Thursday 30 March 2017

मुगल उत्तराधिकारी


औरंगजेब की मृत्यु ने मुगल साम्राज्य के पतन की नींव डाली क्योंकि उसकी मृत्यु के पश्चात उसके तीनों पुत्रों-मुअज्जम,आजम और कामबक्श के मध्य लम्बे समय तक चलने वाले उत्तराधिकार के युद्ध ने शक्तिशाली मुगल साम्राज्य को कमजोर कर दिया. औरंगजेब ने अपने तीनों पुत्रों को प्रशासनिक उद्देश्य से अलग अलग क्षेत्रों का गवर्नर बना दिया था, जैसे-मुअज्जम काबुल का,आजम गुजरात और कामबक्श बीजापुर का गवर्नर था। इसी कारण इन तीनों के मध्य मतभेद पैदा हुए, जिसने उत्तराधिकार को लेकर गुटबंदी को जन्म दिया। औरंगजेब की मृत्यु के बाद उत्तरवर्ती मुग़लों के मध्य होने वाले उत्तराधिकार-युद्ध का विवरण निम्नलिखित है-
मुअज्जम (1707-1712 ई०):-
  • वह शाह आलम प्रथम के नाम से जाना जाता था, जिसे खफी खां ने ‘शाह-ए–बेखबर’ भी कहा है क्योंकि वह शासकीय कार्यों के प्रति बहुत अधिक लापरवाह था।
  • वह अपने दो भाइयों की हत्या करने और कामबक्श को जाजऊ के युद्ध में हराने के बाद 1707 ई० में मुग़ल राजगद्दी पर बैठा वह अपने शासकीय अधिकारों का स्वतंत्र रूप से प्रयोग करने वाला अंतिम मुगल शासक था।
  • उसने सिक्खों एवं मराठों के साथ मधुर सम्बन्ध स्थापित करने का प्रयास किया.उसने इसीलिए मराठों को दक्कन की सरदेशमुखी वसूलने का अधिकार दे दिया लेकिन चौथ वसूलने का अधिकार नहीं दिया
  • मुअज्ज़म की मृत्यु के बाद उसके पुत्रों- जहाँदार शाह, अजीम-उस-शाह, रफी-उस-शाह और जहाँशाह, के मध्य नए सिरे से उत्तराधिकार को लेकर युद्ध प्रारंभ हो गया।
जहाँदार शाह(1712-1713 ई०):-
  • उसने मुगल दरबार में ईरानी गुट के नेता जुल्फिकार खान के सहयोग से अपने तीन भाइयों की हत्या के बाद राजगद्दी प्राप्त की
  • वह जुल्फिकार खान, जो वास्तविक शासक के रूप में कार्य करता था ,के हाथों की कठपुतली मात्र थायहीं से शासक निर्माताओ की संकल्पना का उदय हुआ वह अपनी प्रेमिका लाल कुंवर के भी प्रभाव में था जोकि मुगल शासन पर नूरजहाँ के प्रभाव की याद दिलाता है
  • उसने मालवा के जय सिंह को ‘मिर्जा राजा’ और मारवाड़ के अजित सिंह को ‘महाराजा’ की उपाधि प्रदान की
  • उसके द्वारा मराठों को चौथ और सरदेशमुखी वसूलने के अधिकार प्रदान करने के कदम ने मुगल शासन के प्रभुत्व को कमजोर बनाने की शुरुआत की
  • उसने इजारा पद्धति अर्थात राजस्व कृषि/अनुबंध कृषि को बढावा दिया और जजिया कर को बंद किया
  • वह प्रथम मुगल शासक था जिसकी हत्या सैय्यद बंधुओं-अब्दुल्लाह खान और हुसैन अली(जो हिन्दुस्तानी गुट के नेता थे) के द्वारा कैदखाने में की गयी थी
फर्रुखसियर(1713-1719 ई०):-
  • वह ‘साहिद-ए-मजलूम’ के नाम से जाना जाता था और अजीम-उस-शाह का पुत्र था
  • वह सैय्यद बंधुओं के सहयोग से मुग़ल शासक बना था
  • उसने ‘निज़ाम-उल-मुल्क’ के नाम से मशहूर चिनकिलिच खान को दक्कन का गवर्नर नियुक्त किया, जिसने बाद में स्वतंत्र राज्य-हैदराबाद की स्थापना की।
  • उसके समय में ही पेशवा बालाजी विश्वनाथ मराठा-क्षेत्र पर सरदेशमुखी और चौथ बसूली के अधिकार को प्राप्त करने के लिया मुगल दरबार में उपस्थित हुए थे।
रफी-उद-दरजात(1719 ई०):-
  • वह कुछ महीनों तक ही शासन करने वाले मुग़ल शासकों में से एक था।
  • उसने निकुस्सियर के विद्रोह के दौरान आगरा के किले पर कब्ज़ा कर लिया और खुद को शासक घोषित कर दिया।
रफी-उद-दौला(1719 ई०):-
  • वह ‘शाहजहाँ द्वितीय’ के नाम से जाना जाता है
  • उसके शासनकाल के दौरान ही अजित सिंह अपनी विधवा पुत्री को मुग़ल हरम से वापस ले गए थे और बाद में उसने हिन्दू धर्म अपना लिया 
मुहम्मद शाह(1719-1748 ई०):-
  • उसका नाम रोशन अख्तर था जोकि प्रभाव-हीन और आराम-पसंद मुगल शासक था। अपनी आराम-पसंदगी की प्रवृत्ति के कारण ही वह ‘रंगीला’ नाम से भी जाना जाता था
  • उसके शासनकाल के दौरान ही मराठों ने बाजीराव के नेतृत्व में, मुगल इतिहास में पहली बार, दिल्ली पर धावा बोला
  • इसी के शासनकाल में फारस के नादिर शाह ने, सादत खान की सहायता से, दिल्ली पर आक्रमण किया और करनाल के युद्ध में मुगल सेना को पराजित किया
अहमद शाह(1748-1754 ई०):-
  • इसके शासनकाल के दौरान नादिरशाह के पूर्व सेनापति अहमदशाह अब्दाली ने भारत पर पांच बार आक्रमण किया
  • इसे इसी के वजीर इमाद-उल-मुल्क द्वारा शासन से अपदस्थ कर आलमगीर द्वितीय को नया शासक नियुक्त किया गया
आलमगीर द्वितीय(1754-1759ई०):-
  • वह ‘अजीजुद्दीन’ के नाम से जाना जाता था
  • इसी के शासनकाल के दौरान प्लासी का युद्ध हुआ
  • इसे इसी के वजीर इमाद-उल-मुल्क द्वारा शासन से अपदस्थ कर शाहआलम द्वितीय को नया शासक नियुक्त किया गया।
शाहआलम द्वितीय(1759-1806ई०):-
  • ‘अली गौहर’ के नाम से प्रसिद्ध इस मुग़ल शासक की बक्सर के युद्ध (1764 ई०)में हार हुई थी।
  • इसी के शासनकाल के दौरान पानीपत की तीसरा युद्ध हुआ
  • बक्सर के युद्ध के बाद इलाहाबाद की संधि के तहत मुगलों द्वारा बंगाल, बिहार और उड़ीसा के दीवानी अधिकार अंग्रेजो को दे दिए जिन्हें 1772 ई० के बाद महादजी सिंधिया के सहयोग से पुनः मुगलों ने प्राप्त किया
  • वह प्रथम मुगल शासक था जो ईस्ट इंडिया कम्पनी का पेंशनयाफ्ता था
अकबर द्वितीय(1806-1837ई०):-
  • वह अंग्रेजो के संरक्षण में बनने वाला प्रथम मुग़ल बादशाह था
  • इसके शासनकाल में मुग़ल सत्ता लालकिले तक सिमटकर रह गई।
बहादुरशाह द्वितीय( 1837-1862ई०):-
  • वह अकबर द्वितीय और राजपूत राजकुमारी लालबाई का पुत्र एवम मुगल साम्राज्य का अंतिम शासक था।
  • इसके शासनकाल के दौरान 1857 की क्रांति हुई और उसी के बाद इसे बंदी के रूप में रंगून निर्वासित कर दिया गया जहाँ 1862 ई० में इसकी मृत्यु हो गई
  • वह ‘जफर’ उपनाम से बेहतरीन उर्दू शायरी लिखा करता था।
मुगल साम्राज्य के पतन के कारण:-
मुग़ल साम्राज्य का पतन एकाएक न होकर क्रमिक रूप में हुआ था, जिसके प्रमुख कारण निम्नलिखित थे-
1.साम्राज्य का बृहद विस्तार:- इतने विस्तृत साम्राज्य पर सहकारी संघवाद के बिना शासन करना आसान नहीं था। अतः मुग़ल साम्राज्य अपने आतंरिक कारणों से ही डूबने लगा।
2.केंद्रीकृत प्रशासन:- इतने वृहद् साम्राज्य को विकेंद्रीकरण और विभिन्न शासकीय इकाइयों के आपसी सहयोग के आधार पर ही शासित किया जा सकता था।
औरंगजेब की नीतियाँ:- उसकी धार्मिक नीति, राजपूत नीति और दक्कन नीति ने असंतोष को जन्म दिया जिसके कारण मुगल साम्राज्य का विघटन प्रारंभ हो गया।
3.उत्तराधिकार का युद्ध:- उत्तराधिकार को लेकर लम्बे समय तक चलने वाले युद्धों ने मुगलों की प्रशासनिक इकाइयों में दरार पैदा कर दी।
4.उच्च वर्ग की कमजोरी:- मुगल उच्च वर्ग मुगलों के प्रति अपनी वफ़ादारी के लिए जाना जाता था लेकिन उत्तराधिकार के युद्धों के कारण उनकी वफादारी बंट गयी।
अतः शक्तिशाली मुग़ल साम्राज्य औरंगजेब की मृत्यु के बाद पतन की ओर अग्रसर हुआ जिसमें जल्दी जल्दी होने वाले सत्ता परिवर्तनों और उत्तराधिकार के युद्धों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।