Saturday 18 March 2017

सार्वजनिक वितरण प्रणाली में ‘आधार’ की अनिवार्यता

क्या है? सार्वजनिक वितरण प्रणाली
सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) का अर्थ है, नियमित अंतराल पर उचित मूल्य की दुकान के माध्यम से बड़ी संख्या में लोगों के लिए आवश्यक वस्तुओं का वितरण।
उद्देश्य
सार्वजनिक वितरण प्रणाली का उद्देश्य है-सस्ते दामों की खाद्यान्न की उपलब्धता सुनिश्चित करते हुए खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देना। इस प्रणाली के अंतर्गत चावल, गेहूं, चीनी, मिट्टी का तेल आदि दिया जाता है। यह सरकार की आर्थिक नीति का प्रमुख साधन भी है।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली की आवश्यकता
  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 47 में यह उपबंध है कि राज्य का यह प्राथमिक कर्तव्य होगा कि वह लोगों के स्वास्थ्य, पोषण और जीवन स्तर को उठाने के लिए प्रयास करे। संविधान में यह भी स्पष्ट किया गया है कि लोगों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने, उनका पोषण स्तर उठाने के लिए सरकार हर आवश्यक कदम उठाएगी।
  • इसी के मद्देनजर भारत सरकार ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिए यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया है कि लोगों को उनकी स्थिति और आय के अनुरूप न्यूनतम मूल्य पर खाद्यान्न की आवश्यक मात्रा की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके।
आधार (UIDAI)
  • यह भारत सरकार द्वारा भारतीय नागरिकों को जारी किया जाने वाला पहचान-पत्र है, जिसमें 12 अंकों की एक विशिष्ट संख्या छपी होती है जो ‘भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण’ द्वारा जारी किया जाता है। यह भारत में कहीं भी व्यक्ति की पहचान और पते का प्रमाण होता है।
  • आधार अधिनियम में अन्य बातों के अलावा यह प्रावधान है कि केंद्रीय/राज्य सरकार को किसी सब्सिडी के लिए भारत की संचित निधि से कोई व्यय करते समय ऐसे व्यक्ति को आधार नंबर होने का प्रमाण प्रस्तुत करने के लिए कहना अथवा उसका अभिप्रमाणन करना अपेक्षित है।
PDS प्रणाली में आधार की आवश्यकता क्यों?
  • रसोई गैस (LPG) के बाद सरकार द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के तहत सब्सिडी वाले अनाज की आपूर्ति पर आधार अनिवार्य करके देश की सभी राशन की दुकानों को पूरी तरह से डिजिटलाइज करना, सार्वजनिक वितरण प्रणाली में पारदर्शिता लाना तथा खाद्य सुरक्षा कानून के तहत 1.4 लाख करोड़ रुपये की सब्सिडी को सही लोगों तक पहुंचाना है।
  • पहचान के एक दस्तावेज के रूप में ‘आधार’ के उपयोग से सरकार द्वारा प्रदत्त सेवाओं, लाभों अथवा राजसहायता (Subsidy) की सुपुर्दगी प्रक्रिया में सरलता, पारदर्शिता एवं कार्यकुशलता आती है। साथ ही लाभार्थियों को उनकी लाभ सुविधाजनक और आसान तरीके से सीधे प्राप्त होती है।
  • ‘आधार’ होने पर किसी व्यक्ति को अपनी पहचान सिद्ध करने के लिए एक से अधिक दस्तावेज प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं होगी है।
  • केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने आधार अधिनियम के अंतर्गत 8 फरवरी, 2017 को एक अधिसूचना जारी की है, जिसके तहत-राशन कार्ड धारक लाभार्थियों को एनएफएसए (NFSA) के अंतर्गत सब्सिडी प्राप्त करने (NFSA के अंतर्गत सब्सिडी प्राप्त खाद्यान्न या खाद्य सब्सिडी के नकद अंतरण) के लिए आधार होने का प्रमाण प्रस्तुत करना या अधिप्रमाणन कराना अपेक्षित है।
  • यह शर्त सभी नए लाभार्थियों पर भी लागू होगी।
  • यह अधिसूचना असम, मेघालय और जम्मू-कश्मीर राज्य को छोड़कर सभी राज्यों और संघ शासित क्षेत्रों में 8 फरवरी, 2017 से प्रभावी होगी।
  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत ऐसे लाभार्थी जिनके पास आधार नंबर नहीं है या जिन्होंने
  • आधार के लिए नामांकन नहीं कराया है, परंतु NFSA के अंतर्गत सब्सिडी का लाभ प्राप्त करने के इच्छुक हैं, उन्हें 30 जून, 2017 तक आधार नामांकन के लिए आवेदन करना अपेक्षित है।
  • NFSA के तहत सब्सिडी प्राप्त करने वाले लोगों को आधार नंबर जारी किए जाने तक ऐसे व्यक्तियों को उनकी पात्रता का खाद्यान्न राशन कार्ड और आधार आईडी पर्चों की प्रति प्रस्तुत करने पर जारी किया जाएगा।
  • इसके अलावा 8 अन्य दस्तावेजों को राशन कार्ड के साथ प्रस्तुत करने पर भी खाद्यान्न जारी किया जाएगा। ये दस्तावेज निम्न हैं-मतदाता पहचान-पत्र, पैन कार्ड, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, सरकारी लेटर हेड पर राजपत्रित अधिकारी/तहसीलदार द्वारा जारी फोटो युक्त पहचान-पत्र, डाक विभाग द्वारा जारी नाम और फोटोयुक्त पता कार्ड, किसान फोटो पासबुक तथा राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासनों द्वारा निर्दिष्ट कोई अन्य दस्तावेज सहित आधार नामांकन के लिए राज्य सरकार को उनके द्वारा किए गए अनुरोध की प्रति।
  • इस योजना के तहत आधार की आवश्यकता के बारे में लाभार्थियों को जागरूक करने हेतु राज्य सरकारें/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासनों के खाद्य विभाग द्वारा जिला आपूर्ति कार्यालय, उचित दर दुकानों, मीडिया तथा व्यक्तिगत सूचनाओं के माध्यम से व्यापक प्रचार-प्रसार करेंगे, परामर्श देंगे, नामांकन केंद्रों की सूची उपलब्ध कराएंगे।
  • राज्य सरकारें लाभार्थियों के लिए नामांकन सुविधा प्रदान करेंगी। नामांकन केंद्र उपलब्ध न होने की स्थिति में राज्य/संघ राज्य सरकारें यूआईडीएआई (UIDAI) अथवा UIDAI के मौजूदा रजिस्ट्रारों के साथ समन्वय करते हुए या स्वयं UIDAI रजिस्ट्रार बनकर सुविधाजनक स्थानों पर नामांकन सुविधा प्रदान करेंगी।
  • राज्य/संघ सरकारें लाभार्थी का आधार नंबर प्राप्त होने पर 30 दिन के अंदर इसे राशन कार्ड या खाद्य
  • सब्सिडी के नकद अंतरण के लिए बैंक खाते से जोड़ेगी।
  • इसमें यह प्रावधान भी सम्मिलित है कि यदि राशन कार्ड में उल्लिखित परिवार के सदस्यों को आधार नंबर नहीं दिया गया है और यदि उस परिवार का कोई एक सदस्य पहचान की शर्त पूरी करता है, तो उसे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत सब्सिडी प्राप्त खाद्यान्नों की संपूर्ण मात्रा अथवा खाद्य सब्सिडी का नकद अंतरण प्राप्त करने की पात्रता होगी।
  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून जो नवंबर, 2016 से पूरे देश में लागू है, के तहत 80 करोड़ से अधिक लोगों को प्रति व्यक्ति रु. 1-3/ किग्रा. की दर पर पांच किग्रा. अनाज उपलब्ध कराया जाता है।
  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013; 5 जुलाई, 2013 से प्रभावी है।
  • देश में कुल राशन कार्डों की संख्या 23 करोड़ है जिसमें से 16.62 करोड़ (72%) राशन कार्ड आधार के साथ जोड़े जा चुके हैं।
  • पूरे भारत में 5.27 लाख सरकारी राशन की दुकानें हैं।
  • सरकार द्वारा चंडीगढ़, पुडुचेरी तथा दादर और नगर हवेली में लाभार्थियों को खाद्य सहायता के लिए प्रत्यक्ष नकद अंतरण की सुविधा प्रदान की जा रही है।
  • सरकार द्वारा चालू वित्त वर्ष के लिए संशोधित अनुमान 135172.96 करोड़ रुपये के मुकाबले अगले वर्ष के लिए बजट 2017-18 में 145338.60 करोड़ रुपये खाद्य सब्सिडी के लिए निर्धारित किया गया है।