Wednesday, 13 June 2018

दिल्ली की गर्मी में सर्दियों वाला प्रदूषण, माजरा क्या है

अगर आप दिल्ली के आसपास के इलाके में रहते हैं, तो घर से निकलते ही, कुछ दूर चलते ही आपको अहसास हो रहा होगा कि दिल्ली की हवा इन दिनों पहले जैसी गर्मियों की तरह नहीं है। आंखों में जलन और सांस लेने में दिक्कत की शिकायत आम तौर पर गर्मियों में नहीं मिलती थी। लेकिन इस बार दिल्ली की गर्मी कुछ इसी तरह की है। 11 जून से दिल्ली और आस पास के इलाके में प्रदूषण का स्तर खतरे के निशान के पार पहुंचा हुआ है, ऐसा आमतौर पर सर्दियों में होता है। इस तरह की धूल भरी आंधी और धूल की चादर दिल्ली में पिछले साल सर्दियों के मौसम में देखने को मिली थी। लेकिन इन गर्मियों में दिल्ली का मौसम अलग हो गया है।    आखिर इसकी वजह क्या है?    केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के मुताबिक इस धूल भरी आंधी के पीछे राजस्थान से आई हवा जिम्मेदार है। पर्यावरण मंत्रालय की प्रेस रिलीज के मुताबिक, इस वक्त राजस्थान का मौसम बेहद सूखा है और तापमान बहुत ज्यादा है। वहीं से यह धूल भरी आंधी चल रही है। इन दिनों राजस्थान से चलने वाली हवा ने दिल्ली का रुख किया हुआ है।     दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स बुधवार को शाम 4 बजे 445 पर था। इसे 'सिवियर' यानी बेहद खतरनाक कैटेगरी का माना जाता है। एयर क्वालिटी इंडेक्स 50 से कम हो तो सबसे बेहतर माना जाता है।    'सिवियर' कैटेगरी का मतलब है कि ऐसी हवा पहले से बीमार लोगों के लिए बेहदर खतरनाक होती है। बीमार व्यक्ति के लिए ऐसी हवा में सांस लेने पर ज्यादा मुश्किलें बढ़ जाती हैं। वहीं स्वस्थ रहने वालों के लिए प्रदूषण का यह स्तर और ज्यादा खतरनाक होता है।    केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण संस्था के मुताबिक दिल्ली के आलावा ग्रेटर नोएडा, गुड़गांव, बुलंदशहर, जोधपुर, मोरादाबाद में भी एयर क्वालिटी इंडेक्स 'सिवियर' यानी बेहद खतरनाक स्तर पर रहा।    PM 10 की मात्रा 100 हो तो हवा साफ मानी जाती है। लेकिन बुधवार को दिल्ली में 800 से ज्यादा थी।     क्यों है ये खतरनाक?    गर्मियों का प्रदूषण और सर्दियों के प्रदूषण, दोनों में अंतर होता है। "गर्मियों में धूल की मात्रा हवा में ज़्यादा हो तो खतरा ज्यादा बढ़ जाता है। धूल, गाड़ियों से निकलने वाले दूसरे प्रदूषण वाले कण के साथ चिपक कर अधिक ख़तरनाक हो जाती है. इससे सांस लेने में दिक्कत आती है। सूखापन और गर्मी दोनों इस समस्या को और गंभीर बनाते हैं।"    मौसम विभाग के मुताबिक इस बार मानसून से पहले वाली बारिश नहीं हुई है। चारों ओर काफी सूखा पड़ा है, तापमान ज्यादा है, नमी नहीं है, बादल गायब हैं, इस वजह से ये नजारा हम दिल्ली में देख रहे हैं। सही वक्त आ गया है जब 'ग्रेडेड रेस्पॉन्स एक्शन प्लान' लागू किया जाए। अब केन्द्र सरकार और राज्य सरकार दोनों को हरकत में आने की जरूरत है।    "इस मौसम में धूल, दूसरे जहरीले कण के लिए कैरियर का काम करती है। ऐसे में जरूरत है कि धूल को कम करने वाले उपायों पर विचार किया जाए"।    "दिल्ली में राजस्थान से हवा आ रही है सिर्फ यह कह कर पल्ला नहीं झाड़ा जा सकता। ये हवा तो सदियो से आ रही है। जरूरत है  हमें  अपने द्वारा फैलाये जा रहे प्रदूषण को कम करने की। अगर दिल्ली में धूल, निर्माण कार्यों की वजह से फैल रही है तो उस पर रोक लगाने का यह सही वक्त है।"     लेकिन राज्य सरकार इस वक्त अलग ही मूड में है। दिल्ली के मुख्यमंत्री 4 दिन से दिल्ली के उप-राज्यपाल के ऑफिस में धरने पर बैठे हैं। केजरीवाल के अनुसार " पहले हर महीने 15 दिनों में प्रदूषण की समीक्षा एंव प्लानिंग की बैठक होती थी। आईएएस अफसरों की हड़ताल की वजह से पिछले तीन महीने से ये मीटिंग नहीं हो पाई है।" अरविंद केजरीवाल ने एक रीट्वीट किया है जिसके मुताबिक राज्य के पर्यावरण सचिव ने पिछले 115 दिनों से राज्य के पर्यावरण मंत्री एके सिंह से न तो मुलाकात की है और ही फोन कॉल का जवाब दिया है। साफ है कि दिल्ली एनसीआर के प्रदूषण के स्तर पर राज्य सरकार ने अपने हाथ खड़े कर लिए हैं। फिलहाल आम लोग अपनी रक्षा स्वम् करें ..... ऐसे मौसम में मास्क कारगर नहीं है।  धूल में मुंह पर गीला कपड़ा लगा लें।    वैसे तो इस प्रदूषण  से बचने के लिए घर से बाहर न निकलना ही सबसे अच्छा उपाए है। लेकिन साहेब गरीब आदमी बाहर नहीं  निकलेगा तो खायेगा क्या.....


अगर आप दिल्ली के आसपास के इलाके में रहते हैं, तो घर से निकलते ही, कुछ दूर चलते ही आपको अहसास हो रहा होगा कि दिल्ली की हवा इन दिनों पहले जैसी गर्मियों की तरह नहीं है। आंखों में जलन और सांस लेने में दिक्कत की शिकायत आम तौर पर गर्मियों में नहीं मिलती थी। लेकिन इस बार दिल्ली की गर्मी कुछ इसी तरह की है। 11 जून से दिल्ली और आस पास के इलाके में प्रदूषण का स्तर खतरे के निशान के पार पहुंचा हुआ है, ऐसा आमतौर पर सर्दियों में होता है। इस तरह की धूल भरी आंधी और धूल की चादर दिल्ली में पिछले साल सर्दियों के मौसम में देखने को मिली थी। लेकिन इन गर्मियों में दिल्ली का मौसम अलग हो गया है।

आखिर इसकी वजह क्या है?

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के मुताबिक इस धूल भरी आंधी के पीछे राजस्थान से आई हवा जिम्मेदार है। पर्यावरण मंत्रालय की प्रेस रिलीज के मुताबिक, इस वक्त राजस्थान का मौसम बेहद सूखा है और तापमान बहुत ज्यादा है। वहीं से यह धूल भरी आंधी चल रही है। इन दिनों राजस्थान से चलने वाली हवा ने दिल्ली का रुख किया हुआ है। 

दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स बुधवार को शाम 4 बजे 445 पर था। इसे 'सिवियर' यानी बेहद खतरनाक कैटेगरी का माना जाता है। एयर क्वालिटी इंडेक्स 50 से कम हो तो सबसे बेहतर माना जाता है।

'सिवियर' कैटेगरी का मतलब है कि ऐसी हवा पहले से बीमार लोगों के लिए बेहदर खतरनाक होती है। बीमार व्यक्ति के लिए ऐसी हवा में सांस लेने पर ज्यादा मुश्किलें बढ़ जाती हैं। वहीं स्वस्थ रहने वालों के लिए प्रदूषण का यह स्तर और ज्यादा खतरनाक होता है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण संस्था के मुताबिक दिल्ली के आलावा ग्रेटर नोएडा, गुड़गांव, बुलंदशहर, जोधपुर, मोरादाबाद में भी एयर क्वालिटी इंडेक्स 'सिवियर' यानी बेहद खतरनाक स्तर पर रहा।

PM 10 की मात्रा 100 हो तो हवा साफ मानी जाती है। लेकिन बुधवार को दिल्ली में 800 से ज्यादा थी। 

क्यों है ये खतरनाक?

गर्मियों का प्रदूषण और सर्दियों के प्रदूषण, दोनों में अंतर होता है। "गर्मियों में धूल की मात्रा हवा में ज़्यादा हो तो खतरा ज्यादा बढ़ जाता है। धूल, गाड़ियों से निकलने वाले दूसरे प्रदूषण वाले कण के साथ चिपक कर अधिक ख़तरनाक हो जाती है. इससे सांस लेने में दिक्कत आती है। सूखापन और गर्मी दोनों इस समस्या को और गंभीर बनाते हैं।"

मौसम विभाग के मुताबिक इस बार मानसून से पहले वाली बारिश नहीं हुई है। चारों ओर काफी सूखा पड़ा है, तापमान ज्यादा है, नमी नहीं है, बादल गायब हैं, इस वजह से ये नजारा हम दिल्ली में देख रहे हैं। सही वक्त आ गया है जब 'ग्रेडेड रेस्पॉन्स एक्शन प्लान' लागू किया जाए। अब केन्द्र सरकार और राज्य सरकार दोनों को हरकत में आने की जरूरत है।

"इस मौसम में धूल, दूसरे जहरीले कण के लिए कैरियर का काम करती है। ऐसे में जरूरत है कि धूल को कम करने वाले उपायों पर विचार किया जाए"।

"दिल्ली में राजस्थान से हवा आ रही है सिर्फ यह कह कर पल्ला नहीं झाड़ा जा सकता। ये हवा तो सदियो से आ रही है। जरूरत है  हमें  अपने द्वारा फैलाये जा रहे प्रदूषण को कम करने की। अगर दिल्ली में धूल, निर्माण कार्यों की वजह से फैल रही है तो उस पर रोक लगाने का यह सही वक्त है।" 

लेकिन राज्य सरकार इस वक्त अलग ही मूड में है। दिल्ली के मुख्यमंत्री 4 दिन से दिल्ली के उप-राज्यपाल के ऑफिस में धरने पर बैठे हैं। केजरीवाल के अनुसार " पहले हर महीने 15 दिनों में प्रदूषण की समीक्षा एंव प्लानिंग की बैठक होती थी। आईएएस अफसरों की हड़ताल की वजह से पिछले तीन महीने से ये मीटिंग नहीं हो पाई है।" अरविंद केजरीवाल ने एक रीट्वीट किया है जिसके मुताबिक राज्य के पर्यावरण सचिव ने पिछले 115 दिनों से राज्य के पर्यावरण मंत्री एके सिंह से न तो मुलाकात की है और ही फोन कॉल का जवाब दिया है। साफ है कि दिल्ली एनसीआर के प्रदूषण के स्तर पर राज्य सरकार ने अपने हाथ खड़े कर लिए हैं। फिलहाल आम लोग अपनी रक्षा स्वम् करें ..... ऐसे मौसम में मास्क कारगर नहीं है।  धूल में मुंह पर गीला कपड़ा लगा लें।

वैसे तो इस प्रदूषण  से बचने के लिए घर से बाहर न निकलना ही सबसे अच्छा उपाए है। लेकिन साहेब गरीब आदमी बाहर नहीं  निकलेगा तो खायेगा क्या.....