- ब्रिटीश क्राउन का कम्पनी पर नियन्त्रण लाया गया।
- केन्द्रीय शासन की नींव डाली गई।
- बंगाल के गर्वनर वारेन-हेस्टिंग्स को गर्वनर जनरल बना दिया गया। मद्रास व बम्बई के गर्वनर इसके अधीन रखे गए।
- गर्वनर जनरल 4 सदस्यीय कार्यकारिणी बनाई गई। जिसके सारे निर्णय बहुमत से लिए जाते थे।
- कलकत्ता में एक सर्वोच्च न्यायलय की स्थापा की गई। जिसमें मुख्य न्यायाधीश हाइट चैम्बर और लिमेस्टर को रखा गया। इसके विरूद्ध अपील लंदन की प्रिंवी काउंसिल में की जा सकती थी।
- शासन चलाने हेतु बोर्ड आॅफ कन्ट्रोल और बोर्ड आॅफ डायरेक्टर बनाए गए।
- व्यापार की सभी सूचनाएं क्राउन को देना सुनिश्चित किया।
- गर्वनर जनरल की र्काकारिणी में से 1 सदस्य कम कर दिया गया।
- कम्पनी के व्यापारिक व राजनैतिक कार्य अलग-2 किये गए।
- व्यापारिक कार्य बोर्ड आॅफ डायरेक्टर्स के तथा राजनैतिक कार्य बोर्ड आॅफ कन्ट्रोल के अधीन रखे गए।
- बोर्ड आॅफ डायरेक्टर्स में सदस्यों की संख्या बढाई गई।
- पी. डब्यु. डी. तथा सार्वजनिक निर्माण विभाग बनाया गया।
- सिविल सेवकों की खुली भर्ती परिक्षा आयोजित करने का प्रावधान।
- 1857 की क्रांति के बाद ईस्ट इण्डिया कम्पनी का शासन समाप्त कर भारत का शासन सीधे ब्रिटीश ताज के अधीन किया गया।
- गर्वनर जनरल आॅफ इण्डिया को वायसराय की पद्वी दी गई।
- लार्ड कैनिन पहले वायसराय बने।
- एक भारत-सचित का पद सृजित किया गया। जिसकी कार्यकारिणी में 15 सदस्य रखे गए। 7 मनोनित और 8 निर्वाचित।
- बोर्ड आॅफ डाॅयरेक्टर्स एवं बोर्ड आॅफ कन्ट्रोल को समाप्त कर दिया गया।
- भारत सचिव चाल्र्स वुड को बनाया गया।
- इन्होंने शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए वुड डिस्पेच दिाया जिसमें प्राथमिक प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में देना निर्धारित था। इसलिए वुड डिस्पेच को "शिक्षा का मैग्नाकार्टा" कहा जाता है।
- बम्बई, कलकत्ता और मद्रास में विश्व विद्यालयों की स्थापना की गई।
जोन मार्ले भारत सचिव और लार्ड मिन्टो वायसराय थे।
- इन्होंने सुधार कानून दिया जिनके प्रावधान निम्न है। मुसलमानों को साम्प्रदायिक निर्वाचन क्षेत्र दिए गए। और एस. पी. सिन्हा को वायसराय या गर्वनर-जनरल की कार्यकारिणी में शामिल किया गया।
- 1919 का भारत शासन अधिनियम
- इसकी समीक्षा के लिए 10 साल बाद एक राॅयल कमीशन के गठन का प्रावधान किया गया।
- 1935 का भारत शासन अधिनियम
- 1928 की नेहरू रिपोर्ट
- 1929 लाहौर अधिवेशन (पुर्ण स्वराज्य की मांग)
- 1930,31,32 -तीन गोलमेज सम्मेलन
- इन सभी को ध्यान में रखते हुए 1935 का भारत शासन अधिनियम लाया गया।
- इसकी प्रमुख विशेषतांए निम्न है।
- इसमें प्रस्तावना का अभाव था।
- प्रान्तों में द्वैद्य शासन हटाकर केन्द्र में लगाया गया।
- केन्द्र एंव राज्यों के मध्य शक्तियों का विभाजन तीन सुचियों में किया गया।
(A) केन्द्र सूची(97)
- फेडरल सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना की गई। जो अपील का सर्वोच्च न्यायालय नहीं था। इसके विरूद्ध अपील लंदन की प्रिवी कांउसिल में सम्भव थी।
- रिजर्व बैंक आॅफ इण्डिया की स्थापना का प्रावधान किया गया।उत्तरदायी शासन का विकास किया गया। अखिल भारतीय संद्य की स्थापना का प्रावधान था। जिसमें देशी रियासतों का मिलना ऐच्छिक रखा गया। केन्द्रीय एंव राज्य विद्यायिकाओं का विस्तार किया गया।
- पं. जवाहर लाल नेहरू ने इस अधिनियम को एक ऐसी मोटर कार की सज्ञा दी "जिसमें ब्रेक अनेक है लेकिन इंजन नहीं।"
- इसका लगभग 2/3 भाग आगे चलकर संविधान में रखा गया।यह अधिनियम अन्य की तुलना में महत्वपूर्ण रहा।
- गणतंत्र
- गणतंत्र से तात्पर्य भारत का राष्ट्राध्यक्ष जनता द्वारा निश्चित समय के लिए अप्रत्यक्ष रूप से चुना जाता है, इसका पद वंशानुगत नहीं है।
- संघीय शासन व्यवस्था के प्रावधान
- अतिविशिष्ट शक्तियां केन्द्र के अधीन रखी गई है।
- युनियन आॅफ स्टेट्स शब्द की अवधारणा।
- राष्ट्रपति का सर्वोच्च न्यायालय से परामर्श प्राप्त करना।
- नीति निर्देशक तत्व
- राष्ट्रपति के निर्वाचक मण्डल की व्यवस्था
- राष्ट्रपति द्वारा राज्यसभा में 12 सदस्यों को मनोनित करना।