प्रभावित करने का एक बड़ा जरिया है। कई कंपनियाँ राजनीतिक दल व सरकारें अपने ट्रोल्स के माध्यम से सोशल मीडिया पर अपने फायदे के लिये आमजन की राय को प्रभावित करते हैं।  फिर जहाँ एक ओर सोशल मीडिया ने आमजन को ताकतवर बनाया है वहीं, ट्रोल्स ने इसकी विश्वसनीयता पर महत्त्वपूर्ण प्रश्नचिह्न लगाया है। इसके अतिरिक्त ट्रोलिंग के क्रम में महिलाओं पर की जाने वाली गंदी व भद्दी टिप्पणियों ने भी समाज के नैतिक मानकों के समक्ष एक महत्त्वपूर्ण चुनौती उपस्थित की है।

इंटरनेट की दुनिया में ट्रोल का मतलब उन लोगों से होता है, जो किसी भी मुद्दे पर चल रही चर्चा में कूदते हैं और आक्रामक, अनर्गल व भड़काऊ बातों से लोगों को विषय से भटका देते हैं। इनका मुख्य उद्देश्य होता है पाठकों की भावुक प्रतिक्रिया तथा उत्तेजना को जन्म देना जिससे आक्रामक भावनात्मक प्रतिक्रिया की आड़ में मुख्य मुद्दे खो जाएँ अथवा गौण हो जाएँ।

वर्त्तमान समय में ट्रोलिंग ने कई नैतिक चिंताओं को जन्म दिया है। ट्रोलिंग एक प्रकार की वैचारिक हिंसा है जिसके प्रभाव को कमतर आँकना एक बड़ी भूल होगी। सोशल मीडिया पर अश्लील कमेंट करना तथा किसी की निजी जिंदगी पर भद्दी टिप्पणी करना आज आम चलन सा हो गया है।

 ट्रोलिंग से आप क्या समझते हैं? इससे संबंधित नैतिकता के मुद्दों की चर्चा करें।  इंटरनेट की दुनिया में ट्रोल का मतलब उन लोगों से होता है, जो किसी भी मुद्दे पर चल रही चर्चा में कूदते हैं और आक्रामक, अनर्गल व भड़काऊ बातों से लोगों को विषय से भटका देते हैं। इनका मुख्य उद्देश्य होता है पाठकों की भावुक प्रतिक्रिया तथा उत्तेजना को जन्म देना जिससे आक्रामक भावनात्मक प्रतिक्रिया की आड़ में मुख्य मुद्दे खो जाएँ अथवा गौण हो जाएँ।  वर्त्तमान समय में ट्रोलिंग ने कई नैतिक चिंताओं को जन्म दिया है। ट्रोलिंग एक प्रकार की वैचारिक हिंसा है जिसके प्रभाव को कमतर आँकना एक बड़ी भूल होगी। सोशल मीडिया पर अश्लील कमेंट करना तथा किसी की निजी जिंदगी पर भद्दी टिप्पणी करना आज आम चलन सा हो गया है।  आज सोशल मीडिया की पहुँच व प्रभाव संचार के किसी अन्य साधन से अधिक है और ट्रोल आमजन तक पहुँच के इस साधन को दुष्प्रभावित करने का एक बड़ा जरिया है। कई कंपनियाँ राजनीतिक दल व सरकारें अपने ट्रोल्स के माध्यम से सोशल मीडिया पर अपने फायदे के लिये आमजन की राय को प्रभावित करते हैं।  फिर जहाँ एक ओर सोशल मीडिया ने आमजन को ताकतवर बनाया है वहीं, ट्रोल्स ने इसकी विश्वसनीयता पर महत्त्वपूर्ण प्रश्नचिह्न लगाया है। इसके अतिरिक्त ट्रोलिंग के क्रम में महिलाओं पर की जाने वाली गंदी व भद्दी टिप्पणियों ने भी समाज के नैतिक मानकों के समक्ष एक महत्त्वपूर्ण चुनौती उपस्थित की है।

आज सोशल मीडिया की पहुँच व प्रभाव संचार के किसी अन्य साधन से अधिक है और ट्रोल आमजन तक पहुँच के इस साधन को दुष्प्रभावित करने का एक बड़ा जरिया है। कई कंपनियाँ राजनीतिक दल व सरकारें अपने ट्रोल्स के माध्यम से सोशल मीडिया पर अपने फायदे के लिये आमजन की राय को प्रभावित करते हैं।

 ट्रोलिंग से आप क्या समझते हैं? इससे संबंधित नैतिकता के मुद्दों की चर्चा करें।  इंटरनेट की दुनिया में ट्रोल का मतलब उन लोगों से होता है, जो किसी भी मुद्दे पर चल रही चर्चा में कूदते हैं और आक्रामक, अनर्गल व भड़काऊ बातों से लोगों को विषय से भटका देते हैं। इनका मुख्य उद्देश्य होता है पाठकों की भावुक प्रतिक्रिया तथा उत्तेजना को जन्म देना जिससे आक्रामक भावनात्मक प्रतिक्रिया की आड़ में मुख्य मुद्दे खो जाएँ अथवा गौण हो जाएँ।  वर्त्तमान समय में ट्रोलिंग ने कई नैतिक चिंताओं को जन्म दिया है। ट्रोलिंग एक प्रकार की वैचारिक हिंसा है जिसके प्रभाव को कमतर आँकना एक बड़ी भूल होगी। सोशल मीडिया पर अश्लील कमेंट करना तथा किसी की निजी जिंदगी पर भद्दी टिप्पणी करना आज आम चलन सा हो गया है।  आज सोशल मीडिया की पहुँच व प्रभाव संचार के किसी अन्य साधन से अधिक है और ट्रोल आमजन तक पहुँच के इस साधन को दुष्प्रभावित करने का एक बड़ा जरिया है। कई कंपनियाँ राजनीतिक दल व सरकारें अपने ट्रोल्स के माध्यम से सोशल मीडिया पर अपने फायदे के लिये आमजन की राय को प्रभावित करते हैं।  फिर जहाँ एक ओर सोशल मीडिया ने आमजन को ताकतवर बनाया है वहीं, ट्रोल्स ने इसकी विश्वसनीयता पर महत्त्वपूर्ण प्रश्नचिह्न लगाया है। इसके अतिरिक्त ट्रोलिंग के क्रम में महिलाओं पर की जाने वाली गंदी व भद्दी टिप्पणियों ने भी समाज के नैतिक मानकों के समक्ष एक महत्त्वपूर्ण चुनौती उपस्थित की है।

फिर जहाँ एक ओर सोशल मीडिया ने आमजन को ताकतवर बनाया है वहीं, ट्रोल्स ने इसकी विश्वसनीयता पर महत्त्वपूर्ण प्रश्नचिह्न लगाया है। इसके अतिरिक्त ट्रोलिंग के क्रम में महिलाओं पर की जाने वाली गंदी व भद्दी टिप्पणियों ने भी समाज के नैतिक मानकों के समक्ष एक महत्त्वपूर्ण चुनौती उपस्थित की है।