Tuesday 5 June 2018

धैर्य और सफलता (Patience & Success)

धैर्य शक्ति है। धैर्य क्रियाशीलता का अभाव नहीं है; बल्कि ये उचित कार्य के सही समय पर सही ढंग से किये जाने की प्रतीक्षा मात्र है!

बहुत पुरानी बात है, किसी गांव में एक कुम्हार रहता था। वह बहुत अच्छे और सुन्दर मिट्टी के बर्तन बनाता था।शीत ऋतु चल रही थी। एक बार बर्तन बनाते समय उसने चार घड़े बनाये। वह घड़े बहुत सुन्दर और बड़े थे।इतना सुन्दर और बड़ा होने के बाद भी कुम्हार के सभी तरह के बर्तन तो बिक रहे थे लेकिन उन चार घड़ों का कोई खरीददार ही नहीं मिल रहा था। इस बात लेकर चारों घड़े बहुत दुखी रहते थे। काफी दिनों तक न बिकने की वजह से वह चारों खुद को बेकार और बिना किसी काम का समझने लगे थे।     एक दिन वह चारों घड़े अकेले रह गए थे। अकेलेपन को मिटाने के लिए चारों घड़े आपस में बात करने लगे।पहला घड़ा बोला, “मैं तो एक बहुत बड़ी और सुन्दर मूर्ति बनना चाहता था ताकि किसी अमीर के घर की शोभा बढ़ाता। लोग मुझे देखते और मैं गर्व महसूस करता। लेकिन देखो! मैं तो एक घड़ा ही बन कर रह गया जिसे आजकल कोई नहीं पूछता है।” तभी दूसरे घड़े ने अपनी परेशानी बतायी और बोला, “किस्मत तो मेरी भी खराब है। मैं तो एक दीया बनना चाहता था ताकि लोगों के घरों में रोज जलता और चारों ओर प्रत्येक दिन रोशनी ही रोशनी बिखेरता। लेकिन देखों! क्या किस्मत है, केवल एक घड़ा बनकर रह गया।” तभी तीसरे घड़े को न रुका गया और उसने भी अपनी परेशानी बतानी शुरू की। वह बोला, “किस्मत तो मेरी भी खाराब है मित्रों, मुझे पैसों से बहुत प्यार है। इसी कारण मैं एक गुल्लक बनना चाहता था। अगर मैं गुल्लक होता तो लोग मुझे खुशी से ले जाते और मुझे हमेशा पैसों से भरा रखते। लेकिन वाह री मेरी किस्मत, मैं तो केवल एक घड़ा ही बनकर रह गया।” अपनी अपनी बात कहने के बाद तीनों घड़े उस चौथे घड़े की तरफ देखने लगे। चौथा घड़ा तीनों को देखकर मुस्कुरा रहा था। तीनों घड़ों को चौथे घड़े का यह व्यवहार अच्छा न लगा और बोले, “क्या बात है भाई! क्या आपको घड़ा बनने का कोई दुःख नहीं है। क्या आप खुश हैं जबकि तीन महीने हो गए, आपका कोई खरीददार नहीं मिला है।” इस बात पर तीसरा घड़ा फिर मुस्कुराया और बोला, “आप तीनों क्या समझते हो, क्या मैं दुखी नहीं हूँ? दोस्तों! मैं तो एक खिलौना बनना चाहता था ताकि जब बच्चे मुझसे खेलते तो बहुत खुश होते और उनकी प्यारी सी हंसी और खुशी को देखकर मैं भी खुश होता। लेकिन कोई बात नहीं। हम एक उद्देश्य में असफल हो गए तो क्या। दुनिया में अवसरों की कोई कमी नहीं है। एक गया तो आगे और भी अवसर मिलेंगे। बस धैर्य रखो और इंतजार करो।” बस फिर क्या था, बाकि तीनों घड़ों के मन में भी खुशी छा गयी।    बस एक महीना और बीता ही था तो ग्रीष्म ऋतु की शुरुआत हो चुकी थी। अब लोगों को ठन्डे पानी की जरुरत महसूस होने लगी थी। लोगों ने घड़े खरीदने शुरू कर दिए। चारों घड़े बड़े और सुन्दर तो थे ही। लोगों ने जैसे ही उन्हें देखा, तुरंत ऊँचे दामों में उन्हें खरीद लिया। आज वह घड़े सैकड़ों लोगों की प्यास बुझाते हैं और बदले में खुशी और दुआएं पाते हैं।    दोस्तों! इस  कहानी से हमें जीवन के लिए बहुत कुछ अच्छा सीखने को मिलता है। दुनिया में बहुत से ऐसे लोग हैं जो वह नहीं बन पाते जो वह बनना चाहते थे। ऐसा  होने पर लोग खुद को असफल (Failure) महसूस करते हैं और हमेशा अपनी किस्मत (Luck) को दोष देते रहते हैं। कुछ लोग एक उद्देश्य (Goal) रखते हैं और उसे पाने के लिए पूर्ण प्रयास (Full effort) भी करते हैं जोकि सही भी है लेकिन जब असफलता हाथ लगती है तो अपनी किस्मत को कोसते हैं और पूरा दोष दूसरों को देते हैं। लेकिन यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि क्या हुआ हम अपने पहले उद्देश्य में असफल हो गए।    सबकुछ हासिल नहीं होता जिंदगी में, यहाँ किसी का 'काश' तो किसी का 'अगर' रह ही जाता है।    क्या हुआ जब हमने एक अवसर (opportunity) गवाँ दिया। यदि ऐसा हो तो कभी खुद को असफल नहीं मानना चाहिए। एक अवसर (Chance) चला गया तो क्या हुआ, दूसरा अवसर आपकी राह देख रहा है। दुनिया में अवसरों की कमी थोड़े ही है। यदि चारों ओर देखा जाये तो अवसर ही अवसर दिखाई देंगे। कोई एक अवसर आपको सफलता (Success) जरूर दिला देगा।    यदि विफलता मिल रही है तो घबराने की जरुरत नहीं है, खुद पर विश्वास (Self Confidence) रखें। हमेशा धैर्य (Patience) बनाये रखो। धैर्य रखकर लगातार प्रयास करने वाले लोग अंत में सफल जरूर होते हैं।    एक बार विफल हुए तो क्या हुआ, मन से लगातार प्रयास करते रहें और हमेशा Positive Thinking रखें, एक दिन सफलता मिलकर ही रहेगी।    यदि आपके पास है कोई दिलचस्प कहानी या फिर कोई ऐसी कहानी जिसे दूसरों तक पहुँचना चाहिए, तो आप हमें लिख भेजें:- ekawaz18@gmail.com

बहुत पुरानी बात है, किसी गांव में एक कुम्हार रहता था। वह बहुत अच्छे और सुन्दर मिट्टी के बर्तन बनाता था। शीत ऋतु चल रही थी। एक बार बर्तन बनाते समय उसने चार घड़े बनाये। वह घड़े बहुत सुन्दर और बड़े थे। इतना सुन्दर और बड़ा होने के बाद भी कुम्हार के सभी तरह के बर्तन तो बिक रहे थे लेकिन उन चार घड़ों का कोई खरीददार ही नहीं मिल रहा था। इस बात लेकर चारों घड़े बहुत दुखी रहते थे। काफी दिनों तक न बिकने की वजह से वह चारों खुद को बेकार और बिना किसी काम का समझने लगे थे। 

एक दिन वह चारों घड़े अकेले रह गए थे। अकेलेपन को मिटाने के लिए चारों घड़े आपस में बात करने लगे। पहला घड़ा बोला, “मैं तो एक बहुत बड़ी और सुन्दर मूर्ति बनना चाहता था ताकि किसी अमीर के घर की शोभा बढ़ाता। लोग मुझे देखते और मैं गर्व महसूस करता। लेकिन देखो! मैं तो एक घड़ा ही बन कर रह गया जिसे आजकल कोई नहीं पूछता है।” तभी दूसरे घड़े ने अपनी परेशानी बतायी और बोला, “किस्मत तो मेरी भी खराब है। मैं तो एक दीया बनना चाहता था ताकि लोगों के घरों में रोज जलता और चारों ओर प्रत्येक दिन रोशनी ही रोशनी बिखेरता। लेकिन देखों! क्या किस्मत है, केवल एक घड़ा बनकर रह गया।” तभी तीसरे घड़े को न रुका गया और उसने भी अपनी परेशानी बतानी शुरू की। वह बोला, “किस्मत तो मेरी भी खाराब है मित्रों, मुझे पैसों से बहुत प्यार है। इसी कारण मैं एक गुल्लक बनना चाहता था। अगर मैं गुल्लक होता तो लोग मुझे खुशी से ले जाते और मुझे हमेशा पैसों से भरा रखते। लेकिन वाह री मेरी किस्मत, मैं तो केवल एक घड़ा ही बनकर रह गया।” अपनी अपनी बात कहने के बाद तीनों घड़े उस चौथे घड़े की तरफ देखने लगे। चौथा घड़ा तीनों को देखकर मुस्कुरा रहा था। तीनों घड़ों को चौथे घड़े का यह व्यवहार अच्छा न लगा और बोले, “क्या बात है भाई! क्या आपको घड़ा बनने का कोई दुःख नहीं है। क्या आप खुश हैं जबकि तीन महीने हो गए, आपका कोई खरीददार नहीं मिला है।” इस बात पर तीसरा घड़ा फिर मुस्कुराया और बोला, “आप तीनों क्या समझते हो, क्या मैं दुखी नहीं हूँ? दोस्तों! मैं तो एक खिलौना बनना चाहता था ताकि जब बच्चे मुझसे खेलते तो बहुत खुश होते और उनकी प्यारी सी हंसी और खुशी को देखकर मैं भी खुश होता। लेकिन कोई बात नहीं। हम एक उद्देश्य में असफल हो गए तो क्या। दुनिया में अवसरों की कोई कमी नहीं है। एक गया तो आगे और भी अवसर मिलेंगे। बस धैर्य रखो और इंतजार करो।” बस फिर क्या था, बाकि तीनों घड़ों के मन में भी खुशी छा गयी।

“ऐसे लोगों को खोजना आसान है जो मरने के लिए तैयार हों, बजाये उनके जो धैर्य के साथ दर्द सहने को तैयार हों।”

बस एक महीना और बीता ही था तो ग्रीष्म ऋतु की शुरुआत हो चुकी थी। अब लोगों को ठन्डे पानी की जरुरत महसूस होने लगी थी। लोगों ने घड़े खरीदने शुरू कर दिए। चारों घड़े बड़े और सुन्दर तो थे ही। लोगों ने जैसे ही उन्हें देखा, तुरंत ऊँचे दामों में उन्हें खरीद लिया। आज वह घड़े सैकड़ों लोगों की प्यास बुझाते हैं और बदले में खुशी और दुआएं पाते हैं।

दोस्तों! इस  कहानी से हमें जीवन के लिए बहुत कुछ अच्छा सीखने को मिलता है। दुनिया में बहुत से ऐसे लोग हैं जो वह नहीं बन पाते जो वह बनना चाहते थे। ऐसा  होने पर लोग खुद को असफल (Failure) महसूस करते हैं और हमेशा अपनी किस्मत (Luck) को दोष देते रहते हैं। कुछ लोग एक उद्देश्य (Goal) रखते हैं और उसे पाने के लिए पूर्ण प्रयास (Full effort) भी करते हैं जोकि सही भी है लेकिन जब असफलता हाथ लगती है तो अपनी किस्मत को कोसते हैं और पूरा दोष दूसरों को देते हैं। लेकिन यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि क्या हुआ हम अपने पहले उद्देश्य में असफल हो गए।

सबकुछ हासिल नहीं होता जिंदगी में, यहाँ किसी का 'काश' तो किसी का 'अगर' रह ही जाता है।

क्या हुआ जब हमने एक अवसर (opportunity) गवाँ दिया। यदि ऐसा हो तो कभी खुद को असफल नहीं मानना चाहिए। एक अवसर (Chance) चला गया तो क्या हुआ, दूसरा अवसर आपकी राह देख रहा है। दुनिया में अवसरों की कमी थोड़े ही है। यदि चारों ओर देखा जाये तो अवसर ही अवसर दिखाई देंगे। कोई एक अवसर आपको सफलता (Success) जरूर दिला देगा।

यदि विफलता मिल रही है तो घबराने की जरुरत नहीं है, खुद पर विश्वास (Self Confidence) रखें। हमेशा धैर्य (Patience) बनाये रखो। धैर्य रखकर लगातार प्रयास करने वाले लोग अंत में सफल जरूर होते हैं।

एक बार विफल हुए तो क्या हुआ, मन से लगातार प्रयास करते रहें और हमेशा Positive Thinking रखें, एक दिन सफलता मिलकर ही रहेगी।

यदि आपके पास है कोई दिलचस्प कहानी या फिर कोई ऐसी कहानी जिसे दूसरों तक पहुँचना चाहिए, तो आप हमें लिख भेजें:- ekawaz18@gmail.com