बजट एक निश्चित वर्ष के लिए सरकार की अनुमानित आय – व्यय का विवरण है। बजट उपलब्ध संसाधनों के आकलन करने की प्रक्रिया है, तथा पूर्व निर्धारित प्राथमिकताओं के आधार पर संगठन के विभिन्न गतिविधियों के लिए आवंटित करने की प्रक्रिया भी है। यह सार्वजनिक जरूरतों तथा दुर्लभ संसाधनों को संतुलित करने का प्रयास भी है। परंतु बजट केवल आर्थिक गतिविधियां नहीं है, यह धन से इतर है, बजट दर्शन, नीति तथा चयन का प्रतिनिधित्व करता है। यह संसाधनों के आवंटन में प्रतिस्पर्धा की प्राथमिकताओं, निष्पक्षता तथा सामाजिक न्याय के मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित करता है। यह उस दिशा का भी संकेत करता है जिसमे उस देश का नेतृत्व करता है तथा उस मार्ग को भी बताता है जिससे उद्देश्यों की प्राप्ति की जाती है। अपनी वित्तीय भूमिकाओं को छोड़कर बजट द्वारा निम्नलिखित कार्य किए जाते हैं —
- बजट नियंत्रण के रूप में कार्य करता है। यह विभिन्न विभागों में कार्यों के मूल्यांकन का माध्यम है, यदि कोई विभाग लक्ष्य से दूर है तो इसे बजटीय प्रस्तावों में सूचित किया जा सकता है, और सुधारात्मक कार्यवाही की जा सकती है।
- बजट प्रक्रिया में विभिन्न विभाग सम्मिलित होते है , विभिन्न विभागों के मध्य विवादों का समाधान किया जाता है।बजटीय योजना तथा कार्यान्वयन विभिन्न विभागों को एक साथ लाने में मदद करते है तथा उनमे समन्वय स्थापित करते है।
- कम प्रदर्शन करने वाले विभागों को दंडात्मक कार्यवाही के रूप में बजट में कटौती की जाती है। इसीलिए यह विभिन्न विभागों के काम काज में दक्षता बनाए रखने में सहायक है।
- बजट प्रशासकीय जरूरतों के अनुसार संस्थात्मक परिवर्तन लाने में सहायक हो सकते है, जैसे यदि सरकार अपने कर्मचारियों के उत्पादकता में सुधार चाहती है तो प्रोत्साहन के रूप में बोनस दे सकती है।
- बजट संसाधनों के वितरण के लिए एक मंच भी प्रदान करता है, यह आमिर तथा गरीब श्रमिकों तथा गैर श्रमिकों तथा विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों के मध्य संसाधनों का पुनर्वितरण करता है।
- यह धन का सार्वजनिक उत्तरदायित्व तय करता है।
वाणिज्यिक बजट तथा सरकारी बजट में कई अंतर है, दोनों में अंतर इस प्रकार हैं –
संघीय बजट
संघीय बजट को वार्षिक वित्तीय विवरण के रूप में जाना जाता है, इसके दो उद्देश्य हैं —
(a) संघ सरकार की गतिविधियों का वित्त पोषण।
(b) यह रोजगार, निरंतर आर्थिक विकास, मूल्य स्थिरता जैसे वयापक आर्थिक उद्देश्यों को हासिल करने के लिए राजकोषीय नीति का एक हिस्सा है।
संस्थान एवं कानून
- सरकार करारोप, उधार तथा खर्च के लिए स्वतंत्र नहीं हैं, चूँकि सरकार जिन संसाधनों को संगृहीत करता हैं, उनकी एक सीमा होती हैं। जिससे एक उचित बजट व्यवस्था की आवश्यकता होती हैं। व्यय के प्रत्येक मद के सन्दर्भ में अच्छी तरह से विचार किया जाना चाहिए तथा निश्चित अवधी के लिए बजट तैयार किया जाना चाहिए।इन वित्तीय प्रस्तावों के पीछे जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों की मंजूरी आवश्यक हैं।
- इस सन्दर्भ में भारत सरकार का बजट प्रत्येक वर्ष दोनों सदनों में प्रस्तुत किया जाता हैं, बजट में एक वित्तीय वर्ष के लिए अनुमानित आय और व्यय विवरण शामिल होते हैं। भारत में वित्तीय वर्ष का प्रारम्भ 1 अप्रैल से होता हैं। यह सरकार की वित्तीय तथा आर्थिक नीतियों व कार्यक्रमों के समीक्षा का अवसर प्रदान करता हैं, यह सरकार के दृष्टिकोण को इंगित करता हैं तथा भविष्य के नीतियों की और संकेत करता हैं।
- भारत में आवश्यक वित्तीय प्रक्रियों का विवरण भारतीय संविधान में उल्लेखित हैं, जो वित्तीय मामलों में लोकसभा की सरवोच्चता को सुनिश्चित करता हैं। संविधान के अनुसार संसद के प्राधिकार के अतिरिक्त कोई भी कर न तो विनियोजित किया जा सकता हैं, न ही संगृहीत किया जा सकता हैं, राष्ट्रपति प्रत्येक वर्ष संसद के समक्ष वार्षिक वित्तीय विवरण रखवाएगा।
- संविधान के अनुच्छेद 112 के अनुसार (संघ सरकार की स्थिति में ) तथा संविधान के अनुच्छेद 202 के अनुसार (राज्य सरकार की स्थिति में ) यह कहा गया हैं कि सरकार विधायिका के समक्ष प्रत्येक वर्ष वार्षिक वित्तीय विवरण रखेगी।
केंद्र सरकार के पास दो बजट थे – आम बजट और रेल बजट। वर्ष 1921 में एकवर्थ समीति के सिफारिशों के आधार पर आम बजट को रेल बजट से अलग कर दिया गया था। पुनः 2017 में दोनों को सम्मिलित कर दिया गया।
आम बजट में सभी मंत्रालयों के कुल प्राप्तियों तथा व्यय का अनुमान होता हैं, इसमें निम्नलिखित तीन आंकड़े सम्मिलित होते हैं —
(1)विगत वर्ष कि कुल वास्तविक आय तथा व्यय
(2) चालू वर्ष के संसोधित आंकड़े
(3)आगामी वर्ष के लिए बजट अनुमान
सरकार कि प्राप्तियों को संविधान के तीन खातों में रखा जाता है —
(1) संचित निधि
(2) लोक लेखा निधि
(3)आकस्मिकता निधि
अनुमानित आय और व्यय इन निधियों से अलग रखे जाते हैं —
(2) चालू वर्ष के संसोधित आंकड़े
(3)आगामी वर्ष के लिए बजट अनुमान
सरकार कि प्राप्तियों को संविधान के तीन खातों में रखा जाता है —
(1) संचित निधि
(2) लोक लेखा निधि
(3)आकस्मिकता निधि
अनुमानित आय और व्यय इन निधियों से अलग रखे जाते हैं —
निम्नलिखित प्रकार के व्यय संचित निधि में सम्मिलित हैं —
- राज्य सभा के अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष एवं लोक सभा के अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष के वेतन व भत्ते।
- सर्वोच्च न्यायलय के न्यायाधीशों के वेतन व भत्ते।
- उच्च न्यायालय के न्यायधीशों के पेंशन।
- भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक के वेतन भत्ते एवं पेंशन।
- संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्यों के वेतन भत्ते एवं पेंशन।
- ऐसे ऋण जिनके लिए भारत सरकार उत्तरदायी हैं जैसे -ऋण, भुगतान व वसूली से सम्बंधित अन्य खर्च (सिंकिंग फण्ड )
- अदालत या न्यायधिकरण के फैसले से प्राप्त पुरस्कार या धन।
- अन्य कोई ऐसा खर्च जिसे संसद कानून द्वारा घोषित करे।
लोक लेखा निधि
भारत सरकार की ओर से अन्य सार्वजनिक धन (संचित निधि से सम्बंधित धन को छोड़कर ) लोक लेधा निधि में जमा किए जाएंगे जो इस प्रकार हैं —
- सरकार द्वारा भविष्य निधि, लघु बचत, सड़क विकास, प्राथमिक शिक्षा जैसे अन्य विशेष खर्च सम्मिलित होंगे।
- यह निधि कार्यपालिका द्वारा संचालित की जाती हैं, इसमें किसी भी प्रकार के भुगतान के लिए संसद की अनुमति आवश्यक नहीं हैं।
- लोक निधि सरकार से सम्बंधित नहीं होती तथा अंततः उसी प्राधिकारी या व्यक्ति को भुगतान किया जाता हैं जिसने जमा किया हैं।
- ऐसे धन के लिए संसद की स्वीकृति आवश्यक नहीं हैं होती हैं, सिवाय इसके जिसमे विशेष उद्देश्यों के लिए संसद ने धन की अनुमति प्रदान की हैं। ऐसी स्थिति में विशेष उद्देश्य के लिए वास्तविक खर्चों को संसद की अनुमति के आधार पर ही निकल जा सकता है।
आकस्मिकता निधि
- संविधान के अनुच्छेद 267 के अनुसार संसद आकस्मिकता निधि के गठन के लिए अधिकृत हैं, जिसमे विधि द्वारा समय समय पर धन जमा किया जाएगा। संसद ने आकस्मिकता निधि अधिनियम 1950 के अनुसार आकस्मिकता निधि का गठन किया है। यह निधि राष्ट्रपति के अधीन हैं। इससे किसी आकस्मिक खर्चे के लिए धन का विनियोजन संसद द्वारा समय समय पर किया जाता है। यह राष्ट्रपति के नाम पर वित्त सचिव द्वारा संचालित किया जाता है।
- भारत में लोकनिधि की तरह यह कार्यपालिका द्वारा संचालित किया जाता है।
- ऐसे आकस्मिक खर्च के लिए संसद भविष्य के समस्याओं के आधार पर निधि तय करती है और इतनी ही राशि संचित निधि से आकस्मित निधि में जमा की जाती है। इस निधि के लिए संसद द्वारा अधिकृत न्यूनतम राशि 50 करोड़ है।
- संविधान के अनुसार वार्षिक वित्तीय विवरण राजस्व खातों पर खर्च तथा अन्य खर्चों में अंतर करता है।सरकारी बजट, राजस्व बजट तथा पूंजी बजट से मिलकर बनता हैं। वार्षिक वित्तीय विवरण में सम्मिलित आय व्यय के अनुमान कुल खर्चों, पुनर्प्राप्ति एवं पुनर्भरण को निधि में प्रदर्शित करेगा।
सरकारी बजट के घटक
भारत में प्रत्येक वित्तीय वर्ष, सरकार की अनुमानित प्राप्तियों और व्ययों का विवरण संसद के समक्ष प्रस्तुत करना एक संवैधानिक अनिवार्यता है। इस वार्षिक वित्तीय विवरण से मुख्य बजट दस्तावेज बनता है। इसके अतिरिक्त बजट में राजस्व लेखा पर व्यय और अन्य प्रकार के व्यय में अवश्य ही अंतर होना चाहिए। अतः बजट दो प्रकार के होते है : (i) राजस्व बजट (ii) पूंजीगत बजट, जैसा की निचे दिए गए चित्र में दिया गया है।
राजस्व बजट में सरकार की चालू प्राप्तियां और उन प्राप्तियों से किए जाने वाले व्यय के विवरण को दर्शाया जाता है।
राजस्व प्राप्तियां – राजस्व प्राप्तियां सरकार की वह प्राप्तियां है जो गैर – प्रतिदेय हैं अर्थात इसे पाने के लिए सरकार से पुनः दावा नहीं किया जा सकता है। इसे कर और गैर कर राजस्व में विभक्त किया जाता है। कर राजस्व में कर की प्राप्तियां और सरकार द्वारा लगाए गए अन्य शुल्क शामिल होते है। कर राजस्व जो की राजस्व प्राप्तियों का एक महत्वपूर्ण घटक है, में मुख्य रूप से प्रत्यक्ष कर और अप्रत्यक्ष कर होते है।
प्रत्यक्ष कर- ऐसा कर जिसका बोझ प्रत्यक्ष रूप से व्यक्ति (व्यक्तिगत आयकर ) और फर्म (निगम कर ) पर पड़ता है। अन्य प्रत्यक्ष करों जैसे संपत्ति कर, उपहार कर और सम्पदा शुल्क आदि।