Friday, 15 June 2018

पैसों की कद्र करना कोई 'वारेन बफेट' से सीखे

यहाँ अमीर बनना कौन नहीं चाहता साहेब? सभी लोग अपने आपको रईस देखना चाहते हैं! जिनके पास आज पैसा नहीं है, वो लोग पैसा कमाना चाहते हैं और जिनके पास पैसा है, वो और पैसा कमाना चाहते हैं। इसी प्रकार से बढ़ती मानवीय इच्छाओं की पूर्ति के लिए हम दूसरों को फॉलो करने लगते हैं। ऐसे में अगर आपकी इच्छा भी करोड़पति बनने की है, तो शायद आप अंबानी या टाटा को फॉलो करते होंगे।    ऐसे तमाम करोड़पति भारत में तो हैं ही, विदेशों में भी ऐसे लोगों की भरमार है, जो आपको बताते हैं कि आप कैसे करोड़पति बनें। इन्हीं में से एक नाम हैं वारेन बफेट. जो आज दुनिया के सबसे रईस लोगों में तीसरे नंबर पर आते हैं। बावजूद इसके ये बेहद ही साधारण जीवन जीते हैं और बहुत कम खर्चा करते हैं।    अपनी उम्र के 88वें पड़ाव पर भी वारेन लोगों को अमीर बनना सिखा रहे हैं। लेकिन कैसे?    आइए जानते हैं –    11 साल की उम्र से शुरू की बचत    "बॉल स्ट्रीट एक मात्र ऐसी जगह है,  रईस लोग सड़क चलने वाले लोगों से एडवाइस लेने रॉल्स रॉयस में बैठकर आते हैं।"    ये कहना है वारेन बफेट का    30 अगस्त 1930 को नेब्रास्का के ओमाहा में पैदा हुए वॉरेन बफेट आज एक सफल निवेशक, व्यवसायी और समाज सेवा से जुड़े रईस अमेरिकी माने जाते हैं। निवेश के मामले में उनके मंत्र, सुझाव देश दुनिया के लोग फॉलो करते हैं। वॉरेन बफेट शेयर बाजार की दुनिया के महान निवेशकों में से एक माने जाते हैं। जब बच्चे दुनिया को देखना और चीजों के बारे में समझना शुरू करते हैं, उस समय मात्र 11 साल की छोटी सी उम्र में वारेन बफेट ने अपना पहला शेयर खरीद लिया था। इन्होंने इसी उम्र से अपने परिवार के एक ग्रौसरी स्टोर में काम करना शुरू कर दिया था, ताकि उनके पास ज्यादा से ज्यादा पैसे इकट्ठे हो सकें। छोटी उम्र में ही इन्होंने बड़ी कमाई की शुरूआत कर दी थी। इनकी कमाई का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि इन्होंने अपनी 13 साल की उम्र में पहला टेक्स भर दिया था।    इनके पिताजी एक छोटे ब्रोकर थे। लिहाजा ये उनके ऑफिस जाते, जहाँ इनका ज्यादातर वक्त ये देखने में बीतता, कि वहाँ निवेशक (इन्वेस्टर्स) कैसे स्टॉक में पैसा लगाते हैं और उससे उनकी कमाई कैसे होती है।    ये कहा जा सकता है कि बफेट के खून में बिजनेस बसा हुआ था। अखबार बांटकर और गाड़ी साफ कर कमाए पैसे। वारेन जब हाईस्कूल में थे, तब इन्होंने 'दी वाशिंगटन पोस्ट' अखबार बांटने का काम शुरू किया। ये इनके लिए एक बेहतर जॉब थी, हर दिन कमाई। जब ज्यादातर ऑफिस खुले भी नहीं होते थे, तब तक सुबह-सुबह ये अपनी कमाई शुरू कर देते। आगे चलकर इन्होंने 'दी वाशिंगटन पोस्ट' के शेयर खरीदे और आज ये इस अखबार के सबसे बड़े शेयरहोल्डर भी हैं।    इसी के साथ इन्होंने बड़े होने तक विभिन्न्‍ा प्रकार की नौकरियां कीं। इन्होंने अखबार बांटने के अलावा कार धोने का काम किया। बफेट इससे होने वाली कमाई को पिन बॉल मशीन खरीदने में निवेश (इन्वेस्ट) कर दिया करते थे। और इस मशीन को इन्होंने स्थानीय व्यापार में लगा दिया. इससे इनकी आमद बढ़ने लगी।    पैसे कमाने की इस इच्छा के कारण बफेट अपनी पढ़ाई से लगातार दूर हो रहे थे। लिहाजा इनके पिता ने इन्हें जबरन कॉलेज भेजा। और फिर इन्होंने नेब्रास्का विश्वविद्यालय से अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की।    वारेन बफेट को हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में दाखिला देने से मना कर दिया गया था। इसके बदले में इन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में मास्टर्स किया। कोलंबिया बिजनेस स्कूल में मास्टर्स की पढ़ाई के दौरान ही इन्होंने मूल्य निवेश (वैल्यू इन्वेस्टमेंट) के बुनियादी सिद्धांतों को सीखा।    स्टॉक ब्रोकर के रूप में की करियर की शुरूआत    मास्टर्स के बाद बफेट वॉल स्ट्रीट पर काम करना चाहते थे। लेकिन इन्होंने ओमाहा में स्टॉक ब्रोकर के तौर पर काम शुरू कर दिया। इसी के साथ इन्होंने कई पार्टनरशिप में स्टॉक ब्रोकिंग का अपना व्यापार आगे बढ़ाया। इसी के साथ बफेट 31 साल की उम्र में करोड़पति बन चुके थे। इसी के साथ सन 1959 से इन्होंने सीधे कंपनियों में निवेश का काम शुरू कर दिया। इन्होंने पवन चक्की (विंडमिल) बनाने वाली एक कंपनी में 10 लाख यूएस डॉलर का निवेश किया। इसके एक साल बाद बोतल बनाने वाली कंपनी में भी इन्होंने पैसे लगाए। वॉरेन ने कुल सात भागीदारी फर्मों की संपत्तियों में 9.5 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी। इसके 3 साल बाद इन्होंने सभी साझेदारी फर्मों को मिलाकर एक इकाई बना दी। और खरीद ली बर्कशायर हैथवे कंपनी। अब बफेट ऐसे ही अन्य कंपनियों की तलाश में लग गए, जहाँ से उन्हें अच्छा रिटर्न मिलने की संभावना दिखाई दे रही थी। सन 1962 में इन्हें न्यू इंग्लैंड टैक्सटाइल कंपनी बर्कशायर हैथवे में निवेश करने का मौका मिला। इन्होंने इस कंपनी के कुछ शेयर खरीद लिए। इसके बाद कंपनी के प्रबंधन से इनके कुछ विवाद हो गए। और इन्होंने अब इस कंपनी को ही खरीदने का विचार बना लिया। इन्होंने अपनी बचत को बढ़ाया और फिर 1965 में इन्होंने पूरी बर्कशायर हैथवे कंपनी खरीद ही ली।   आज, वारेन बफेट बर्कशायर हैथवे कंपनी के मुख्य प्रबंधन अधिकारी (सीईओ) हैं. इस एक ग्रुप के अंतर्गत 60 से ज्यादा कंपनियां आती हैं, जिसमें से बीमा करने वाली गीको, बैटरी बनाने वाली ड्यूरासेल और रेस्तरां चेन डेयरी क्वीन जैसी बड़ी कंपनियां शामिल हैं।    इसके बाद इन्होंने और बड़ी कंपनियों में निवेश करना शुरू किया। उन्हीं में से एक अमेरिकन एक्सप्रेस भी थी, जिसके शेयर अगले ही साल दो गुने हो गए। इससे इन्हें बहुत फायदा हुआ।    क्या हैं इनके निवेश मंत्र    वारेन बफेट कहते हैं कि निवेश करने से पहले आपके पास उसकी पूरी योजना और लक्ष्य होना चाहिए। निवेश करने के बाद जरूरी है कि आप नतीजों का धैर्य के साथ इंतजार करें। वारेन के अनुसार, कभी भी निवेश करो, तो रकम को बांट कर अलग-अलग जगह अपनी जरूरतों के हिसाब से निवेश करो। साथ ही कुछ पैसा ऐसी जगह लगाया जाए, जहाँ ठीक-ठाक बढ़त हो, लेकिन नुक्सान कम रहे। और बाकी पैसा उच्च जोखिम लेकर उच्च रिटर्न वाले स्टॉक में लगाना चाहिए। स्टॉक में पैसा लगाने का मतलब है कि आपके पास ज्यादा पैसा होना चाहिए। उसके लिए बफेट सुझाते हैं कि कभी भी एक नौकरी पर निर्भर न रहें. इसके अलावा भी आय के कई साधन बनाएं। वारेन के मुताबिक, स्टॉक के मूल्य को देखें, कीमत को नहीं। अगर कोई महंगी कीमत वाला स्टॉक भी आपको ज्यादा ऊंचा रिटर्न देता है, तो वो आपके लिए मूल्य है। लेकिन निवेश करने से पहले दो बार अवश्य सोच लें।     दान करेंगे संपत्ति का 99 प्रतिशत हिस्सा  बफेट अपनी संपत्ति का 99 प्रतिशत हिस्सा दान करने का वादा कर चुके हैं। अपनी संपत्ति में से लगभग 32 अरब यूएस डॉलर ये पहले ही गेट्स फाउंडेशन को दान में दे चुके हैं।    बिल गेट्स इनके बहुत अच्छे दोस्त हैं। बफेट ने गेट्स के साथ 2010 में द गिविंग प्लेज कार्यक्रम की शुरूआत की थी। जिसका मकसद अरबपति से आधी संपत्ति धर्मार्थ कार्यों के लिए दान देने के लिए प्रेरित करना है।  वारेन बफेट आज भी ओमाहा के उसी घर में रहते हैं, जो उन्होंने आज से लगभग 60 साल पहले 1958 में 31,500 यूएस डॉलर में खरीदा था।  इनके पास खुद का कोई प्लेन नहीं है, आम लोगों की तरह सफर करते हैं. कोई शौक इन्हें नहीं है, आज भी पाई-पाई जोड़कर इन्हें उन पैसों को निवेश करना ज्यादा पसंद है।  बफेट अपनी 11 साल की उम्र से निवेश कर रहे हैं. और शायद इसी कारण आज वो विश्व के सबसे अमीर लोगों में से एक हैं।  12 जून, 2018 तक लगभग 83.6 अरब अमेरिकी डॉलर की नैटवर्थ के साथ वारेन बफेट दुनिया के तीसरे सबसे अमीर आदमी थे।

यहाँ अमीर बनना कौन नहीं चाहता साहेब? सभी लोग अपने आपको रईस देखना चाहते हैं! जिनके पास आज पैसा नहीं है, वो लोग पैसा कमाना चाहते हैं और जिनके पास पैसा है, वो और पैसा कमाना चाहते हैं। इसी प्रकार से बढ़ती मानवीय इच्छाओं की पूर्ति के लिए हम दूसरों को फॉलो करने लगते हैं। ऐसे में अगर आपकी इच्छा भी करोड़पति बनने की है, तो शायद आप अंबानी या टाटा को फॉलो करते होंगे

ऐसे तमाम करोड़पति भारत में तो हैं ही, विदेशों में भी ऐसे लोगों की भरमार है, जो आपको बताते हैं कि आप कैसे करोड़पति बनें। इन्हीं में से एक नाम हैं वारेन बफेट. जो आज दुनिया के सबसे रईस लोगों में तीसरे नंबर पर आते हैं बावजूद इसके ये बेहद ही साधारण जीवन जीते हैं और बहुत कम खर्चा करते हैं

अपनी उम्र के 88वें पड़ाव पर भी वारेन लोगों को अमीर बनना सिखा रहे हैं। लेकिन कैसे?

आइए जानते हैं –

11 साल की उम्र से शुरू की बचत

"बॉल स्ट्रीट एक मात्र ऐसी जगह है,  रईस लोग सड़क चलने वाले लोगों से एडवाइस लेने रॉल्स रॉयस में बैठकर आते हैं"

ये कहना है वारेन बफेट का

30 अगस्त 1930 को नेब्रास्का के ओमाहा में पैदा हुए वॉरेन बफेट आज एक सफल निवेशक, व्यवसायी और समाज सेवा से जुड़े रईस अमेरिकी माने जाते हैं। निवेश के मामले में उनके मंत्र, सुझाव देश दुनिया के लोग फॉलो करते हैं वॉरेन बफेट शेयर बाजार की दुनिया के महान निवेशकों में से एक माने जाते हैं। जब बच्चे दुनिया को देखना और चीजों के बारे में समझना शुरू करते हैं, उस समय मात्र 11 साल की छोटी सी उम्र में वारेन बफेट ने अपना पहला शेयर खरीद लिया था इन्होंने इसी उम्र से अपने परिवार के एक ग्रौसरी स्टोर में काम करना शुरू कर दिया था, ताकि उनके पास ज्यादा से ज्यादा पैसे इकट्ठे हो सकें। छोटी उम्र में ही इन्होंने बड़ी कमाई की शुरूआत कर दी थी इनकी कमाई का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि इन्होंने अपनी 13 साल की उम्र में पहला टेक्स भर दिया था

इनके पिताजी एक छोटे ब्रोकर थे। लिहाजा ये उनके ऑफिस जाते, जहाँ इनका ज्यादातर वक्त ये देखने में बीतता, कि वहाँ निवेशक (इन्वेस्टर्स) कैसे स्टॉक में पैसा लगाते हैं और उससे उनकी कमाई कैसे होती है

ये कहा जा सकता है कि बफेट के खून में बिजनेस बसा हुआ था। अखबार बांटकर और गाड़ी साफ कर कमाए पैसे। वारेन जब हाईस्कूल में थे, तब इन्होंने 'दी वाशिंगटन पोस्ट' अखबार बांटने का काम शुरू किया ये इनके लिए एक बेहतर जॉब थी, हर दिन कमाई। जब ज्यादातर ऑफिस खुले भी नहीं होते थे, तब तक सुबह-सुबह ये अपनी कमाई शुरू कर देते। आगे चलकर इन्होंने 'दी वाशिंगटन पोस्ट' के शेयर खरीदे और आज ये इस अखबार के सबसे बड़े शेयरहोल्डर भी हैं

इसी के साथ इन्होंने बड़े होने तक विभिन्न्‍ा प्रकार की नौकरियां कीं इन्होंने अखबार बांटने के अलावा कार धोने का काम किया बफेट इससे होने वाली कमाई को पिन बॉल मशीन खरीदने में निवेश (इन्वेस्ट) कर दिया करते थे और इस मशीन को इन्होंने स्थानीय व्यापार में लगा दिया. इससे इनकी आमद बढ़ने लगी

पैसे कमाने की इस इच्छा के कारण बफेट अपनी पढ़ाई से लगातार दूर हो रहे थे। लिहाजा इनके पिता ने इन्हें जबरन कॉलेज भेजा और फिर इन्होंने नेब्रास्का विश्वविद्यालय से अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की

वारेन बफेट को हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में दाखिला देने से मना कर दिया गया था इसके बदले में इन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में मास्टर्स किया। कोलंबिया बिजनेस स्कूल में मास्टर्स की पढ़ाई के दौरान ही इन्होंने मूल्य निवेश (वैल्यू इन्वेस्टमेंट) के बुनियादी सिद्धांतों को सीखा

स्टॉक ब्रोकर के रूप में की करियर की शुरूआत
  • मास्टर्स के बाद बफेट वॉल स्ट्रीट पर काम करना चाहते थे लेकिन इन्होंने ओमाहा में स्टॉक ब्रोकर के तौर पर काम शुरू कर दिया इसी के साथ इन्होंने कई पार्टनरशिप में स्टॉक ब्रोकिंग का अपना व्यापार आगे बढ़ाया
  • इसी के साथ बफेट 31 साल की उम्र में करोड़पति बन चुके थे
  • इसी के साथ सन 1959 से इन्होंने सीधे कंपनियों में निवेश का काम शुरू कर दिया
  • इन्होंने पवन चक्की (विंडमिल) बनाने वाली एक कंपनी में 10 लाख यूएस डॉलर का निवेश किया इसके एक साल बाद बोतल बनाने वाली कंपनी में भी इन्होंने पैसे लगाए
  • वॉरेन ने कुल सात भागीदारी फर्मों की संपत्तियों में 9.5 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी इसके 3 साल बाद इन्होंने सभी साझेदारी फर्मों को मिलाकर एक इकाई बना दी। और खरीद ली बर्कशायर हैथवे कंपनी
  • अब बफेट ऐसे ही अन्य कंपनियों की तलाश में लग गए, जहाँ से उन्हें अच्छा रिटर्न मिलने की संभावना दिखाई दे रही थी
  • सन 1962 में इन्हें न्यू इंग्लैंड टैक्सटाइल कंपनी बर्कशायर हैथवे में निवेश करने का मौका मिला। इन्होंने इस कंपनी के कुछ शेयर खरीद लिए
  • इसके बाद कंपनी के प्रबंधन से इनके कुछ विवाद हो गए। और इन्होंने अब इस कंपनी को ही खरीदने का विचार बना लिया
  • इन्होंने अपनी बचत को बढ़ाया और फिर 1965 में इन्होंने पूरी बर्कशायर हैथवे कंपनी खरीद ही ली

आज, वारेन बफेट बर्कशायर हैथवे कंपनी के मुख्य प्रबंधन अधिकारी (सीईओ) हैं. इस एक ग्रुप के अंतर्गत 60 से ज्यादा कंपनियां आती हैं, जिसमें से बीमा करने वाली गीको, बैटरी बनाने वाली ड्यूरासेल और रेस्तरां चेन डेयरी क्वीन जैसी बड़ी कंपनियां शामिल हैं

इसके बाद इन्होंने और बड़ी कंपनियों में निवेश करना शुरू किया उन्हीं में से एक अमेरिकन एक्सप्रेस भी थी, जिसके शेयर अगले ही साल दो गुने हो गए इससे इन्हें बहुत फायदा हुआ

क्या हैं इनके निवेश मंत्र
  • वारेन बफेट कहते हैं कि निवेश करने से पहले आपके पास उसकी पूरी योजना और लक्ष्य होना चाहिए निवेश करने के बाद जरूरी है कि आप नतीजों का धैर्य के साथ इंतजार करें
  • वारेन के अनुसार, कभी भी निवेश करो, तो रकम को बांट कर अलग-अलग जगह अपनी जरूरतों के हिसाब से निवेश करो
  • साथ ही कुछ पैसा ऐसी जगह लगाया जाए, जहाँ ठीक-ठाक बढ़त हो, लेकिन नुक्सान कम रहे और बाकी पैसा उच्च जोखिम लेकर उच्च रिटर्न वाले स्टॉक में लगाना चाहिए
  • स्टॉक में पैसा लगाने का मतलब है कि आपके पास ज्यादा पैसा होना चाहिए उसके लिए बफेट सुझाते हैं कि कभी भी एक नौकरी पर निर्भर न रहें. इसके अलावा भी आय के कई साधन बनाएं
  • वारेन के मुताबिक, स्टॉक के मूल्य को देखें, कीमत को नहीं। अगर कोई महंगी कीमत वाला स्टॉक भी आपको ज्यादा ऊंचा रिटर्न देता है, तो वो आपके लिए मूल्य है लेकिन निवेश करने से पहले दो बार अवश्य सोच लें   

दान करेंगे संपत्ति का 99 प्रतिशत हिस्सा
बफेट अपनी संपत्ति का 99 प्रतिशत हिस्सा दान करने का वादा कर चुके हैं अपनी संपत्ति में से लगभग 32 अरब यूएस डॉलर ये पहले ही गेट्स फाउंडेशन को दान में दे चुके हैं

 यहाँ अमीर बनना कौन नहीं चाहता साहेब? सभी लोग अपने आपको रईस देखना चाहते हैं! जिनके पास आज पैसा नहीं है, वो लोग पैसा कमाना चाहते हैं और जिनके पास पैसा है, वो और पैसा कमाना चाहते हैं। इसी प्रकार से बढ़ती मानवीय इच्छाओं की पूर्ति के लिए हम दूसरों को फॉलो करने लगते हैं। ऐसे में अगर आपकी इच्छा भी करोड़पति बनने की है, तो शायद आप अंबानी या टाटा को फॉलो करते होंगे।

➤ बिल गेट्स इनके बहुत अच्छे दोस्त हैं बफेट ने गेट्स के साथ 2010 में द गिविंग प्लेज कार्यक्रम की शुरूआत की थी जिसका मकसद अरबपति से आधी संपत्ति धर्मार्थ कार्यों के लिए दान देने के लिए प्रेरित करना है

➤ वारेन बफेट आज भी ओमाहा के उसी घर में रहते हैं, जो उन्होंने आज से लगभग 60 साल पहले 1958 में 31,500 यूएस डॉलर में खरीदा था

➤ इनके पास खुद का कोई प्लेन नहीं है, आम लोगों की तरह सफर करते हैं कोई शौक इन्हें नहीं है, आज भी पाई-पाई जोड़कर इन्हें उन पैसों को निवेश करना ज्यादा पसंद है

➤ बफेट अपनी 11 साल की उम्र से निवेश कर रहे हैं. और शायद इसी कारण आज वो विश्व के सबसे अमीर लोगों में से एक हैं


12 जून, 2018 तक लगभग 83.6 अरब अमेरिकी डॉलर की नैटवर्थ के साथ वारेन बफेट दुनिया के तीसरे सबसे अमीर आदमी थे