ओडिशा के कोणार्क तट पर स्थित चंद्रभागा तट देश का पहला समुद्र तट (beach) है जिसे ‘ब्लू फ्लैग सर्टिफिकेशन’ प्राप्त हुआ है। यह प्रमाणपत्र वैसे समुद्री तटों को प्रदान किया जाता है जो पर्यावरणानुकूल हो, साफ हो और पर्यटकों के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों वाला हो।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रलय के अधीन ‘समन्वित तटीय प्रबंधन समाज’ यानी एसआईसीएम (Society for Integrated Coastal Management: SICOM) देश के 13 समुद्री तटों को भी ब्लू फ्रलैग मानकों के तहत ब्लू फ्रलैग प्रमाणन हेतु विकसित कर रही है। इनमें से एक चंद्रभागा तट (ओडिशा) को प्रमाणपत्र दिया जा चुका है।
ब्लू फ्लैग प्रमाण हासिल करने के लिए समुद्री तट को 33 पर्यावरण व पर्यटन संबंधित स्थितियों का अनुपालन करना जरूरत है। इनमें प्लास्टिक मुक्त के साथ-साथ अपशिष्ट प्रबंधन से युक्त शामिल हैं। पानी स्वच्छ होना चाहिए। उस समुद्री तट के आसपास पर्यावरणीय प्रभाव आकलन अध्ययन की व्यवस्था भी होनी चाहिए।
ब्लू फ्लैग मानक की स्थापना कोपेनहेगेन स्थित ‘फाउंडेशन फॉर एनवायर्नमेंटल एजुकेशन’ (Foundation for Environmental Education: FEE) द्वारा 1985 में की गई थी। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रलय ने दिसंबर 2017 में ब्लू फ्रलैग परियोजना आरंभ किया था।