Monday, 20 March 2017

कुपोषण और शिशु मृत्यु दर


                    किसी समाज की खुशहाली उसके वासियों के स्वास्थ्य से जुड़ी होती है। जब हम स्वास्थ्य की बात करते हैं, तो इसका संबंध शिशुओं और माताओं से सबसे पहले होता है। जिस समाज में प्रतिवर्ष नवजात शिशुओं और प्रसव के दौरान माताओं की मृत्यु दर लाखों में हो, उसे खुशहाल नहीं कहा जा सकता।कुपोषण के मामले में विश्व के अनेक देश शर्मनाक स्थिति में हैं। इनमें भारत की स्थिति भी ऐसी ही है। कुपोषण के कारण शिशुओं और माताओं की मृत्यु दर से संबंधित कुछ तथ्य –