Monday 27 March 2017

समावेशी विकास सूचकांक, 2017

पिछले कई वर्षों से आर्थिक वृद्धि को अधिक सामाजिक एवं समावेशी बनाने के प्रति विश्वव्यापी चेतना का विकास हुआ है। यद्यपि समावेशी विकास अर्थव्यवस्थाओं के लिए प्राथमिक लक्ष्य बना हुआ है, फिर भी इसके नीति-निर्देशन एवं अभ्यास हेतु, आज भी किसी प्रणालीगत ढांचे का विकास नहीं हो पाया है।
अभी तक किसी अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन को मापने के लिए प्रति व्यक्ति जीडीपी (Per Capita GDP) का प्रयोग किया जा रहा है। ‘विश्व आर्थिक मंच’ (World Economic Forum) द्वारा इसके लिए समावेशी विकास को आधार बनाने की पहल प्रारंभ की गई है।
  • 16 जनवरी, 2017 को विश्व आर्थिक मंच (WEF) द्वारा ‘समावेशी वृद्धि एवं विकास रिपोर्ट’ (Inclusive Growth and Development Report), 2017 का प्रकाशन किया गया।
  • इस रिपोर्ट में 109 अर्थव्यवस्थाओं (देशों) का अध्ययन करके समावेशी विकास सूचकांक (Inclusive Development Index), 2017 का भी प्रकाशन किया गया है।
  • सूचकांक में 30 विकसित एवं 79 विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को शामिल किया गया है।
  • इस सूचकांक में 3 प्रमुख प्राचालों (Parametars)- (i) वृद्धि एवं विकास (Growth and Development), (ii) समावेशन (Inclusion) और (iii) अंतरपीढ़ीय निष्पक्षता एवं स्थिरता (Intergenerational Equity and Sustainability) के अंतर्गत राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन-मापन हेतु 12 संकेतकों का प्रयोग किया गया है।
  • इस 12 संकेतकों में किए गए प्रदर्शन के आधार पर अर्थव्यवस्थाओं (देशों) को 1-7 अंक प्रदान किया गया है।
  • विकसित देशों में प्रथम पांच स्थान प्राप्त करने वाले देश इस प्रकार हैं-1. नॉर्वे (6.02), 2. लक्जमबर्ग (5.86), 3. स्विट्जरलैंड (5.75), 4. आइसलैंड (5.48) एवं 5. डेनमार्क (5.31)।
  • विकासशील देशों की सूची में प्रथम पांच स्थान प्राप्त करने वाले देश एवं अंक इस प्रकार हैं-1. लिथुआनिया (4.73), 2. अजरबेजान (4.73), 3. हंगरी (4.57), 4. पोलैंड (4.57) एवं 5. रोमानिया (4.53)।
  • समावेशी विकास सूचकांक के विकासशील देशों की सूची में भारत 3.38 अंकों के साथ 60वें स्थान पर है।
  • भारत के पड़ोसी देशों में नेपाल 27वें, बांग्लादेश 36वें, श्रीलंका 39वें तथा पाकिस्तान 52वें स्थान पर है।
  • ब्रिक्स देशों में रूस 13वें, चीन 15वें, ब्राजील 30वें तथा दक्षिण अफ्रीका 70वें स्थान पर है।
  • उल्लेखनीय है कि विकासशील एवं विकसित देशों में गरीबी-निर्धारण के अलग-अलग मानक होने के कारण समावेशी विकास सूचकांक में इनके लिए अलग-अलग सूची का निर्माण किया गया है।